महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12
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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय क्लास 12 Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12th
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तम्भो में से एक प्रमुख स्तंभ के रूप में जानी जाती है। कियोकि उन्होंने हिंदी साहित्य को इतनी श्रेष्ठ रचनाएँ प्रदान की है
कि हिंदी साहित्य की उन्हें आधुनिक युग की मीरा के नाम से जाना जाता है, जबकि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने भी महादेवी वर्मा को हिंदी के विशाल साम्राज्य के मंदिर की सरस्वती कहा है।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय Biography of Mahadevi Verma
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च सन 1907 में उत्तरप्रदेश राज्य के सबसे प्रसिद्ध नगर फर्रुखाबाद में होलिका दहन के पुण्य पर्व के दिन हुआ था।
महादेवी वर्मा के पिता जी श्री गोविंद प्रसाद वर्मा थे, जो भागलपुर के एक महाविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर आसीन थे।
तथा इनकी माता जी का नाम हेमरानी देवी था। इनकी माता बड़ी ही संस्कारवान और धार्मिक प्रवृत्ति की थी जो घंटों कई धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया करती थी,
जिसका प्रभाव उनकी बेटी महादेवी वर्मा पर भी पड़ा। महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन विद्यालय से ही प्रारंभ की।
महादेवी वर्मा साहित्य लेखन में इतनी अधिक रुचि लेती थी कि उन्होंने 7 वर्ष की अवस्था से ही कविताएँ लिखना प्रारंभ कर दिया था।
महादेवी वर्मा ने संस्कृत, अंग्रेजी, चित्रकला आदि की शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। किन्तु शादी के पश्चात उनके अध्ययन में कई बाधाएँ उत्पन्न हुई
किंतु इनके पति के प्रयास के कारण इन्होंने इलाहाबाद कॉलेज में अध्ययन किया और वही हॉस्टल में रहने लगी तथा कक्षा आठवीं की परीक्षा में पूरे प्रांत में प्रथम स्थान प्राप्त किया
जब तक उन्होंने मैट्रिक पास किया तब तक वे एक सफल कवियत्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थी। सन 1932 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम. ए. पास किया।
महादेवी वर्मा का विवाह डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ था। महादेवी वर्मा ने भारत की गुलामी और आज़ादी दोनों को ही देखा है
तथा आजादी के पश्चात समाज सुधारक के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने समाज में रहते हुये समाज में कष्टों से हाहाकार और रुदन को देखा है
तथा उस भयंकर दुख तथा परिस्थितियों को अपने काव्य में अलंकृत किया है। महादेवी वर्मा का निधन सन 1987 ईस्वी में इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था, महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की एक महान कवयित्री के रूप में हमेशा जानी जाती रहेंगी।
महादेवी वर्मा का साहित्य में योगदान Contribute in litreture
महादेवी वर्मा ने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय जागरण की कविताएँ लिखना आरंभ कर दिया था और वह ऐसी कविताएँ लिखती थी, जिनमें मानवीय संवेदना साफ - साफ झलकती थी।
महादेवी वर्मा ने लेखन संपादन और अध्यापन में अपना अमूल्य योगदान दिया। वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या रही और उपकुलपति भी नियुक्त हुई
उनकी प्रमुख रचनाओं में निहार, नीरजा, संगीत दीपशिखा और यामा उल्लेखनीय है, जबकि स्मृति की रेखाएँ और अतीत के चलचित्र उनके संस्मरण आत्मा का गद्य रचना संग्रह हैं।
इसी श्रृंखला की कड़ियाँ, पथ का साथी, मेरा परिवार और क्षणदा उनके निबंध संकलन है। महादेवी वर्मा बौद्ध धर्म से प्रभावित थी और महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर समाज सेवा में अमूल्य योगदान दिया।
स्त्रियों की मुक्ति शिक्षा और विकास के लिए उन्होंने जो समाज में आवाज उठाई है वह वास्तव में एक प्रशंसनीय कार्य है।
महादेवी वर्मा की कृतियाँ Creation of Mahadevi varma
कविता संग्रह - रश्मि', नीरजा, निहार, सांध्यगीत दीपशिखा, सप्तपर्णा, अग्नि रेखा, प्रथम आयाम आदि महादेवी वर्मा के कविता संग्रह हैं। इसके साथ कुछ अन्य काव्य संग्रह जैसे- आत्मिका, परिक्रमा, यामा आदि भी महादेवी वर्मा की कृतियाँ हैं।
