ज्वालामुखी पर निबंध हिंदी में Essay on volcano in hindi
ज्वालामुखी पर निबंध हिंदी में Essay on volcano in hindi
हैलो दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख ज्वालामुखी पर निबंध हिंदी में (Essay on Volcano in hindi)। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप ज्वालामुखी किसे कहते है?
ज्वालामुखी के प्रकार,ज्वालामुखी विस्फोट क्या है? आदि कई महत्वपूर्ण तथ्यों को जान सकेंगे, तो आइये दोस्तों शुरू करते है, यह लेख ज्वालामुखी पर निबंध हिंदी में :-
ज्वालामुखी किसे कहते है what is volcano
ज्वालामुखी एक प्राकृतिक घटना (Natural Disaster) है, जो पृथ्वी पर लंबे परिवर्तन के कारण संभव होती है। यह इतनी विनाशकारी घटना होती है,
कि दूर - दूर तक अपना प्रभाव (Effect) लंबे समय तक फैलाती रहती है। ज्वालामुखी पृथ्वी तल पर एक प्रकार का छिद्र या दरार होती है।
जिससे पृथ्वी के अंदर का गर्म पदार्थ है, जिसमें लावा,राख,जलवाष्प,विषैली गैसे बाहर निकलती हैं, जो दूर-दूर तक के क्षेत्रों में फैल जाती है, और विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम उत्पन्न कर देती हैं।
ज्वालामुखी में लगभग 80 से 90% तक जलवाष्प पाई जाती हैं। जिनमें कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन जैसी गैंसे भी होती है।
पृथ्वी के अंदर ठोस पदार्थ अत्यधिक उच्च वाष्प दाब तथा तापमान के कारण तरल पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है तब उस पदार्थ को पृथ्वी के अंदर मैग्मा (Magma) कहा जाता है।
और जब यही पदार्थ पृथ्वी के ऊपर किसी छिद्र या दरार के द्वारा बाहर निकलता है, तब उस पदार्थ को लावा (Lava) कहा जाता है।
लावा के साथ विभिन्न प्रकार की विषैली गैसे, जलवाष्प और धूल के कण निकलते हैं, जो आसपास के वातावरण को प्रदूषित करके जहरीला बना देते हैं।
ज्वालामुखी उत्पन्न होने पर जाहरीली गैसों धूलकणों से दूर-दूर तक काले बादल छा जाते हैं। कभी-कभी ज्वालामुखी उदगार में ज्वालामुखी पदार्थ के साथ छोटे-छोटे चट्टानों के टुकड़े भी निकलते हैं जिन्हे पायरोक्लास्ट (Pyroclast) कहते हैं।
ज्वालामुखी के प्रकार Type of volcano
ज्वालामुखी की सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी को तीन प्रकारों में बांटा गया है:-
सक्रिय ज्वालामुखी Active volcano
सक्रिय ज्वालामुखी ऐसे ज्वालामुखी होते हैं, जिनसे लगातार धुंआ, वाष्प, गैंसे, लावा आदि विषैले पदार्थ पृथ्वी पर निकलते रहते हैं।
तथा आसपास के वातावरण को प्रदूषित और जहरीला बना देते हैं। संसार में ऐसे विभिन्न प्रकार के सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिनसे लंबे समय से लावा, विषैली गैंसे और जहरीले पदार्थ निकल रहे हैं।
सिसली दीप का माउंट एटना , अंटार्कटिका का माउंट इरेबस, अंडमान निकोबार का बैरन दीप, अर्जेंटीना का ओजस डेल सैलाडो, इक्वेडोर का कोटोपैक्सी, आदि सभी सक्रिय ज्वालामुखी के उदाहरण है।
प्रसुप्त ज्वालामुखी Dormant volcano
प्रसुप्त ज्वालामुखी ऐसे ज्वालामुखी होते हैं, जिनमें पहले कभी उद्गार हुआ था, किंतु अभी उद्गार नहीं हो रहा है लेकिन भविष्य में कभी भी उद्गार हो सकता है।
ऐसी ज्वालामुखी अधिक खतरनाक (Dangerous) होते हैं, क्योंकि इनका उदगार होने का कोई निश्चित समय नहीं रहता।
इटली का विसूवियास, अंडमान निकोबार का नारकोंडम द्वीप का ज्वालमुखी, जापान का फुजियामा, इंडोनेशिया का क्राकाटाओ आदि प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano) की श्रेणी में आते हैं।
मृत ज्वालामुखी या शांत ज्वालामुखी Dead volcano
मृत ज्वालामुखी या शांत ज्वालामुखी ऐसे ज्वालामुखी होते हैं, जिनमें अतीत में कभी उदगार हुआ था। किंतु अब उद्गार होने कि कोई भी संभावना नहीं है।
