महर्षि बाल्मीकि कौन थे who was Maharishi Balmiki in hindi
महर्षि बाल्मीकि कौन थे who was Maharishi Balmiki in hindi
हैल्लो दोस्तों इस लेख महर्षि बाल्मीकि कौन थे। Who was Maharishi Balmiki in hindi में आपका बहुत बहुत स्वागत है।
इस लेख में रामायण रचयिता महर्षि बाल्मीकि का जीवन परिचय का वर्णन सरल भाषा में किया गया है। इसके साथ ही महर्षि बाल्मीकि का जन्म कैसेेेे हुआ ?
उनका पालन पोषण कैसे हुआ? आदि के बारे में जानेंगे तो आइये पढना शुरू करते है, यह लेख महर्षि बाल्मीकि कौन थे:-
महर्षि बाल्मीकि कौन थे Who was Maharishi Balmiki
महर्षि बाल्मीकि सतयुग के एक महान ऋषि हुआ करते थे। जिनका वास्तविक नाम रत्नाकर था,तथा उन्हें डाकू माल्या के नाम से भी जाना जाता था।
महर्षि बाल्मीकि का जन्म अश्विन पूर्णिमा को हुआ था। इनके पिता प्रणेता के मानस पुत्र थे। महर्षि बाल्मीकि को बचपन में ही एक भीलनी ने चुरा लिया था और उसने ही उनका पालन पोषण किया।
महर्षि बाल्मीकि ने जंगल में रहने वाली भील जाती की परंपरा को अपनाया और एक भीलनी से शादी करके कई पुत्र उत्पन्न किये तथा उनके भरण पोषण के लिए डाकू बन गए।
महर्षि बाल्मीकि जयंती Maharishi balmiki jayanti
महर्षि बाल्मीकि एक महान ऋषि थे। जिन्होंने देवी सीता को आश्रय प्रदान कर उनकी सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त किया था। महर्षि बाल्मीकि की जयंती अश्विन मास की पूर्णिमा को 31 अक्टूबर को मनाई जाती है।
जिसका प्रभाव उत्तर भारत में अधिक देखने को मिलता है। उनकी जयंती के दिन महर्षि बाल्मीकि की पूजा की जाती है, उनकी झांकी सजाई जाती है, तथा शोभायात्रा भी निकाली जाती है।
महर्षि बाल्मीकि की महान गाथा का गुणगान किया जाता है, और अंत में प्रसाद बाँटा जाता है। वास्तव में यह एक बड़ा ही शुभ दिन होता है।
महर्षि बाल्मीकि कहानी story of Maharishi Balmiki
सतयुग के समय में एक समय डाकू वाल्या हुआ करता था, जो बहुत र्निदयी था। वह अपने हाथ मे धारदार कुल्हाडी लिये और गले मे व्यक्तियो के कटे हुऐ उगलियो की माला लटकाये वन मे जाया करता था।
और वन मे से होकर जाने वाले यात्रियो को लूट लिया करता था और उनके उगलियो को काटकर उसे अपने गले की माला बनाकर पहनता था।
डाकू माल्या का इतना भय था कि उसके डर से कोई भी यात्री उस वन से नही जाता था। एक दिन डाकू वाल्या वन मे से होकर जाने वाले यात्रियो का इंतजार कर रहा था।
तभी देवर श्रीनारद और अन्य ऋषि उसी वन से होकर जा रहे थे। डाकू वाल्या ने देवर श्रीनारद और ऋषियों को रोका और उनसे उनकी सारी चीजे छीनना चाही।
तभी देवर श्रीनारद ने डाकू वाल्या से कहा! तुम मेरा सारा सामान ले लेना लेकिन उससे पहले मेरे एक सवाल का जवाब दो।
तुम इस वन से होकर जाने वाले यात्रियो का सारा सामान लूट कर और उनकी उगलियाँ काट लेते हो क्या उनकी कटी हुई उगलियाँ वापस जोड सकते हो?
यह सुन डाकू वाल्या ने कहा! ये कैसे संभव है? देवर श्रीनारद ने कहा! यदि जोड नही सकते तो काटते क्यो हो?
ये बताओ तुम यात्रियो को क्यो लूटते हो डाकू वाल्या ने कहा! मै यात्रियो को लूटकर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करता हुँ।
देवर श्रीनारद ने कहा! क्या तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारे इस पापकर्म के भागीदार है, डाकू वाल्या ने कहा! हाँ मेरा परिवार मेरे साथ है। देवर श्रीनारद ने कहा!
नही मै नही मानता तुम घर जाओ और अपने परिवार से पूछ कर आओ तब तक मै यही रहूँगा। डाकू वाल्या ने कहा! तुम मुझसे छल करना चाहते हो।
देवर श्रीनारद ने कहा! अगर तुम्हे हम पर विश्वास नहीं है, तो ये मेरा वाद्य यंत्र ले जाओ और हमें एक रस्सी से इस बृक्ष से बांध जाओ
डाकू वाल्या वाद्य यंत्र ले जाता है और उन्हें एक रस्सी से पेड़ से बांध देता है तथा अपने घर जाकर अपने परिवार से पूछता है।
परिवार मे पत्नी और बच्चे रहते है। पत्नी बोलती है! आप हमारे जरूरतो को पूरा करने के लिये जो कुछ भी करते है वो आपका कर्तव्य है।
उसमे हमारी किसी भी प्रकार से कोई भी भगीदारी नही है। यह सुनकर डाकू वाल्या निराश हुआ और देवर श्रीनारद के पास गया और चरणों में गिरकर कहने लगा !
आपने ठीक कहा था मेरे परिवार वाले मेरे पापकर्म में सहयोगी नहीं है। अब आप ही मेरा मार्गदर्शन करे देवर श्रीनारद ने कहा! तुम भगवान विष्णु के अवतार राम नाम का जाप करो
उसी समय से डाकू वाल्या राम नाम जपने लगा डाकू वाल्या राम नाम को मरा बोलता था। क़्योकी उसने हमेशा ये मरा वो मरा शब्द का ही प्रयोग किया था।
वह राम नही बोल पाता था। किन्तु बार बार मरा बोलने से राम का उच्चारण होने लगा। और उनके सभी पापकर्म धुल गए इस तरह डाकू वाल्या महाज्ञानी त्रिकालदर्शी ऋषि वाल्मिकि बने।
महर्षि बाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा maharishi Balmiki inspire to write Ramayan
जब महर्षि बाल्मीकि अपने कर्मो का पश्चताप कर रहें थे। तो वह राम का नाम बड़ी मुश्किल से ले पा रहें थे। क़्योकी उन्होंने हमेशा काटो मारो वो मरा जैसे शब्दों को अपनाया था।
इसलिए वे राम की जगह मरा मरा कहने लगे उनका शरीर सूख कर कांटा हो गया और चीटियाँ लग गयी जिससे उन्हें बाल्मीकि का नाम मिला।
उन्होंने कठिन तप किया और ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया तथा ब्रम्हा जी ने महर्षि बाल्मीकि को रामायण लिखने की शक्ति प्रदान की।
दोस्तों इस लेख में आपने महर्षि वाल्मीकि कौन थे (who was maharishi balmiki) महर्षि वाल्मीकि का परिचय था कहानी पढ़ी आशा करता हूँ, और लेख आपको अच्छा लगा होगा।
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