मेघनाद किसका अवतार था whose avtar was Meghnad
मेघनाद किसका अवतार था Meghnad kiska avtar tha
हैल्लो दोस्तों इस लेख मेघनाद का परिचय तथा मेघनाद किसका अवतार (Whose Avtar was Meghnad) था में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। इस लेख में आप लंकापति रावण पुत्र मेघनाथ के बारे में कई रोचक बातें जानेंगे।
कि मेघनाथ कौन था? मेघनाद का वध कैसे हुआ? आदि महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानेंगे तो दोस्तों आइए शुरू करते हैं, मेघनाथ किसका अवतार था:-
मेघनाद (इंद्रजीत) कौन था who was meghnad
मेघनाद लंकापति रावण का सबसे बड़ा पुत्र था, जिसे एक महान योद्धा के रूप में देखा जाता था। रावण की पहली पत्नी मंदोदरी मेघनाद की माँ थी,
जिसने अपने गर्भ से ऐसे वीर पुत्र को जन्म दिया था। मेघनाद नाम रखने के पीछे एक दिलचस्प तथ्य छिपा है।ऐसा कहा जाता है कि जब मेघनाद पैदा हुआ था तो वह किसी सामान्य बच्चे की
तरह नहीं रोता था बल्कि जब वह रोता था तो ऐसा लगता था जैसे बादल गरज रहे हो और इसलिए रावण (Ravan) ने अपने पुत्र का नाम मेघनाद रखा था।
मेघनाद का जन्म Birth of Meghnad
मेघनाद के जन्म के समय, लंकापति रावण ने सभी ग्रहों को अपने 11 वें घर में रहने का आदेश दिया ताकी मेघनाद शुभ नक्षत्र में पैदा हो और अमर हो जाए।
लेकिन अंतिम समय में शनि देव ने अपनी चाल बदल दी और 11 वें से 12 वें घर में प्रवेश किया, जिस से अंततः मेघनाद की मृत्यु हो गई।
मेघनाद का विवाह Marry of Meghnath
मेघनाद का विवाह वासुकीनाग की पुत्री सुलोचना से हुआ था। सुलोचना सर्प कन्या थी, इसप्रकार मेघनाद लक्ष्मण के दामाद थे, क्योंकि लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे।
सुलोचना सुन्दर होने के साथ साथ पतिव्रता तथा गुणवती स्त्री थी, जिसकी परीक्षा उसने स्वयं अपनी पतिव्रतत्व सिद्ध करने के लिए मेघनाद के कटे सिर को हंसाकर भगवान श्रीराम के सामने दी थी और अपने पति के साथ सति हो गयी थी।
मेघनाद किसका अवतार था whose avtar was Meghnad
धर्मग्रंथो के आधार पर बताया जाता है, कि मेघनाथ लक्ष्मण का दामाद था क़्योकी सुलोचना एक नागकन्या थी, जिससे रावण पुत्र मेघनाद का विवाह हुआ था।
और लक्ष्मण जी भी शेषनांग (Sheshnaang) के अवतार थे इसलिए मेघनाद लक्ष्मण जी का दामाद हुआ किन्तु मेघनाद किसका अवतार था इसका कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं है।
मेघनाद का यज्ञ और शक्तियाँ Meghnad yagya and powers
जब मेघनाद बड़ा हुआ तो गुरु शुक्राचार्य की मदद से उस ने अपनी कुलदेवी निकुंभला के समक्ष सात यज्ञ पूरे किए। इससे उसे कई शस्त्र वरदान में मिले ,जिसमें एक दिव्य रथ था जो
किसी भी दिशा में मेघनाद के दिमाग की शक्ति से उड़ सकता था। उसी के साथ उसे एक अक्षय तरकश और एक दिव्य धनुष मिला था जिसमें तीर कभी खत्म ही नहीं होते थे। इन यज्ञों से उसे जो मुख्य अस्त्र प्राप्त हुए थे वो थे।
भगवान ब्रह्मा का सब से बड़ा अस्त्र ब्रह्मास्त्र, भगवान विष्णु का सर्वोच्च नारायण अस्त्र और भगवान शिव का सर्वोच्च पशुपति अस्त्र। इन तीनों अस्त्रों को हासिल करने के बाद, वह अपने पिता रावण से अधिक शक्तिशाली बन गया था।
मेघनाद का नाम इंद्रजीत कैसे पड़ा Meghnad ka naam Indrajeet kaise pada
जब रावण ने देवताओं से युद्ध किया और समस्त देवताओं को बंदी बना लिया , किन्तु रात में सभी देवता किसी तरह रावण की कैद से बच निकले और रावण को सोते हुये ही बंदी बना लिया
जब मेघनाद को इस बात का पता चला, तो उसने अपना अदृश्य रथ लेकर इंद्र के साथ युद्ध किया और उन्हें हरा दिया और मेघनाद इंद्र को बंदी बनाकर लंका ले आया। फिर एक दिन रावण
और मेघनाद ने इंद्र को मारने की योजना बनाई। यह देखकर भगवान ब्रह्मा स्वयं मेघनाद के पास आए और उसे देवराज इंद्र को छोड़ने के लिए कहा। बदले में उन्होंने मेघनाद को वरदान दिया कि
यदि वह किसी भी युद्ध में जाने से पहले अपनी कुलदेवी निकुंभला का यज्ञ कर लेगा तो कोई भी उसे उस युद्ध में हरा नहीं पाएगा। साथ ही भगवान ब्रह्मा ने मेघनाद को इंद्रजीत की उपाधि प्रदान की।
मेघनाद और हनुमान का युद्ध Battle of Meghnad and Hanuman
मेघनाद का पिता लंकापति रावण अभिमानी था और इसी अहंकार और अभियमान के कारण उसने एक दिन माता सीता का हरण किया था।