रेखाचित्र - अतीत के चलचित्र (1949) तथा स्मृति की रेखाएँ (1943) महादेवी वर्मा के प्रमुख रेखाचित्र हैं।
निबंध - महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबंधों में श्रृंखला की कड़ियाँ, विवेचात्मक गध (1942) साहित्यकार की आस्था तथा कई प्रसिद्ध संकल्पिता निबंध आदि हैं।
संस्मरण - संस्मरण में महादेवी वर्मा ने मुख्यत: पथ का साथी, मेरा परिवार, आदि संस्मरण को रचित किया है।इसके साथ उन्होंने ललित निबंध क्षड़दा, कहानियाँ गिल्लू बाल साहित्य ठाकुरजी भोले हैं, आज खरीदेंगे हम ज्वाला आदि है।
महादेवी वर्मा का भाव पक्ष Mahadevi Verma ka bhav Paksh
महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में अपने मन की पीड़ा, वेदना आदि को कई रूपों में व्यक्त किया है। उन्होंने प्रकृति के विभिन्न चित्रों का इस प्रकार से अपने काव्य में चित्रित किया है मानो वे सजीवता को प्रदर्शित करते हों।
महादेवी वर्मा की कविताओं में आध्यात्मिकता तथा रहस्य का समावेश एक साथ दिखाई देता है। उनके काव्य में मुक्ति की आकांक्षा भी दिखाई देती है।
उन्होंने मुक्ति की आकांक्षा को अपने काव्य में सीधे तौर पर व्यक्त नहीं किया जबकि एक अकेली स्त्री के मनोदशा का अनुभव करते हुए अकेलापन, बिरह वेदना, प्रिय से मिलन आदि मनोभावो का वर्णन ममस्पर्शी तरीके से किया।
महादेवी वर्मा का कला पक्ष Mahadevi varma ka kala paksh
महादेवी वर्मा ने कविता में ब्रजभाषा की कोमलता के साथ अनुकूल संस्कृत और बांग्ला भाषा युक्त शब्दावली का प्रयोग किया जिसका प्रयोग कविता में बहुत ही असंभव हुआ करता था।
उनके गीतों में लय और सरलता का भंडार हुआ करता था। महादेवी वर्मा का काव्य प्रकृति प्रेम, सामाजिकता, प्रतीक योजना, मानवीकरण के साथ ही विरह वेदना से परिपूर्ण है। उनके गीतों में गेयता संगीतात्मकता के साथ ही रहस्यवाद के दर्शन होते हैं।
महादेवी वर्मा की भाषा शैली Mahadevi varma ki bhasa shaili
आधुनिक युग की मीरा कहीं जाने वाली महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में प्रमुख रूप से ब्रज भाषा को महत्त्व दिया है, किंतु कुछ समय के बाद उन्होंने शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली में भी रचनाएँ देना शुरू कर दिया था।
उनके काव्य में संस्कृत शब्दों के साथ ही कहीं-कहीं पर उर्दू के शब्दों का मिलाजुला प्रयोग देखने को मिल जाता है। महादेवी वर्मा ने प्रतीकात्मक, चित्रात्मक, अलंकारात्मक, गीतात्मक आदि शैलियों का प्रयोग किया है।
महादेवी वर्मा को दिए गए पुरस्कार Awards givin to Mahadevi varma
महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य तथा समाज कल्याण के अथक प्रयास के लिए कई प्रकार के पुरस्कारों से विभूषित किया गया है।
सर्वप्रथम 1943 में मंगला प्रसाद पारितोषिक तथा भारत भारती सम्मान से सम्मानित किया गया। 1956 में भारत सरकार द्वारा उन्हें हिंदी साहित्य में किए गए
अमूल्य योगदान के लिए पदम भूषण से अलंकृत किया गया। तथा 1988 में उन्हें पदम विभूषण से सम्मानित किया गया। महादेवी वर्मा की रचना नीरजा के लिए उन्हें 1934 में ससकेरिया पुरस्कार
तथा यामा के लिए 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सुशोभित किया गया इसके साथ ही उन्हें उनकी काव्य संग्रह के लिए विभिन्न प्रकार के साहित्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
महादेवी वर्मा का साहित्य में स्थान Mahadevi varma ka sahitya me sthan
महादेवी वर्मा एक ऐसी कवियत्री थी, जिन्होंने समाज सुधार और कवियत्री दोनों के रूप में ही समाज को अपना अमूल्य योगदान दिया है।
हिंदी साहित्य को विभिन्न गध रचनाएँ भी प्रदान की है, संगीत में निपुण आत्मीयता का अनुभव कराने वाली ऐसी कवियत्री भारत के इतिहास में हमेशा सम्मान के योग्य रहेगी
दोस्तों आपको इस लेख में महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 (Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12)
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 11 (Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 11th) पड़ा। आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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