कुंभकरण कितने फुट का था | How was tall kumbhkaran in hindi
कुंभकरण कितने फुट का था How was tall kumbhkaran
हैलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस लेख कुंभकरण कितने फुट का था (How was tall kumbhkaran) में। इस लेख में आप जान पाएंगे कि वास्तव में कुंभकरण की लंबाई कितनी थी?
वह कितने फुट का था? सच में यह एक आश्चर्यजनक बात है, कि प्राचीन काल में (In Ancient age) कुछ लोग इतने लंबे इतने बड़े हुआ करते थे कि जितना एक व्यक्ति सोच भी नहीं सकता
किन्तु सोचने की बात तो यह है, अगर वो इतने विशालकाय हुआ करते थे तो वह किस प्रकार से जीवनयापन किया करते थे?
रामायण कालीन एक ऐसा ही पात्र है "कुंभकरण" जो वास्तव में बहुत लंबा और मोटा था जिस के रहन सहन के बारे में बहुत ही दिलचस्प बातें हैं जो आप इस लेख में जानेंगे।
कुंभकरण का जन्म Birth of kumbhkaran
कुम्भकरण कितने फुट का था How tall was kumbhkaran - कुंभकरण का जन्म राक्षस कुल में हुआ था। इनके पिता जी का नाम विश्रवा तथा माता जी का नाम कैकसी था। कुंभकरण का बड़ा भाई लंकापति रावण तथा छोटा भाई विभीषण था।
इनके कुल में कुंभकरण ही एक ऐसा व्यक्ति था जो एक विशालकाय शरीर लेकर ही पैदा हुआ था और समय के साथ और भी विशाल होता चला गया।
वह बचपन से ही हजारों लोगों के बराबर खाना और जानवरों को खा जाता था, जिससे अन्य लोगों के आहार की भी चिंता होने लगी थी।
कुम्भकरण विशाल होने के साथ-साथ कई मायावी शक्तियों का मालिक भी था। इसी कारण उससे कई देवतागण युद्ध करने से भी डरते थे।
कुंभकरण कितने फुट का था How was tall kumbhkaran
कुंभकरण बचपन से ही विशाल काया के साथ पैदा हुआ था और समय के साथ एक विशाल चट्टान के समान दिखाई देने लगा।
पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है, कि कुंभकरण की कुल लंबाई 600 धनुषों के बराबर थी। तथा मोटाई लगभग 100 धनुषों के आसपास की होगी
जिससे आप आराम से अनुमान लगा सकते हैं, कि कुंभकरण कितने फुट का था? तथा इसके आवास तथा खाने की सुविधा की व्यवस्था किस प्रकार की जाती होगी?
कुम्भकरण का भारी-भरकम शरीर होने के साथ ही इसके लिए एक अलग विशाल महल का निर्माण कराया गया था जिसमें यह जमीन पर सैया बना कर सोया करता था।
तथा खाने में यह इसे कई गाँव का खाना एक दिन में ही खा जाता था। जिससे लंका निवासियों के लिए खाने का संकट उत्पन्न होता था।
कुंभकरण की कहानी Story of kumbhkaran
कुंभकरण एक ऐसा रामायण का पात्र था जिसे हराना भगवान विष्णु के बस की बात नहीं थी। उसके वध का मुख्य कारण था कि वह अपनी नींद की अवधि के बीच ही जगा दिया गया।
यह बात उस समय की है जब तीनो भाई रावण, कुंभकरण और विभीषण शक्तियाँ और वरदान प्राप्त करने के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या कर रहे थे।
तब ब्रह्मा जी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर तीनों को वर मांगने के लिए कहा! रावण ने कई प्रकार की शक्तियाँ और वरदान प्राप्त किए तो विभीषण ने नारायण दर्शन की इक्षा प्रकट की जबकि कुंभकरण इन्द्रासन प्राप्त करना चाहता था।
इस कारण देवताओं ने माँ सरस्वती से प्रार्थना की कि वह कुंभकरण की जीव्हा पर बैठकर उससे इंद्रासन की जगह निद्रासन बुलवा दें।
माता सरस्वती ने कुंभकरण की जिव्हा पर विराजमान हो गई और ब्रह्मा जी के कहने पर की वत्स वर माँगों कौन सा वरदान चाहिए तो कुंभकरण इंद्रासन की जगह निद्रासन मांग बैठा
और ब्रह्मा जी ने तुरंत तथास्तु कह दिया इसके बाद कुंभकरण को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह वरदान बदलने के लिए गिड़गिड़ाने लगा।
लेकिन ब्रह्मा जी ने कहा कि दिया हुआ वरदान वापस नहीं होता लेकिन मैं इसकी अवधि थोड़ी कम कर देता हुँ तुम 6 महीने में एक बार जागोगे और अगर किसी ने तुम्हें नींद में ही जगा दिया तो वह दिन तुम्हारा अंतिम दिन होगा।
इस प्रकार जब रावण और राम का युद्ध चल रहा था तथा रावण के कई महारथी मृत्यु को प्राप्त हो गए थे तो उन्होंने कुम्भकरण को अनायास ही उसकी नींद में जगा दिया उसका जो उसकी मृत्यु का कारण बना।
दोस्तों आपने इस लेख में कुंभकरण कितने फुट का था (How was kumbhkaran tall) तथा उसका जीवन से संबंधित आदि पक्षों के बारे में ज्ञान प्राप्त किया आशा करता हूँ, यह देख आपको अच्छा लगा होगा।
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