विटामिन ई के स्रोत हिंदी में। Source of vitamin-E in hindi
विटामिन ई के स्रोत हिंदी में। Source of vitamin-E in hindi
हैलो दोस्तों आपका इस लेख विटामिन ई के स्रोत (Source of vitamin-E in hindi) में बहुत-बहुत स्वागत है। इस लेख में आप बिटामिन ई के स्रोत,
विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग, विटामिन ई किसे कहते हैं? तथा विटामिन ई की दैनिक मात्रा क्या होनी चाहिए? आदि महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानेंगे।
दोस्तों विटामिन ई हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते है, क्योंकि जनन क्षमता को प्रभावित तो करता ही है साथ में यह मनुष्य की त्वचा को भी निखार लाता है।
इसलिए इस विटामिन को ब्यूटी विटामिन के नाम से भी जाना जाता है, तो आइए दोस्तों बढ़ते हैं हमारे इस लेख में विटामिन ई के स्रोत किसे कहते हैं:-
विटामिन ई किसे कहते हैं what is vitamin-E
विटामिन ई एक प्रकार से कार्बनिक योगिक ही है, जिसका रासायनिक नाम टोकॉफरोल (Tocopherol) है। विटामिन ई के स्रोत रूप में अल्फा की पत्तियाँ अत्यधिक प्रचलित है।
विटामिन ई की खोज मार्टिल (Mortil) नामक वैज्ञानिक ने सन 1920 में की थी। इस विटामिन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जनन कोशिकाओं के निर्मित करने में होती है।
विटामिन ई का रासायनिक फार्मूला C29H50O02 होता है। इस विटामिन का अन्य नाम फर्टिलिटी विटामिन (Fertility vitamin) भी है।
जबकि इसको एंडीस्टेरिलिटी विटामिन (Andsterility vitamins) के नाम से भी जाना जाता है। विटामिन ई को एंजाइम के साथ कार्य नहीं करता, यह सामान्य पेशीय कार्य के लिए आवश्यक होता है।
यह कोएंजाइम एफ (Co-Enzymn F) के बायो संश्लेषण के लिए उत्तरदाई होता है।
विटामिन ई के स्रोत vitamin-E Source
विटामिन ई के स्रोत बहुत हैं, जिनमें से विटामिन ई के मुख्य स्रोत सोयाबीन का तेल, अंडे का योक, जंतु ऊतक सलाद, अल्फा,
अल्फा की पत्तियाँ, चावल के छिलके, गेंहूँ, हरी सब्जियाँ आदि है। इन सभी में विटामिन पर्याप्त सोर्स के रूप में पाया जाता है।
विटामिन ई अंकुरित अनाजों में वनस्पति तेलों में और बसा (Fats) में भी पाया जाता है, जबकि फली वाली सब्जियाँ भी विटामिन ई का बहुत अच्छा स्रोत (Source) होती हैं।
इसलिए उपर्युक्त सभी प्रकार के भोज पदार्थों का सेवन करने से विटामिन ई की कमी से होने वाले रोगों से दूर रहते है। विटामिन ई के कुछ अन्य स्रोत निम्न प्रकार हैं:-
बादाम - बादाम विटामिन ई का सबसे प्रचुर मात्रा वाला स्रोत होता है। बादाम को हम किसी भी तरह से खा सकते हैं, चाहे उसे कच्चा खा सकते हैं,
या उसे दूध में या उसे हम अपने खाने में भी किसी प्रकार से शामिल कर सकते हैं। इस प्रकार से हम विटामिन ई का एक अच्छा स्रोत बादाम के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
पपीता - पपीता भी विटामिन ई का स्रोत होता है। आमतौर पर पपीता हमें शहर और बाजारों में आराम से मिल जाता है।
यह तो ऐसा फल है जो घर पर भी आराम से उपलब्ध होता है, क्योंकि पपीता गाँव में कुछ ना कुछ घरों में अवश्य पाया जाता है।
पपीता से हम विटामिन, फ्रूट, सलाद या फिर जूस के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। जबकि कच्चे पपीते की सब्जी बना कर भी हम विटामिन ई को पर्याप्त मात्रा में ले सकते हैं।
उबली हुई हरी सब्जियाँ - हरी पत्ती वाली सब्जी विटामिन ई के साथ-साथ बहुत अन्य पोषक पदार्थों का स्त्रोत होती है।
अगर आप उबली सब्जियाँ लेते हैं, तो आप कम से कम 20% विटामिन ई का स्रोत प्राप्त कर लेते हैं।
विटामिन ई की कमी से रोग Vitamin E deficiency disease
विटामिन ई की कमी से बहुत रोग होते हैं। अगर शरीर में विटामिन ई आवश्यकता से अधिक या कम हो जाए तो शरीर में विभिन्न प्रकार की अनियमितताएँ देखने को मिलती हैं। विटामिन ए की कमी के रोग निम्न प्रकार हैं:-
- मादा चूहे में इसकी कमी से इंप्लांटेशन (Implantation) के बाद उसकी मृत्यु हो जाती है, जबकि खरगोश और चूहा में इसकी कमी से पेशियों में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन लकवा आदि देखने को मिलते हैं।
- विटामिन ई की कमी से हृदय पेशियों की समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
- विटामिन ई की कमी से प्रमुख व्याधि जनन क्षमता (Fertility) कम हो जाना होती है।
- विटामिन ई की कमी से मनुष्य में गर्भ का गिरना, जनन क्षमता प्रभावित होना आदि बीमारियाँ देखने को मिलती है।
