आंखों देखी घटना पर निबंध Essay on eye sighted event
आंखों देखी घटना पर निबंध Essay on eye sighted event
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख आंखों देखी घटना पर निबंध (Essay on eye sighted event) में। दोस्तों यहाँ पर आज हम एक जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध का वर्णन कर रहे हैं,
जिसे पढ़कर आपके ह्रदय में दुख का सागर उमड़ पड़ेगा। दोस्तों आप यहाँ से आंखों देखी दुर्घटना पर निबंध, सड़क दुर्घटना पर निबंध,
हवाई दुर्घटना पर निबंध के बारे में आईडिया अभी ले सकते हैं, तो आइए दोस्तों करते हैं, शुरू आज का यह लेख आंखों देखी घटना पर निबंध:-
प्रस्तावना Preface
पृथ्वी पर हर एक प्राणी का जीवन बड़ा ही दुखमय होता है। पग-पग पर उसे विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
प्रत्येक जीव जंतु के साथ हर वक्त विभिन्न प्रकार की घटनाएँ भी होती रहती हैं। कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं, जिन्हें हम भूल जाते हैं,
किंतु कुछ घटनाएँ हमारे मन और मस्तिष्क पर अपनी छाप छोड़ जाती हैं। मनुष्य या प्रत्येक जीव जंतु जब से पैदा होता है,
तब से अंत तक विभिन्न प्रकार की घटनाओं का सामना करता है, जिसमें कुछ ऐसी बड़ी घटनाएँ भी घटित हो जाती हैं, जिन्हें चाह कर भी भूल पाना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं,
जिनसे अपार जन धन की हानि होती है, लाखों लोगों के घर उजड़ जाते हैं, बच्चे अनाथ हो जाते हैं, खाने पीने की वस्तुएँ नहीं रहती,
यहाँ तक कि पीने के लिए शुद्ध पानी भी उपलब्ध नहीं हो पाता है। कुछ घटनाओं में तो ऐसा होता है, कि जहाँ देखो वहाँ लोगों के मृत शव पड़े होते हैं,
ऐसी घटनाएं हमारे हृदय को गहराई तक झकझोर देती हैं और मनुष्य को उन घटनाओं के दुखद दृश्य का घूंट पीकर रह जाना पड़ता है।
स्मृतियों में घटनाएँ Events in memory
वर्तमान युग डिजिटल युग के नाम से जाना जाता है, क्योंकि आज के समय में हम विभिन्न प्रकार के डिजिटल उपकरणों के माध्यम से घर पर बैठकर देश-विदेश की हर एक घटना के बारे में जान सकते हैं।
घर बैठकर हम न्यूज़ देखते हैं, न्यूज़पेपर पढ़ते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की घटनाओं का वर्णन किया जाता है। तथा कभी-कभी इनमें कुछ ऐसी घटनाओं का भी वर्णन होता है,
जिन्हें हम चाह कर भी कभी भूल नहीं पाते इनका दृश्य हमारे मन मस्तिष्क के पटल पर हमेशा ही बना रहता है, ऐसी ही एक घटना का आंखों देखा वर्णन में बता रहा हूँ।
वह समय शायद अगस्त या सितंबर माह का रहा होगा हमारे गाँव से मात्र 1.5 मील दूर आदिवासियों की एक बस्ती है जहाँ पर लगभग आदिवासियों के 130 के आसपास झोपड़े बने हुए हैं,
तथा उनके पास ही एक विशाल मैदान है, जिसमें विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक प्रोग्राम लोकनृत्य तथा अन्य प्रोग्राम अक्सर किए जाते हैं।
अतः उस समय भी रामलीला का प्रोग्राम वहाँ पर आयोजित हो रहा था हर साल की तरह मैं मनोज कुमार और मेरी बहिन वर्षा रामलीला देखने के लिए गए।
आयोजन स्थल The venue
आयोजन स्थल के लगभग सभी भाग में लोगों भीड़ ही दिखाई दे रही थी क्योंकि आज का वह दिन था जब रामलीला में सीता स्वयंवर होने वाला था।
श्रद्धालु दूर-दूर से उस मनोहारी दृश्य को देखने के लिए उमड़े थे। कियोकि यहाँ पर रामलीला के साथ ही कई झाकियों और लोकनृत्यों का आयोजन भी होता था
जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग अपना महत्वपूर्ण योगदान देते थे। रात्रि में लगभग 8 बजे रामलीला आरंभ हुई जिसमें उस गांव के आदिवासी लोग भी अपनी भूमिका निभा रहे थे।
आदिवासी लोगों ने विभिन्न प्रकार के मुखोटे, दाढ़ी, मूछ आदि पहन कर राक्षसों तथा राजा महाराजाओं का रूप धारण किया था उन्होंने अपनी कलाकारी और अभिनय से सभी लोगों का दिल जीत लिया।
उन आदिवासियों का अभिनय वेशभूषा सिंगार उनकी लोककलाएँ, नृत्य सब कुछ बड़ा ही आकर्षक लग रहा था। उनका अभिनय बड़ा ही मनोहारी रूप से संचालित हो रहा था तभी अचानक से कोलाहल सुनाई दिया।
व्याकुल कोलाहल Disturbed clamor