रावण के अधिकांश रिश्तेदार, पत्नी, नाना आदि ने उसे ऐसा करने से रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेघनाद हमेशा अपने पिता के साथ था।
एक दिन मेघनाद को जानकारी मिली कि एक बंदर ने अशोक वाटिका में उत्पात मचा रखा है और उस बंदर ने मेघनाद के छोटे भाई अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की भी हत्या कर दी है।
यह सुनकर मेघनाद बहुत क्रोधित हुआ और अपने पिता से आदेश पाकर हनुमान से युद्ध करने चला गया। हनुमान के साथ उसका भयंकर युद्ध हुआ और अंत में उस ने हनुमान पर ब्रह्मास्त्र फेंका
और वह रावण के दरबार में हनुमान को बंदी बना कर ले आया। बाद में हनुमान लंका में आग लगा कर वापिस चले गए लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका।
मेघनाद द्वारा अंगद का पैर उठाना Meghnad dwara angad ka pair uthana
हनुमान के जाने के कुछ समय बाद, श्री राम ने पूरी वानर सेना के साथ लंका में प्रवेश किया और अंगद द्वारा रावण के दरबार में शांति संदेश भेजा, जिसे रावण ने अस्वीकार कर दिया।
इसके बाद, अंगद ने भरी सभा में रावण के सभी योद्धाओं को चुनौती दी कि यदि कोई उस का पैर हवा में उठा पाए तो राम अपनी हार स्वीकार कर लेंगे।
एक के बाद एक, रावण के सभी योद्धा नाकाम हो गए, इसलिए अंत में मेघनाद रावण का सब से शक्तिशाली पुत्र और योद्धा अंगद पैर उठाने मैदान में उतरा लेकिन मेघनाद भी अंगद का पैर उठाने में असफ़ल रहा यह पहली बार था जब मेघनाद का अहंकार टूटा था।
मेघनाद का रावण को समझाना Meghnad ka Ravan ko samjhana
रामायण में उल्लेख है कि मेघनाद एक समर्पित भक्त था और उस ने हर चीज में रावण का साथ दिया। जब रावण ने सीता का हरण किया तो सभी ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन
मेघनाद अंत तक रावण के साथ एक ढाल के रूप में खड़ा रहा,लेकिन यह पहली बार था जब मेघनाद ने रावण से माता सीता को लौटाने के बारे में बात की थी।
वह तेज़ गति से रावण के पास पहुँचा और उस ने रावण को सारी घटना बताई। उसने रावण को बताया कि श्रीराम कोई और नहीं बल्कि नारायण के अवतार हैं
इसलिए हमें माता सीता को भगवान श्रीराम को लौटाना चाहिए। मेघनाद अपने पिता का भला चाहता था, लेकिन रावण ने यह सुनकर उसे झिड़क दिया और उसे कायर कहा।
अपने पिता के इन कटु शब्दों को सुनकर, मेघनाद (Meghnad) बहुत निराश हो गया और उसने युद्ध में मरना उचित समझा। वह जानता था, कि वह नारायण पर जीत हासिल नहीं कर सकता,
इसलिए आज युद्ध में उसकी मृत्यु निश्चित थी। उसने अपने माता-पिता और पत्नी सुलोचना को अलविदा कहा और युद्ध के मैदान के लिए रवाना हुए।
मेघनाद की मृत्यु Death of Meghnad
लक्ष्मण के लिए मेघनाद को मारना इतना आसान नहीं था। हज़ार बार मरने के बाद भी मेघनाद हर बार वापस प्रकट हो जाता था और हर बार पहले से अधिक शक्ति शाली हो जाता था
तथा अपनी मायावी शक्तियों के साथ लक्ष्मण की मुश्किलें बढ़ाए जा रहा था। जब लक्ष्मण लगातार मेघनाद को मारने में असफ़ल रहे तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने तरकश से एक तीर निकाला
और उसे धनुष पर चढ़ा दिया और उस तीर को भगवान श्रीराम की क़सम देते हुए कहा कि यदि श्रीराम वास्तव में धर्मात्मा हैं, और अगर मैं सही मायने में श्रीराम का
सच्चा भक्त हूँ, तो यह तीर मेघनाद के सर को काट देगा।इसके बाद मेघनाद का सर उस बाण से कट गया और भगवान श्री राम के चरणों में आ गिरा। उस की मृत्यु के बाद लंका में कोहराम मच गया और
क्या आप जानते है :-
आखिर मंथरा थी कौनरावण विलाप करने लगा। भगवान श्रीराम ने मेघनाद के अंतिम संस्कार के लिए युद्ध विराम की घोषणा की और मेघनाद की पत्नी सुलोचना अपने पति के सर को ले कर आग में कूद गई।
मेघनाद रावण के लिए बहुत बड़ी शक्ति थी रावण मेघनाद की मृत्यु के बाद बुरी तरह टूट गया था। अब उसके पास कोई योद्धा नहीं बचा था और वह बिलकुल अकेला हो गया था।
लंका के लोग अपने भावी राजा की मृत्यु से बुरी तरह से निराश थे। श्रीराम ने भी लंकवसियो और रावण की भावनाओं को महसूस करते हुए युद्ध विराम की घोषणा की थी ताकी मेघनाद का अंतिम संस्कार शांतिपूर्वक किया जा सके।
दोस्तों आपने इस लेख में मेघनाद किसका अवतार था (whose Avtar was meghnad) के बारे में कई तथ्यों को जाना। आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताये तथा शेयर करना बिल्कुल ना भूलें।
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