विभीषण का जीवन परिचय Vibhishan ka jivan Parichay
विभीषण का जीवन परिचय Vibhishan ka jivan Parichay
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख विभीषण का जीवन परिचय (Vibhishan ka jivan Parichay) में।
दोस्तों इस लेख में आप विभीषण कौन था? विभीषण का जन्म कैसे हुआ? विभीषण पूर्व जन्म में कौन था? के साथ ही आप विभीषण की पत्नी का नाम तथा अन्य तथ्यों के बारे में जानेंगे:-
विभीषण कौन था who was vibhishan
विभीषण रामायण का एक प्रमुख पात्र महर्षि पुलत्स्य के पुत्र महर्षि विश्ववा तथा कैकसी का पुत्र था। विभीषण के दो बड़े भाई रावण और कुंभकरण और एक बहन शूर्पनखा थी।
विभीषण के दोनों बड़े भाई रावण और कुंभकरण के साथ ही शूर्पणखा राक्षसी कैकसी और उसके पिता सुमाली के प्रभाव के कारण राक्षस थे,
किंतु विभीषण अपने पिता महर्षि विश्ववा के प्रभाव के कारण राक्षस जाति में जन्म लेने के पश्चात भी एक महान तथा पवित्र आत्मा रहे।
वे हमेशा ईश्वर की भक्ति करते थे तथा अहिंसा और जीव हत्या से दूर रहते थे। विभीषण ने महाराज रावण के साथ ही लंका में रहकर भगवान श्री राम की भक्ति की और अंत में भगवान श्री राम के चरणों में स्थान प्राप्त किया।
विभीषण का जन्म कैसे हुआ How was Vibhishana born
विभीषण का जन्म कैसे हुआ इसके पीछे कई प्रकार की कहानियाँ और मान्यताएँ प्रचलित है। विभीषण का जन्म राक्षसी कैकसी तथा महर्षि विश्रवा से ही हुआ था।
कैकसी ने दो और पुत्रों को जन्म दिया था जो रावण और कुंभकरण थे और दोनों ही दुष्ट प्रकृति के थे। कहा जाता है, कि कैकसी ने महर्षि विश्रवा से अपनी सच्चाई छुपाकर विवाह किया था।
जब महर्षि विश्रवा को यह पता चला कि कैकसी एक राक्षसी है तब महर्षि विश्रवा ने कैकसी को श्राप दिया, कि तुम्हारी होने वाली संताने दुष्ट तथा राक्षस प्रकृति की होगी। इसलिए कुंभकरण रावण तथा शूर्पणखा राक्षस प्रवृत्ति की संताने हैं,
जबकि महर्षि विश्रवा के जप तप तथा यज्ञ के कारण विभीषण एक पवित्र आत्मा है। कई ऐसी कथाएँ भी प्रचलित है, कि विभीषण का जन्म महर्षि विश्रवा की दूसरी पत्नी मालिनी के गर्भ से हुआ था।
किन्तु कई शास्त्र तथा कई कहानियाँ ऐसी भी प्रचलित है, जो बताती हैं, कि विभीषण महाराज दशरथ तथा कौशल्या का पुत्र था। एक कथानुसार यह बात उस समय की है, जब रावण को यह पता चला कि,
उसकी मृत्यु का कारण महाराज दशरथ तथा कौशल्या की संतान बनेगी, तो उस समय महाराज रावण ने कौशल्या तथा दशरथ का हरण उनके विवाह स्थल से ही कर लिया तथा कौशल्या को
लंका के पास ही सिंहल द्वीप पर छोड़ दिया, जबकि रावण ने महाराज दशरथ को एक पिटारी में बंद करके समुद्र में छोड़ दिया। उस समय महाराज दशरथ के साथ उनके मंत्री सुमंत भी थे।
उसी समय ताड़का ने महाराज दशरथ को समुद्र में बहते हुए देखा तो ताड़का महाराज दशरथ पर मोहित हो गई और उसने महाराज दशरथ को बचाकर उनसे विवाह की इच्छा प्रकट की,
