श्रवण कुमार का जीवन परिचय Shrvan kumar ka jivan Parichay
श्रवण कुमार का जीवन परिचय Shrvan kumar ka jivan Parichay
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख श्रवण कुमार का जीवन परिचय (Biography of shravan kumar) में। दोस्तों इस लेख में आप श्रवण कुमार का जीवन परिचय में श्रवण कुमार कौन थे,
श्रवण कुमार का जन्म, श्रवण कुमार के माता पिता अंधे कैसे हुए, राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कहानी आदि के बारे में पड़ेंगे। तो आइये दोस्तों करते है, यह लेख शुरू श्रवण कुमार का जीवन परिचय:-
श्रवण कुमार कौन थे Shrvan kumar kon the
श्रवण कुमार रामायण काल के एक वे महान पात्र है, जिनके समान समस्त संसार में कोई नहीं है। श्रवण कुमार को अपने अंधे माता - पिता की भक्ति, सेवा के लिए जाना जाता है।
कई ग्रंथो में श्रवण कुमार अंधक ऋषि के पुत्र थे। जो अपने अंधे माता पिता को ईश्वर से भी अधिक प्रेम और सेवा करते थे। त्रेता युग में श्रवण कुमार को मातृ और पितृ सेवा के लिए जाना जाता था।
आज भी उनके माता पिता की सेवा और भक्ति के उदाहरण दिए जाते है। श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता पिता को तीर्थ यात्रा का लाभ देने के लिए उन्हें अपने कंधो पर दो टोकरियो तथा डंडे (काँवर) की मदद से भृमण कराया।
श्रवण कुमार का जन्म Shrvan kumar ka janm
श्रवण कुमार का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनके पिता का नाम शांतनु जो महातपस्वी ज्ञानी थे और माता का नाम ज्ञानवन्ति देवी था जो एक ज्ञानी महिला थी।
श्रवण कुमार के पिता वैश्य तथा माता शूद्र जाति की थी। इसलिए उन्हें किसी गुरु से वेद वेदांग धर्म आदि का ज्ञान नहीं मिला। श्रवण कुमार के पिता और माता ही उनके सच्चे गुरु थे।
जिनसे उन्होंने माता पिता की सेवा, माता पिता की भक्ति और माता पिता की आज्ञा का पालन करना सीखा। कई कथाओं में बताया जाता है, कि श्रवण कुमार का जन्म शांतनु तथा ज्ञानवन्ति के
कठिन तप के कारण ब्रम्हा जी के आशीर्वाद से हुआ था। किन्तु ब्रम्हा जी ने कहा था तुम्हे अपने पुत्र को जन्म से ही दूर रखना होगा। किन्तु शांतनु और ज्ञानवन्ति ने ऐसा नहीं किया और जन्म होते ही श्रवण को देख लिया जिससे श्रवण के माता पिता अंधे हो गए।
श्रवण कुमार के माता पिता अंधे कैसे हुए Shrvan kumar ke Mata -Pita andhe kaise huye
कई कथाओं में श्रवण कुमार के माता पिता के अंधे होने के अलग अलग कारण बताये गए है, जिनमें से श्रवण कुमार के माता पिता अंधे एक त्रिजटा ऋषि के श्राप के कारण हुए थे।
यह श्राप उन्हें उनके पिछले जन्म में मिला था। बात उस समय की है, जब त्रिजटा ऋषि श्रवण कुमार के माता पिता के घर पहुँचे तो ऋषि के पैर
धूल मिट्टी से सने हुए थे। श्रवण कुमार के माता - पिता ऋषि के गंदे पैरों को देख घृणा से भरे हुए थे। तब श्रवण कुमार के माता पिता के पिता ने अपने पुत्र और बहु अर्थात श्रवण कुमार के माता और पिता को
ऋषि त्रिजटा के पैर धोने (पखारने) का आदेश दिया। पिता का आदेश पाकर पुत्र और बहु ऋषि के पैर तो धोने लगे किन्तु उन्होंने आंखे बंद कर ली।
जिससे क्रोधित होकर ऋषि त्रिजटा ने उन दोनों को श्राप दे दिया कि जो तुम दोनों ने एक ऋषि का अपमान उसके चरण धोते वक्त आँख बंद करके किया है,
इस पाप के लिए अगले जन्म में तुम दोनों अंधे हो जाओगे। यह श्राप पाकर दोनों ऋषि के चरणों में गिर पड़े तथा क्षमा मांगने लगे
तब ऋषि ने कहा तुम्हारा पुत्र श्रवण कुमार तुम्हारा सहारा बनेगा वह सच्चा माता पिता का सेवक तथा ऋषियों मुनियों जैसा ज्ञानी होगा।
राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कहानी Raja dashrath or Shrvan kumar ki Story
श्रवण कुमार को ही उसके माता पिता के अंधे होने का कारण बताया जाता है। इस प्रकार की चर्चा विभिन्न प्रकार के धर्म ग्रंथों में भी है।
