गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय Gajanan Madhav muktibodh ka jeevan parichay
गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय Gajanan Madhav muktibodh ka jeevan parichay
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख गजानन माधव मुक्तिबोध के जीवन परिचय (Gajanan Madhav Muktibodh Ka jivan Parichay) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप गजानन माधव मुक्तिबोध का
साहित्यिक परिचय के साथ ही गजानन माधव मुक्तिबोध की जीवनी के बारे में भी जान सकेंगे। तो आइए दोस्तों पढ़ते हैं आजका यह लेख गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय:-
गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवनी Gajanan Madhav muktibodh ki jeevni
गजानन माधव मुक्तिबोध को नई कविता का सशक्त कवि के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 13 अक्टूबर 1917 को मुरैना जिला के श्योपुर में हुआ था।
गजानन माधव मुक्तिबोध के पूर्वज महाराष्ट्र से संबंध रखते हैं क्योंकि उनके परदादा जिनका नाम वासुदेव की था वह महाराष्ट्र से ग्वालियर के पास श्योपुर नगर में आकर बस गए थे।
गजानन माधव मुक्तिबोध के पिता का नाम माधवराव मुक्तिबोध था तथा उनकी माता जी का नाम पार्वती बाई था। पार्वतीबाई एक सरल साधारण तथा कृषक परिवार से संबंध रखती थी।
इनके पिता पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर आसीन थे। गजानन माधव मुक्तिबोध शांता नाम की एक कन्या से प्रेम करते थे और उन्होंने उससे विवाह 1939 में कर लिया।
गजानन माधव मुक्तिबोध बचपन से ही धनी प्रतिभा के थे उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने जन्म स्थान से ही प्राप्त की उज्जैन के माधव विद्यालय से हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद इंदौर चले गए
और इंदौर के होलकर कॉलेज से बी. ए. की परीक्षा पास की किंतु घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उन्होंने अपनी पढ़ाई बंद करके शारदा शिक्षा मिशन शुजालपुर में शिक्षक के रूप में कार्य करने लगे।
1942 में उन्होंने उज्जैन के मॉडल स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्य किया और 1948 में नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. किया तथा राजनांदगांव के दिग्विजय महाविद्यालय में प्राध्यापक नियुक्त हो गए
गजानन माधव मुक्तिबोध ने हंस वाराणसी तथा समता जबलपुर मासिक पत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया था किन्तु उन्हें कई प्रकार की बीमारियों ने घेर लिया तथा 1966 में उन बीमारियों से जूझते जूझते उनका निधन हो गया।
साहित्यिक सेवा Literature service
गजानन माधव मुक्तिबोध ने पध और गध दोनों साहित्य को अपनी श्रेष्ठ रचनाएँ प्रदान की है। मुक्तिबोध ने कविताओं का भाव पक्ष उन्नत
तथा समसामयिक रूप से दिया है। उन्होंने अपनी भाषा परिमार्जित प्रोढ़ सबल प्रकार की बनाई है। तथा अपने काव्य के माध्यम से जन को जन जन तक तथा मन को मानवीय बनाने की चेष्टा की है।
गजानन माधव मुक्तिबोध की रचनाएँ Gajanan Madhav muktibodh ki rachnaen
गजानन माधव मुक्तिबोध ने विभिन्न प्रकार की रचनाएँ दी है जिनमें से कुछ प्रमुख रचनाएँ भूरी-भूरी खाक धूल, चांद का मुंह टेढ़ा, तारसप्तक में छपने वाली कविताएँ हैं।
काठ का सपना, सतह से उठता हुआ आदमी इनके महत्वपूर्ण काव्य संग्रह है। साहित्य का सौंदर्यशास्त्र भारतीय इतिहास, कामायनी एक पुनर्विचार संस्कृति एवं नई कविता का आत्म संघर्ष इनकी जानी-मानी गद्य रचनाएँ हैं।
गजानन माधव मुक्तिबोध का भाव पक्ष GajananGajanan Madhav muktibodh ka bhav Paksh
गजानन माधव मुक्तिबोध की कविताओं में साक्षात् समाज की यथार्थता दिखाई देती है। उन्होंने अपनी कविताओं में समाज की विपन्नता व्यवस्था तथा विसंगतियों का सजीवता से चित्रण किया है।
मुक्तिबोध ने अपने काव्य में मानवतावाद को स्पष्ट रूप से मुखरित किया है। मुक्तिबोध ने लघु मानव की खोज की है तथा उसके प्रति पूर्ण आस्था प्रकट की है जैसे:-
जिंदगी के दलदल के कीचड़ में फंस कर
वृक्ष तक पानी में धस कर
मैं यह कमल तोड़ लाया हूँ।।
उनकी कविता में आधुनिक भाव बोध तथा सशक्त अभिव्यंजना दिखाई देती है और उन्होंने अपने काव्य में चेतना की चिंतन की प्रचुरता चिंतन के अंगारे पर चलने वाले व्यक्ति की स्थिति का वर्णन किया है।
गजानन माधव मुक्तिबोध का कला पक्ष Gajanan Madhav muktibodh ka Kala Paksh
गजानन माधव मुक्तिबोध ने अपने काव्य में परिमार्जित प्रोढ़ तथा पुष्ट भाषा का उपयोग किया है। उनकी भाषा सरल और प्रवाहमय है, उन्होंने सामान्य बोलचाल की भाषा के अतिरिक्त संस्कृतनिष्ठ सामासिक पदावली का प्रयोग भी किया है।
उनकी भाषा की शक्ति इस प्रकार से है, कि उनका भाषा वर्णन अर्थपूर्ण चित्र बना देता है। मुक्तिबोध की भाषा में शब्द की सहजता सार्थकता के साथ-साथ युगबोध के अनुरूप तथ्य को प्रकट करने का पूर्ण सामंजस्य देखने को मिलता है।
उनकी भाषा में कहीं पर भी बनावट तथा अस्वाभाविकता नजर नहीं आती। गजानन माधव मुक्तिबोध की अधिकांश कविताएँ लंबी है और उन्होंने अपने काव्य में शैली बिंब
तथा प्रतीक प्रधान को अपनाया है। मुक्तिबोध के काव्य बिंब तथा प्रतीक नए जीवन संदर्भों से युक्त मिलते हैं। जो विवाहित जीवन को व्यक्त करने के कारण
सरलता से ग्राह होते हैं। मुक्तिबोध की शैली सबसे अलग नवीन प्रतीक और नए संदर्भों से युक्त है उन्होंने कविता को एक नया आयाम भी दिया है।
गजानन माधव मुक्तिबोध का साहित्य में स्थान Gajanan Madhav muktibodh ka Sahitya Mein sthan
गजानन माधव मुक्तिबोध नई कविता के प्रतिनिधि कवि हैं और जीवन मूल्यों के प्रयोग करने वाले कवि भी हैं। नई कविता को स्वरूप प्रदान करने में उनका सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध स्थान है।
दोस्तों आपने इस लेख में गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय उनकी जीवनी साहित्य परिचय (Gajanan Madhav Muktibodh Ka jivan Parichay) आदि के बारे में पढ़ा आशा करता हूं आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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