कबूतर पर निबंध जानकारी और कहानी |Essay on Pegion information and story
कबूतर पर निबंध जानकारी और कहानी essay on Pegion information and story
हैलो दोस्तों आपका इस लेख कबूतर पर निबंध जानकारी और कहानी Essay on pegion information and story में।
दोस्तों इस लेख में आप कबूतर पर निबंध के साथ कबूतर के बारे में जानकारी और चींटी और कबूतर की कहानी भी पढ़ेंगे।
दोस्तों यह निबंध छोटी कक्षाओं में अक्सर पूँछा जाता है। तो दोस्तों आइये शुरू करते है। कबूतर पर निबंध जानकारी और कहानी :-
कबूतर पर निबंध Essay on Pegion
कबूतर एक पक्षी है, जो आसमान में उड़ता हुआ नज़र आता है। कबूतर को अंग्रेजी में डव (dove) और पिजिन (pigeon) दोनों नाम से पुकारते हैं।
कबूतर एक सुंदर पक्षी है। यह सफ़ेद और सिलेटी दो रंगों में देखने को मिलता है। कबूतर को लोग घरों में भी पालते है। कहा जाता है कबूतर पक्षी शांति का प्रतीक होते है।
कबूतर कहाँ रहते हैं where does pegion live
कबूतर का सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक है, यह सभी जानते है। कबूतर अपना घोंसला बनाकर रहना पसंद करते है।
वे घोंसला बड़ी-बड़ी इमारतों (Buildings) और हवेली (Haveli) में भी बनाते है। कबूतरों का मुख्य भोजन दाने, है जिसे कबूतर बहुत पसंद करते है।
कबूतर प्राचीन काल के सन्देश वाहक (Massanger) कहलाते है। कहा जाता है पुराने समय में चिट्ठी या कोई भी सन्देश अगर कही पहुचाँना हो,
तो वह चिट्ठी कबूतर के गले में बांध दिया करते थे और वह कबूतर उस चिट्ठी को वहाँ पहुँचा देता था। इसलिए कबूतर पक्षी का सन्देश वाहक के रूप में
इतिहास बहुत ही पुराना (history) है क्योंकि कबूतर का उपयोग हजारों वर्षों पूर्व से ही राजा महाराजा किया करते थे।
राजा अकबर कबूतरों के बहुत शौकीन थे। इसलिए वे कबूतरों को दाना देते और उनके महल में भी हजारों की तादाद में कबूतर रहते थे।
कबूतर की संरचना structure of pegion
कबूतर देखने में बहुत ही सुन्दर पक्षी है, जो विश्व भर में पाया जाता है, कबूतर कई प्रजातियाँ है, लेकिन हमारे भारत में ये केवल सफ़ेद और सिलेटी
दो रंगों के कबूतर ही देखने को मिलते है। इनका पूरा शरीर सफ़ेद रंग के पंखों से ढका होता है। जो बड़ा ही मनमोहक लगता है।
कबूतर के पंख कबूतर को उड़ने में उनकी सहायता करते है और मौसम के अनुसार शरीर के तापमान को नियंत्रित भी करते है।
ताकि वे सभी प्रकार के मौसम में अच्छी तरह अपना जीवन निर्वाह कर सके यह कहना बिलकुल सही है कि कबूतर किसी भी मौसम में अपने पंखो की मदद से रह सकते है।
कबूतर की एक चोंच होती है जिसके ऊपर की ओर दो छोटे-छोटे छिद्र पाए जाते है। इनकी मदद से कबूतर सांस ले सकते है।
कबूतर की दो प्यारी सी गोल-गोल आँखे (Eyes) भी होती है, जो कबूतर की प्रजाति के अनुसार भूरे या लाल रंग की होती है।
इसके साथ मादा कबूतर के गले पर काली गोलाई वाली रेखा देखी जा सकती है। जो देखने में सुन्दर हार रुपी और नुकीले दो पंजे भी होते है।
कबूतर की गर्दन बहुत ही मुलायम होती है और सिलेटी रंग के कबूतर की गर्दन में बैगनी रंग की रेखा उपस्थित होती है।
जो गले के चरों तरफ से घेरा बनाती है और सुंदर प्रतीत होती है। कबूतर खुले आसमान में काफी देर तक बिना रुके उड़ सकते है।
कबूतर का वजन (wieght) लगभग 1 से लेकर 1.5 किलो तक हो सकता है। तथा लम्बाई 15 से लेकर 17 सेमी. होती है।
उनकी आवाज़ गुटरगूं-गुटरगूं आती है जो हमें सुनने में बहुत ही अच्छी मधुर लगती है।
कबूतर के बारे में रोचक जानकारी interesting information about pegion
कहा जाता है कि कबूतर को घर में पालने से भाग्य अच्छा होता है। कबूतर की कोई भी बात याद रखने की स्मरण शक्ति बहुत अधिक होती है।
इसीलिए पहले इनका उपयोग सन्देश लाने और ले जाने के लिए किया करते थे।
हालाँकि आज के समय में वैज्ञानिक पद्धति आ जाने के कारण कबूतर की सहायता लेना लोगों ने बंद कर दिया है।
कबूतर का ह्रदय 1 मिनट में लगभग 600 बार धड़कता है। कबूतर एक ऐसा पक्षी है, जो रेगिस्तान जैसे गर्म स्थानों के साथ अत्यंत ठंडे बर्फ वाले
क्षेत्रों में भी रह सकता है। कबूतर इतना समझदार होता है कि यह शीशे में अपने आप को देखकर आसानी से पहचान लेता है।
कबूतर का आयुकाल लगभग 6 साल का होता है। और एक घंटे में 60 से 70 किलोमीटर तक उड़ सकता है। कबूतर जमीन से 6000 मीटर की ऊंचाई
तक यह अपनी उड़ान भरता है। तथा एक संवेदनशील पक्षी है यह आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को पहले से जान जाते है।
कबूतरों की स्मरण शक्ति (Memory power) के तेज़ होने के कारण बहुत दूर जाने के बाद भी अपने घर आसानी से वापस आ जाते है।
कबूतर पक्षी एकबार में दो अंडे देता है, जिनसे 19 से 20 दिन के बाद चूजे बाहर निकल आते है।
मादा कबूतर लगभग छह माह की उम्र में प्रजनन करने लायक हो जाती है। कबूतर एक साथ झुण्ड में रहना ज्यादा पसंद करते है
न कि अकेले इसीलिए ये अपना घोंसला इंसानों के घरों या उनकी इमारतों की दीवारों पर ही बनाते है।
कबूतर का प्राचीन इतिहास Ancient History of Pigeon
कबूतर प्राचीनकाल से संदेशवाहक का काम करते आ रहे है। इसलिए इन्हे डाकिया (Postman) की संज्ञा दी जाती है। पहले जब युद्ध हुआ करते थे,
उस समय कोई भी ऐसा साधन माध्यम नहीं हुआ करता था जिससे आसानी से अपनी बात या सन्देश दूसरे साथी तक पहुंचा सके.
