मंगल देवता के 108 नाम Mangal devta ke 108 naam
मंगल देवता के 108 नाम Mangal devta ke 108 naam
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख मंगल देवता के 108 नाम (108 Names of Mangal devta) में। दोस्तों इस लेख के जरिए आप मंगल देवता कौन है,
के साथ ही मंगल देवता की उत्पत्ति कैसे हुई कथा के बारे में भी जान पाएंगे। तो आइए दोस्तों पढ़ते हैं, यह लेख मंगल देवता के 108 नाम:-
मंगलदेव कौन है Who was Mangaldev
मंगल देव मंगल ग्रह के स्वामी है जिन्हे पृथ्वी का पुत्र तथा युद्ध का देवता माना जाता है। मंगल देव का रंग लाल होता है। कुछ पौराणिक ग्रंथो मे बताया जाता है
कि मंगल देव ब्रह्मचारी है, अर्थात वह अभी तक अविवाहित है। किन्तु कुछ ग्रंथो मे मंगलदेव की पत्नी का नाम जवालिनी देवी है। मंगल देव का वाहन भेड़ है जबकि उनके हाथों मे
त्रिसूल भाला गदा तथा पद्म शोभामान होते है। मंगल को मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी तथा सात दिनों मे से मंगलवार का शासक कहा जाता है।
मंगल देवता के 108 नाम Mangal devta ke 108 naam
यहाँ पर मंगल देवता के 108 नाम दिए गए है, जिनका जाप मंगलवार को करना अति लाभदायक होता है। कहा जाता है
कि मंगल सभी ग्रहों मे सबसे हानिकारक होता है। ऐसे मे अगर आप अपना मंगल चाहते है तो आप मगल ग्रह के 108 नाम का जाप अवश्य करें।
मंगल देव के 108 नाम का जाप मंगलवार को किसी भी पवित्र स्थान पर बैठकर कर सकते है। ऐसा करने से आपकी शारीरिक ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ेगा। क्रोध तनाव तथा टेंसशन से मुक्ति मिलेगी।
मंगल के 108 नाम 108 Names of Mangal Dev
1.ॐ महीसुताय नमः।
2. ॐ महाभागाय नमः।
3. ॐ मङ्गलाय नमः।
4. ॐ मङ्गलप्रदाय नमः।
5. ॐ महावीराय नमः।
6. ॐ महाशूराय नमः।
7. ॐ महाबलपराक्रमाय नमः।
8. ॐ महारौद्राय नमः।
9. ॐ महाभद्राय नमः।
10. ॐ माननीयाय नमः।
11. ॐ दयाकराय नमः।
12. ॐ मानदाय नमः।
13. ॐ अपर्वणाय नमः।
14. ॐ क्रूराय नमः।
15. ॐ तापत्रयविवर्जिताय नमः।
16. ॐ सुप्रतीपाय नमः।
17. ॐ सुताम्राक्षाय नमः।
18. ॐ सुब्रह्मण्याय नमः।
19. ॐ सुखप्रदाय नमः।
20. ॐ वक्रस्तम्भादिगमनाय नमः।
21. ॐ वरेण्याय नमः।
22. ॐ वरदाय नमः।
23. ॐ सुखिने नमः।
24. ॐ वीरभद्राय नमः।
25. ॐ विरूपाक्षाय नमः।
26. ॐ विदूरस्थाय नमः।
27. ॐ विभावसवे नमः।
28. ॐ नक्षत्रचक्रसञ्चारिणे नमः।
29. ॐ क्षत्रपाय नमः।
30. ॐ क्षात्रवर्जिताय नमः।
31. ॐ क्षयवृद्धिविनिर्मुक्ताय नमः।
32. ॐ क्षमायुक्ताय नमः।
33. ॐ विचक्षणाय नमः।
34. ॐ अक्षीणफलदाय नमः।
35. ॐ चतुर्वर्गफलप्रदाय नमः।
36. ॐ वीतरागाय नमः।
37. ॐ वीतभयाय नमः।
38. ॐ विज्वराय नमः।
39. ॐ विश्वकारणाय नमः।
40. ॐ नक्षत्रराशिसञ्चाराय नमः।
41. ॐ नानाभयनिकृन्तनाय नमः।
42. ॐ वन्दारुजनमन्दाराय नमः।
43. ॐ वक्रकुञ्चितमूर्धजाय नमः।
44. ॐ कमनीयाय नमः।
45. ॐ दयासाराय नमः।
46. ॐ कनत्कनकभूषणाय नमः।
47. ॐ भयघ्नाय नमः।
48. ॐ भव्यफलदाय नमः।
49. ॐ भक्ताभयवरप्रदाय नमः।
50. ॐ शत्रुहन्त्रे नमः।
51. ॐ शमोपेताय नमः।
52. ॐ शरणागतपोषनाय नमः।
53. ॐ साहसिने नमः।
54. ॐ सद्गुणाध्यक्षाय नमः।
55. ॐ साधवे नमः।
56. ॐ समरदुर्जयाय नमः।
57. ॐ दुष्टदूराय नमः।
58. ॐ शिष्टपूज्याय नमः।
59. ॐ सर्वकष्टनिवारकाय नमः।