विटामिन ई कैप्सूल खाने के फायदे Benefits of vitamin-E capsules
विटामिन ई कैप्सूल खाने के अनेक फायदे हैं. अगर आप चेहरे बालों तथा त्वचा, तथा जनन संबंधी बीमारियों तथा समस्याओं से जूझ रहे हैं।
तथा अपने स्किन को तथा त्वचा को सुन्दर बनाना चाहते हैं तो आप विटामिन ई कैप्सूल का प्रयोग कर सकते हैं।
विटामिन ई मुख्यत: शरीर तथा चेहरे की सुंदरता तथा प्रजनन क्षमता को बनाए रखता है। इसलिए इस विटामिन को ब्यूटी विटामिन (Beauty Vitamin) के नाम से भी जाना जाता है।
विटामिन ई विभिन्न प्रकार से कार्य करता है और हमारे शरीर, चेहरे को स्वास्थ्य और सुन्दर बनाए रखता है।
विटामिन ई चेहरे के लिए - विटामिन ई केप्सूल खाने के फायदे चेहरे के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए विटामिन ई का प्रयोग चेहरे के लिए किया जाता है,
आजकल हर कोई सुंदर और अपने चेहरे की स्किन को मुलायम और ग्लो करना चाहता है, तो इस हालत में आप विटामिन ई के कैप्सूल का प्रयोग कर सकते हैं।
आप विटामिन ई कैप्सूल को बादाम या फिर दूध के साथ रात को सोते वक्त खा सकते हैं। जिससे आपकी चहरे पर सुंदरता तथा निखार उत्पन्न होगा।
आंखों के लिए विटामिन ई - विटामिन ई कैप्सूल खाने के अजब-गजब फायदे आंखों के लिए भी होते हैं। अगर आपकी आंखों के नीचे झुर्रियां और काले धब्बे पड़ने लगे हैं,
तो आप विटामिन ई का लोशन रात को सोते समय लगा सकते हैं, तथा विटामिन ई एक कैप्सूल दिन में खाना खाने के बाद डॉक्टर की सलाह पर ले सकते है।
जिससे आपके चेहरे और आँखों की झुर्रियाँ भी कम होने लगेंगी और आँखे सुन्दर लगने लगेंगी।
बालों के लिए विटामिन ई - विटामिन ई कैप्सूल या विटामिन ई का तेल बालों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है। जिसके बाल रूखे तथा टूट रहे हैं,
वह अपने बालों पर विटामिन ई के तेल का प्रयोग करके देखें वास्तव में आपको विटामिन ई के तेल यूज़ करने के बाद अच्छा लाभदायक एक्सपीरियंस मिलेगा।
आप बाल धोने के एक दिन पहले ही विटामिन ई के तेल को अपने रोज के लगाने वाले तेल में मिक्स करें और अच्छे से लगा ले इसके बाद दूसरे दिन बाल धोए अब आपके बाल चमकदार तथा मजबूत दिखाई देंगे।
विटामिन ई कैप्सूल के नुकसान Disadvantages of vitamin E capsules
विटामिन ई कैप्सूल के नुकसान - अगर विटामिन ई आप आवश्यकता से अधिक लेते हैं. और शरीर में इसकी मात्रा अधिक होती है,
तो इसके आपको बिपरीत प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। आपके चेहरे पर फोड़े फुंसियां निकाल सकते हैं। आपका चेहरा बदसूरत हो सकता है।
तथा त्वचा सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है। इसलिए आप विटामिन ई कैप्सूल खाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
विटामिन ई की दैनिक आवश्यकता क्या है What is the daily requirement of vitamin-E
विटामिन ई विटामिनों में एक वसीय विटामिन होता है, जो वसा युक्त वस्तुओं में घुलनशील अवस्था में पाया जाता है।
तथा यह शरीर के लिए बहुत ही कम मात्रा में किंतु बहुत ही आवश्यक विटामिन होता है।
15 से 20 से मिली ग्राम प्रतिदिन विटामिन ई आहार में लेने पर विटामिन ई की शरीर में कभी कमी नहीं होती।
जबकि गर्भवती एवं धात्री स्त्री को 30 मिलीग्राम प्रति दिन विटामिन ई की आवश्यकता बहुत अच्छी होती है।
विटामिन ई के कार्य Functions of Vitamin-E
विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट (Antioxident) की तरह कार्य करता है, यही इसका सबसे अच्छा गुण होता है।
क्योंकि यह एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीजन ग्रहण कर लेते हैं और विटामिन ए एवं केराटिन को ऑक्सीकृत होकर नष्ट होने से बचाते हैं।
- विटामिन ई का मुख्य कार्य जनन क्षमता बनाए रखना होता है. यह विटामिन प्रजनन क्षमता (Fertility) में बहुत आवश्यक होता है।
- विटामिन ई मांसपेशियों के सामान्य कार्यों के लिए भी अति आवश्यक है, यह मांसपेशियों की गति तथा इन पर नियंत्रण रखने का कार्य करता है।
- विटामिन ई वसीय अम्लों में पाया जाता है और ऑक्सीकरण (Oxidation) को कम करता है।
- विटामिन ई के द्वारा को एंजाइमों का निर्माण होता है जो कि एक रेस्पिरेटरी श्रंखला (Respiratory chain) में पाया जाता है।
दोस्तों इस लेख में आपने विटामिन ई किसे कहते है विटामिन ई के स्रोत क्या है (Vitamin-E के स्रोत) विटामिन ई कैप्सूल के फायदे तथा नुकसान पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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