ऐसे ज्वालामुखी मृत या शांत ज्वालामुखी की श्रेणी में आते हैं। म्यांमार का तंजानिया का किलिमंजारो, इक्वेडोर का चिंबोराजो, ईरान का कोह सुल्तान एवं देवबंद, आदि मृत ज्वालामुखी के उदाहरण है।
ज्वालामुखी विस्फोट क्या है what is a volcanic eruption
जब पृथ्वी के अंदर कई प्रकार की क्रियायें होती है, जिसमें मैग़्मा (Magma) बनता है, तथा शीतल होकर जम जाता है। और पृथ्वी के अंदर कई प्रकार की चट्टानों का भी निर्माण कर लेता है।
किन्तु जब पृथ्वी के अंदर ताप और दाब (Pressure) अधिक हो जाता है, तब यह पृथ्वी के अंदर का जमा हुआ पदार्थ मैग्मा तरल पदार्थ में बदल जाता है
और धरातल पर किसी छिद्र, दरार के कारण इतनी तीव्र गति से बाहर निकलता है, कि पृथ्वी तल पर एक भयानक विस्फोट (Explotion) होता है।
जिसकी ध्वनि दूर-दूर तक करीब 5000 किलोमीटर तक भी सुनाई देती है, जिसे ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic eruptions) कहते है। साधारण शब्दों में पृथ्वी के अंदर का गर्म पदार्थ जैसे
लावा (Lava) विभिन्न प्रकार की गैस (Gases) तथा जलवाष्प (Water vapour) तीव्र गति से पृथ्वी की सतह से बाहर निकलने लगता है, तब भयानक ध्वनि होती है, उस स्थिति को ज्वालामुखी विस्फोट (Volcano eruption) कहा जाता है।
ज्वालामुखी विस्फोट में पृथ्वी के धरातल पर पृथ्वी के अंदर का तरल पदार्थ लावा जो विभिन्न प्रकार की धातुओं (Metals) चट्टानों (Rock) से निर्मित होता है,
जिसमें विभिन्न प्रकार की गैंसे जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) नाइट्रोजन (N2) सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) के जलवाष्प इतनी तीव्र गति से बाहर आते हैं, कि कई मीलों दूर दूर तक यह सभी पदार्थ फैल जाता है,
वायुमंडल में अंधेरा सा छा जाता है, जिससे मनुष्य, पशु- पक्षी सभी जीव-जंतु वनस्पति आदि को विभिन्न प्रकार के नुकसान पहुंचते हैं, तथा ज्वालामुखी विस्फोट के आसपास का जीवन तो नष्ट ही हो जाता है।
ज्वालामुखी कैसे बनता है How does a volcano form
ज्वालामुखी धरातल के नीचे लंबे समय से परिवर्तन के कारण बनता है। जब धरातल के नीचे पृथ्वी के अंदर मैग्मा शीतल हो जाता है, और जमता है।
जिसमें बेथोलिथ,(Betholith) फैकोलिथ (Phacolith) लैकोलिथ (laccolith) आदि विभिन्न प्रकार की अंतास्थलाकृतियाँ भी बन जाती है। पृथ्वी के अंदर उच्च तापमान और दाब पर यह चट्टाने तरल और गर्म पदार्थ में परिवर्तित होना शुरू हो जाते हैं।
जिसे पृथ्वी के अंदर मैग्मा कहा जाता है। मैग्मा के साथ पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के गैसे, जलवाष्प, धूल के कण (Dust particles) भी होते हैं।
जब पृथ्वी के अंदर ताप (Tempreture) और दाब (Pressure) इतना अधिक हो जाता है, कि पृथ्वी के अंदर की प्लेटें (Plates) खिसकने लगती है,
और मैग्मा को निकलने के लिए एक जगह दे देती हैं, जिससे होकर मैग्मा (Magma) पृथ्वी के धरातल पर आकर गिरता है, तथा ठंडा होकर लावा (Lava) कहलाता है।
ज्वालामुखी से लाभ और हानि Benefits and harms of volcanoes
एक तरफ ज्वालामुखी मनुष्य, जीव जंतु तथा वनस्पति आदि के लिए हानिकारक होती है। वहीं दूसरी तरफ इसके कई प्रकार के लाभ भी होते हैं।
ज्वालामुखी से लाभ Benefits of volcano
ज्वालामुखी के उदगार से विभिन्न प्रकार की झीलों का निर्माण हो जाता है, जो जल स्त्रोत (Water Source) के रूप में तथा मछली पालन के स्रोत (Source of fish) में भी उपयोग में लाई जाती हैं।
ज्वालामुखी के कारण बड़े-बड़े पर्वत, पहाड़ (Mountain) और पठारों (Plateaus) का निर्माण हो जाता है। इन पर्वत, पहाड़ से पत्थरों को तोड़कर सड़क निर्माण, मकान तथा पुल निर्माण का कार्य किया जाता है।
ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा विभिन्न प्रकार की धातुओं का का मिश्रण होता है। अतः लावा से ठंडा होने पर धातुओं (Metals) का निष्कर्षण किया जाता है।