इसलिए उस समय कबूतर की सहायता से हम अपने सन्देश (Message) का आदान-प्रदान करते थे
क्योंकि कबूतर ही प्राचीन काल में एकमात्र ऐसा पक्षी था है जिसमे इंसान को पहचानने की शक्ति और स्मरण शक्ति तेज़ होती है।
इसलिए कबूतर हमारे दोस्त होते है और पृथ्वी पर एक ऐसा उपहार है, जो मनुष्य को विभिन्न प्रकार से मदद करता है.
इसीलिये हमें कबूतर की देखभाल (Care) करनी चाहिये उनका संरक्षण करना चाहिए उनको मारना नहीं चाहिये।
कबूतर पर 10 वाक्य Ten Sentence on Pegion
- कबूतर एक पक्षी है, जो सुंदर सफ़ेद और सिलेटी रंग का पक्षी होता है।
- कबूतर विश्व के कई देशों में पाए जाते हैं लेकिन मिश्र, चीन, सऊदी अरब में यह सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।
- कबूतर का उपयोग प्राचीन काल में संदेश भेजने के लिए किया जाता था।
- कबूतर एक ऐसा पक्षी है, जिसे बहुत ही शुभ और शांति का पक्षी माना जाता है।
- कबूतर भूसा और खासकर अनाज, चावल, बाजरा और दाने खाते हैं, वही उनका मुख्य भोजन है।
- कबूतर अधिकतर लोगों के घरों की छतों में दुकानों की शटरों में रहना पसंद करते हैं।
- कबूतर बहुत ही होशियार और बुद्धिमान पक्षी होते हैं, कियोकि यह एक बार जो रास्ता देख लेते हैं उसे नहीं भूलते हैं।
- कबूतर एक ऐसा पक्षी होता है, जो बहुत ज्यादा ऊंचाई तक उड़ान भरने में समर्थ सकते हैं।
- एक स्वस्थ्य कबूतर का वजन 1 से 1.5 किलो होता है जबकि लंबाई 10-15 सेंटीमीटर प्रजाति के अनुसार होती है।
- एक कबूतर की आयु लगभग 5 से 10 साल होती है। किन्तु इनकी प्रजाति के अनुसार थोड़ा अंतर भी देखा जाता है।
चींटी और कबूतर की कहानी Story of Ants and Pegion
एक बार की बात है, कड़कती गर्मियों में एक चींटी को बहुत प्यास लग रही थी। तो वह पानी की तलाश में एक नदी किनारे पहुँच गयी।
और नदी में पानी पीने के लिए चींटी एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी लेकिन फिसलते हुए नदी में जा गिरी। और पानी का वहाव तेज़ होने से वो नदी में बहने लगी।
उसी समय पास ही में एक पेड़ पर कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को नदी में गिरते हुए देख लिया।
कबूतर ने तुरंत एक पत्ता तोडा और नदी में चींटी के पास फेंक दिया जिसपर चींटी चढ़ गयी।
कुछ देर बाद चींटी नदी किनारे पहुंची और वह पत्ते से उतर कर सूखी ज़मीन पर आ गयी। और कबूतर को धन्यबाद दिया।
उसी दिन शाम को उसी दिन एक शिकारी कबूतर को पकड़ने आया। तब कबूतर पेड़ पर आराम कर रहा था और उसको शिकारी के आने का पता ही नहीं था।
किन्तु चींटी ने शिकारी को देख लिया तथा जल्दी से चींटी नें शिकारी के पैर पर जोर से काटा।
जिससे शिकारी की चीख निकल गयी और कबूतर जागकर उड़ गया।
दोस्तों इस लेख में आपने कबूतर पर निबंध (Essay on Pegion ) के साथ कबूतर के बारे में जानकारी और चींटी और कबूतर की कहानी पढ़ी, आशा करता हुँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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