रामलीला का आयोजन अपने चरमोत्कर्ष पर था और भगवान श्री राम के द्वारा धनुष का भंग होना ही था, कि भयंकर कोलाहल सुनाई दिया।
और सभी का ध्यान उस कोलाहल की तरफ गया लगातार आवाजें आ रही थी बचाओ बचाओ झोपड़ियों में आग लग गई है,
बचाओ बचाओ जैसे ही यह हृदय विदारक स्वर मुझे सुनाई दिया मेरे तो होश उड़ गए। सभी लोग झोपड़ी झुग्गियों की ओर भागने लगे
और रामलीला का आयोजन वहीं पर समाप्त कर दिया गया। झोपड़ियों में आग इतनी भयंकर तरीके से लगी थी कि पूरा आदिवासियों का संसार जल रहा हो लगभग सभी झोपड़ियों में आग फैल चुकी थी
और चारों तरफ कोहराम मचा हुआ था। आदिवासियों के रोने के करुण स्वर कानों में गूंजने लगे थे, छोटे-छोटे बच्चे उसमें जलकर मर भी गए थे,
माताएँ अपने बच्चों के लिए रो रही थी। आग का धुंआ इस प्रकार उमड़ रहा था जैसे संपूर्ण आकाश को ही काला करने वाला हो।
तभी ज्ञात हुआ कि यह झोपडी झुग्गियों में आग बिजली के तार के टूटने के कारण लगी है। जिसमें अपार जनधन की हानि हुई।
आग बुझाने का निरर्थक प्रयास Futile attempt to put out the fire
झोपड़ियों में लगी हुई आग देखकर सभी लोग आग बुझाने का प्रयास करने लगे। भागदौड़ मैं बहुत से बूढ़े लोग, बच्चे तथा स्त्रियाँ कुचल गई।
किन्तु बढ़ती हुई आग की लपटों ने संपूर्ण आदिवासी बस्ती को अपनी चपेट में ले लिया था। गाँव में उपस्थित छोटे-छोटे बच्चे माताएँ बहने चीत्कार कर चिल्ला रही थी, पिंजड़ो में बंद पक्षी, गाय, बैल, बकरी
अन्य जानवर उस आग में जलकर मर गए थे। जबकि कुछ छोटे बच्चे और स्त्रियाँ भी उस आग का शिकार हो गई थी। बहुत से लोग आग से झुलस गए थे।
उस समय जिस व्यक्ति को जो भी उपाय सूझता वह उस उपाय के जरिए आग बुझाने का प्रयास कर रहा था। कोई कुएँ से पानी निकाल कर फेंक रहा था,
कोई मिट्टी और धूल से आग बुझाने का प्रयास कर रहा था, किन्तु आग इतनी भीषण थी कि वह बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी।
1 घंटे के बाद 3 - 4 फायर ब्रिगेड (Fire Briged) मौके पर पहुंची तथा उसकी 2 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
जब तक लगभग बस्ती का 90% से अधिक हिस्सा जल चुका था, ऐसा लग रहा था,कि यह कोई शमशान हो। चारों तरफ रोने की आवाजे
और करुण स्वर सुनाई दे रहे थे। अचानक लगी इस आग ने कई जीव जंतुओं के प्राण ले लिए, कई मनुष्यों को बेघर कर दिया, कई बच्चे अनाथ हो गए,
जबकि कई औरतें विधवा हो गई। प्रकृति की इस क्रूरता को देखकर सभी लोग दंग रह गए। हमारे सामने ही विभिन्न घायल पशु पक्षियों ने तड़प-तड़प कर अपनी जान दे दी।
कई आग में घायल हुए मनुष्य तड़पते रहे। एंबुलेंस आने के बाद सभी घायल और मृत लोगों को अस्पताल ले जाया गया।
इस मौके पर गांव के सरपंच भी पहुंच गए तथा उन्होंने ग्रामीणों को सांत्वना देने का प्रयास किया। कुछ देर में उस क्षेत्र के विधायक तथा
अन्य नेतागण भी पहुँच गए, विद्युत विभाग के कर्मचारी आदि भी मौके पर पहुँचे और उन्होंने ग्रामीणों को मुआवजा दिलाने का वादा किया।
उपसंहार Conclusion
दोस्तों उपर्युक्त घटना से अच्छी हँसती खेलती बस्ती कुछ ही घंटों में श्मशान बन गई। इस तरह से आग ने संपूर्ण बस्ती पर कहर बरसाया था। आदिवासियों को सभी लोग सांत्वना दे रहे थे तथा हर एक संभव मदद करने की कोशिश भी की।
विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने यह भी एहसास दिलाया उनकी हर एक संभव मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। गांव के सरपंच, विधायक तथा अन्य नेताओं ने भी आदिवासियों को सांत्वना दी
तथा यह भी कहा कि वे सभी आदिवासियों के जीवन निर्वाह करने के लिए हर एक संभव प्रयास करेंगे तथा इस भयंकर आग में घायल मृत लोगों को
सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा। अंत में हम अपने घर लौट आए इस भयंकर घटना को आज भी हम भूल नहीं पाते हैं।
दोस्तों आपने यहाँ पर आंखों देखी घटना पर निबंध (Essay on eye sighted event) पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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