ज्वालामुखी पर्वतों में हीरा तथा सोना अधिक मात्रा में निकलता है। दक्षिण अफ्रीका के किंबरलाइट चट्टान (kimberlite rock) एक ज्वालामुखी चट्टान है, जहाँ से हीरा (Diamond) उत्पादन होता है।
ज्वालामुखी से हानि Damage from volcano
ज्वालामुखी आने पर उस क्षेत्र की वनस्पति (Vegetation) तथा जीव-जंतुओं का अस्तित्व खत्म हो जाता है। वनस्पति नष्ट हो जाती है, तथा जीव-जंतु ज्वालामुखी के चपेट में आकर मर जाते हैं।
ज्वालामुखी आने पर लोगों के घर मकान यहाँ तक कि शहर के शहर (Cities) तबाह हो जाते हैं। उस क्षेत्र की सभी गतिविधियाँ नष्ट हो जाती हैं।
ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न गैंसे, धूल के कण, जलवाष्प वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं और लंबे समय तक वायुमंडल को प्रदूषित (Environmental Pollution) करती रहती हैं।
ज्वालामुखी उद्गार के जरिए उत्पन्न होने वाली विभिन्न प्रकार की विषैली गैंसे हवा के माध्यम से दूर-दूर तक फैल जाती हैं। तथा अपनी रास्ते में आने वाले प्रत्येक जीव जंतु तथा वनस्पति को नष्ट कर देती हैं।
ज्वालामुखी उदगार (By volcanic eruption) द्वारा फैली राख (Ashes) से कई किलोमीटर दूर तक की भूमि बंजर (Narren) हो जाती है।
ज्वालामुखी से बचने के उपाय ways to avoid volcanoes
ज्वालामुखी एक ऐसी घटना है, जिसे प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) कहा जाता है, क्योंकि इस आपदा के आने का कोई निश्चित समय नहीं रहता।
इसीलिए ज्वालामुखी संवेदनशील क्षेत्रों का पता लगाकर उन क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप पूर्णता वर्जित (Prohibited) कर देना चाहिए।
ज्वालामुखी संवेदनशील क्षेत्रों से दूर मानव बस्ती बसाई जानी चाहिए। ज्वालमुखी संवेदनशील क्षेत्रों में उस प्रकार की वनस्पति (Vagitation) को उगाना चाहिए जो ज्वालामुखी द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभावों को सहन करने की शक्ति रखती हो।
ज्वालामुखी के बारे में रोचक बातें Interesting facts about volcano
- ज्वालामुखी से बाहर निकलने वाले पदार्थ को जो ठंडा होकर जमता है, उसे लावा कहते हैं, तथा लावा के झाग से बनने वाले शिलाखंड को पुमिस (Pumice) कहते हैं।
- पृथ्वी पर जिस दरार से लावा निकलता है, उसके चारों ओर लावा जमा हो जाता है, और एक चट्टान का निर्माण कर लेता है, जिसे ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है।
- ज्वालामुखी पर्वत के ऊपर बीच में एक छोटा सा छिद्र होता है, जिसमें से लावा और गर्म गैसे निकलती हैं, उसको ज्वालामुखी छिद्र कहते हैं।
- जब ज्वालामुखी पर्वत पर ज्वालामुखी क्षेत्र बहुत बड़ा हो जाता है, या फैल जाता है, तब उस छिद्र को क्रेटर (Crater) कहा जाता है।
- ज्वालामुखी क्षेत्र से चट्टानों के छोटे-छोटे कुछ सेंटीमीटर व्यास बाले चट्टानों के टुकड़े निकलते हैं, जिन्हें लैपिली (lapilli) कहा जाता है।
- जब ज्वालामुखी क्षेत्र से चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े जो चने के आकार के होते हैं, निकलते हैं तो उनको स्कोरिया (Scoria) कहा जाता है।
- संसार में सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी अमेरिका और एशिया महाद्वीप के तटों पर होते हैं, जबकि आस्ट्रेलिया (Australia) में एक भी ज्वालामुखी नहीं है।
- विश्व की सबसे ज्यादा ज्वालामुखी घटनाएं प्रशांत महासागर क्षेत्रों (Pacific ocean regions) में देखने को मिलती हैं।
- विश्व का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी फिलीपाइन दीप समूह (Philippine Islands) है।
विश्व के ज्वालामुखी World's volcano
भारत के ज्वालामुखी India's Volcano
निष्कर्ष Conclusion
दोस्तों इस लेख में आपने ज्वालामुखी पर निबंध हिंदी में (Essay on Volcano in hindi) पड़ा। आशा करता हुँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
इसे भी पढ़े:-
Comments
Post a Comment