60. ॐ दुश्चेष्टवारकाय नमः।
61. ॐ दुःखभञ्जनाय नमः।
62. ॐ दुर्धराय नमः।
63. ॐ हरये नमः।
64. ॐ दुःस्वप्नहन्त्रे नमः।
65. ॐ दुर्धर्षाय नमः।
66. ॐ दुष्टगर्वविमोचनाय नमः।
67. ॐ भरद्वाजकुलोद्भूताय नमः।
68. ॐ भूसुताय नमः।
69. ॐ भव्यभूषणाय नमः।
70. ॐ रक्ताम्बराय नमः।
71. ॐ रक्तवपुषे नमः।
72. ॐ भक्तपालनतत्पराय नमः।
73. ॐ चतुर्भुजाय नमः।
74. ॐ गदाधारिणे नमः।
75. ॐ मेषवाहाय नमः।
76. ॐ मिताशनाय नमः।
77. ॐ शक्तिशूलधराय नमः।
78. ॐ शाक्ताय नमः।
79. ॐ शस्त्रविद्याविशारदाय नमः।
80. ॐ तार्किकाय नमः।
81. ॐ तामसाधाराय नमः।
82. ॐ तपस्विने नमः।
83. ॐ ताम्रलोचनाय नमः।
84. ॐ तप्तकाञ्चनसङ्काशाय नमः।
85. ॐ रक्तकिञ्जल्कसन्निभाय नमः।
86. ॐ गोत्राधिदेवाय नमः।
87. ॐ गोमध्यचराय नमः।
88. ॐ गुणविभूषणाय नमः।
89. ॐ असृजे नमः।
90. ॐ अङ्गारकाय नमः।
91. ॐ अवन्तीदेशाधीशाय नमः।
92. ॐ जनार्दनाय नमः।
93. ॐ सूर्ययाम्यप्रदेशस्थाय नमः।
94. ॐ घुने नमः।
95. ॐ यौवनाय नमः।
96. ॐ याम्यहरिन्मुखाय नमः।
97. ॐ याम्यदिङ्मुखय नमः।
98. ॐ त्रिकोणमण्डलगताय नमः।
99. ॐ त्रिदशाधिपसन्नुताय नमः।
100. ॐ शुचये नमः।
101. ॐ शुचिकराय नमः।
102. ॐ शूराय नमः।
103. ॐ शुचिवश्याय नमः।
104. ॐ शुभावहाय नमः।
105. ॐ मेषवृश्चिकराशीशाय नमः।
106. ॐ मेधाविने नमः।
107. ॐ मितभाषणाय नमः।
108. ॐ सुखप्रदाय नमः।
मंगल ग्रह का स्वामी कौन है Mangal grah ka swami kon hai
मंगल ग्रह का स्वामी मंगल देव को माना जाता है। जो पृथ्वी माता के पुत्र हैं। भारतीय ज्योतिष में मंगल ग्रह को मंगल के नाम से भी जाना जाता है।
जिसे लाल रक्त वाला तथा युद्ध का देवता कहा जाता है। मंगल ग्रह शुक्र और पृथ्वी ग्रह के बीच में है। मंगल ग्रह अच्छाई पर चलने वाला ग्रह माना जाता है,
किंतु जब मंगल ग्रह को बुराई पर चलने की प्रेरणा मिलती है तो वह बुराई पर भी चलने लगता है इसलिए मंगल ग्रह को हानि कारक ग्रह माना जाता है।
मंगल देव की कथा Mangal dev ki katha
मंगल देव की कई कथाएँ हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कथा का वर्णन यहां पर किया गया है:-
मंगल ग्रह की उत्पत्ति की कथा
मंगल ग्रह की उत्पत्ति भगवान शिव शंकर से संबंधित है। मंगल ग्रह की उत्पत्ति भगवान शिव शंकर की ललाट से टपकी पसीने की तीन बूंदों से हुई थी।
यह कथा उस समय की है जब एक बार भगवान शिव शंकर कैलाश पर्वत पर घोर समाधि में लीन थे। सभी उनके माथे से पसीने की तीन बूंद पृथ्वी पर गिर पड़ी।
इन पसीने की बूंदो से एक सुंदर बालक का जन्म हुआ। इस बालक की चार भुजाएं थी तथा रंग लाल था। इस पुत्र का लालन-पालन माँ पृथ्वी देवी ने किया था।
जब मंगल बढ़े हुए तो वे काशी चले गए और भगवान शिव की आराधना करने लगे। भगवान शिव शंकर ने प्रसन्न होकर मंगल देव को दर्शन दिए
तथा शुक्र लोक से ऊपर ही मंगल लोक प्रदान कर दिया। इस प्रकार से मंगल देवता और मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई थी जो स्वयं महादेव शिव शंकर से उत्पन्न हुए थे।
दोस्तों आपने इस लेख में मंगल देवता के 108 नाम, (108 Names of Mangal Devta) मंगल देव कौन है, तथा मंगल देव की उत्पत्ति की कथा पढ़ी आशा करता हूँ यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
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