श्रवण कुमार को इस बात का ज्ञान एक सिद्ध ऋषि के द्वारा हुआ कि उनके माता-पिता का अंधापन उसी के कारण उत्पन्न हुआ है।
श्रवण ने ऋषि मुनि से अपने माता-पिता के अंधेपन को दूर करने के लिए विनती की। ऋषि मुनि ने कहा अगर तुम अपने माता-पिता को बिना
किसी वाहन का प्रयोग कीए अपने कंधों पर ही 64 तीर्थ यात्राओं का फल प्राप्त कराते हो तथा 64 तीर्थ स्थानों का पवित्र जल अपने
अंधे माता पिता के आंखों पर छिड़कते हो तो, तुम्हारे माता-पिता के नेत्रों की ज्योति अवश्य वापस आ जाएगी। तभी श्रवण कुमार ने यह प्रण किया
कि वह अपने कंधों पर ही कावड़ के द्वारा अपने माता-पिता को 64 तीर्थ स्थानों की यात्रा कराएंगे। तथा उनकी नेत्रों की ज्योति फिर से वापस दिलाएंगे।
श्रवण कुमार ने एक कावड़ में अपने माता पिता को विठाया और उसे कंधे पर रखकर तीर्थ स्थानों की ओर चल दिए। उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के दर्शन किए।
और तीर्थ स्थानों के पुण्य प्राप्त करते हुए आगे बढ़ते गए। श्रवण कुमार ने ऋषि मुनियों के दर्शन किए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्रवण कुमार की मातृ पितृ भक्ति और सेवा की ख्याति संपूर्ण विश्व में फैल गई। श्रवण कुमार ने भगवान परशुराम के दर्शन किए तथा भगवान परशुराम ने श्रवण कुमार के माता पिता का आशीर्वाद प्राप्त किया।
जब श्रवण कुमार अपने माता पिता को काशी के दर्शन कराने के लिए ले जा रहे थे तब उन्हें मार्ग में अयोध्या नगरी मिली जहाँ पर वह एक दिन के विश्राम करने के लिए ठहर गए।
श्रवण कुमार अपने माता की पानी पीने की इच्छा को लेकर जल लाने के लिए पास की ही सरयू नदी गए। किंतु जब वे नदी से जल ले रहे थे
तभी बन में शिकार कर रहे अयोध्या पति महाराज दशरथ को किसी के जल पीने की आहट सुनाई दी। महाराज दशरथ ने सोचा शायद कोई जानवर नदी के किनारे जल पी रहा है।
इसलिए उन्होंने शब्दभेदी बाण चला दिया। शब्दभेदी बाण सीधा श्रवण कुमार के सीने में जाकर लगा और श्रवण कुमार की चीख निकल गई है।
श्रवण कुमार की चीख सुनकर महाराज दशरथ दौड़कर नदी की तरफ गए और एक युवक को देखकर पश्चाताप करने लगे। राजा दशरथ ने कहा
हे! ऋषि पुत्र मुझे क्षमा कर दीजिए मैंने शब्दभेदी वाण इसलिए चलाया था की कोई जानवर नदी से पानी पी रहा होगा अनजाने में मुझसे बहुत बड़ा अनर्थ हो गया। श्रवण कुमार ने कहा आप कौन है?
तब राजा दशरथ ने कहा में अयोध्या का राजा दशरथ हुँ। श्रवण बोले कि मेरा नाम श्रवण कुमार है, मेरे माता पिता यहाँ से थोड़ी दूर ही कुटिया में बैठे हुए हैं, वे अंधे हैं, और उन्हें प्यास भी लगी है।
कृपया आप जाकर उन्हें पानी पिला दीजिए। इतना कहकर श्रवण कुमार ने अपने प्राण त्याग दिए। जब महाराज दशरथ श्रवण कुमार के माता पिता के पास पहुंचे और जल पीने के लिए कहा तो
श्रवण कुमार के माता पिता राजा का स्वर पहचान गए और कहा कि मेरा पुत्र श्रवण कहाँ है? जब राजा दशरथ ने कहा कि में राजा दशरथ हूँ और मेरे शब्दभेदी वाण के कारण आपका पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो गया है।
इतना सुनकर दोनों बूढ़े माता-पिता चीख - चीख कर रोने लगे तथा उन्होंने राजा दशरथ को श्राप देते हुए कहा जिस प्रकार से आज हम अपने पुत्र के वियोग में प्राण त्याग रहे हैं, उसी प्रकार से तुम भी अपने प्रिय पुत्र के वियोग में प्राण त्याग दोगे।
इतना कहकर श्रवण कुमार के माता-पिता ने भी अपने प्राण त्याग दिए। महाराज दशरथ ने श्रवण कुमार और उसके माता पिता का अंतिम संस्कार किया और अपने अयोध्या वापस लौट आए।
श्रवण कुमार के माता-पिता के द्वारा दिए गए श्राप का फल उन्हें तब मिला जब भगवान श्री रामचंद्र 14 वर्ष के लिए बनवास गए और महाराज दशरथ ने भगवान श्री राम के वियोग में प्राण त्याग दिए।
दोस्तों आपने इस लेख में श्रवण कुमार का जीवन परिचय (Biography of shravan kumar) तथा कथा पढ़ी। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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