किंतु महाराज दशरथ ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तथा इसके बदले में उसे 14 वर्ष के लिए एक अलग राज्य क्षेत्र दे दिया और महाराज दशरथ सिंहल द्वीप पर पहुँचे जहाँ पर कौशल्या
और महाराज दशरथ का मिलन हुआ और कौशल्या के गर्भ से विभीषण का जन्म हुआ। उस समय महाराज दशरथ और कौशल्या का विवाह नहीं हुआ था,
इसीलिए लोक लाज से बचने के लिए उन्होंने उस पुत्र को उसी स्थान पर छोड़ दिया और वहां से अपने राज्य चले गए। तभी सिंहल द्वीप से महर्षि विश्ववा की दूसरी पत्नी
मालिनी आकाश मार्ग से गुजर रही थी, उसने सिंहल द्वीप पर बच्चे की रोने की आवाज सुनी और उसने बच्चे को खोजने की कोशिश
की तो उसे वहीं बच्चा रोता हुआ मिल गया। मालिनी उस बच्चे को लेकर ऋषि विश्रवा के आश्रम में आ गई और उसे अपने पुत्र की भांति पालना शुरू कर दिया।
विभीषण का पूर्व जन्म Vibhishana's previous birth
पौराणिक कथाओं में बताया गया है, कि कैकय देश के राजा सत्यकेतु थे। सत्यकेतु राजा की दो संतान थी प्रतापभानु और अरिमर्दन और इन्हीं के एक मंत्री थे जिनका नाम था धर्मरूचि जो राजा को सत्य, धर्म और अहिंसा का पाठ और शिक्षा दिया करते थे।
रामायण काल में प्रतापभानु और अरिमर्दन का जन्म रावण और कुंभकरण के रूप में हुआ, जबकि धर्मरूचि का जन्म विभीषण के रूप में हुआ। अर्थात विभीषण का पूर्व जन्म पुरुष धर्मरूचि के रूप में था।
विभीषण की पत्नी का नाम Name of wife of vibhishana
विभीषण की पत्नी का नाम सरमा था, जो यक्षराज की पुत्री थी। यक्षराज की पुत्री सरमा केवल विभीषण से ही प्रेम करती थी और विभीषण से ही विवाह करना चाहती थी, किन्तु विभीषण को एक बार भी नहीं देखा था
और विभीषण का चित्र उन्होंने विभीषण की तरह ही बनाया था और उसी चित्र से प्रेम करने लगी थी। किंतु सरमा के पिता यक्षराज अपनी पुत्री सरमा का विवाह विभीषण से करना नहीं चाहते थे,
क्योंकि विभीषण एक राक्षस जाति के थे। यक्षराज चाहते थे, कि उनकी पुत्री का विवाह गंधर्व से हो लेकिन महावीर हनुमान के प्रयास के कारण ही विभीषण का विवाह l सरमा से हुआ।
बताया जाता है, कि विभीषण और सरमा की एक पुत्री भी है, जिसका नाम त्रिजटा था, किंतु कई कथाओं के आधार पर यह भी बताया जाता है, कि रावण की मृत्यु के पश्चात विभीषण ने मंदोदरी से भी विवाह किया था, किंतु यह तर्कसंगत नहीं है।
विभीषण के कितने पुत्र थे How many sons did Vibhishana have
विभीषण का विवाह यक्षराज की कन्या सरमा से हुआ था , जिससे उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुई, जिसका नाम त्रिजटा था। यह त्रिजटा वही राक्षसी थी,
जिसे माता सीता की सेवा तथा देखभाल करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। माता सीता त्रिजटा को अपनी माता कहकर ही पुकारते थी। त्रिजटा ने ही अन्य राक्षसों को माता सीता से दूर रखा।
किंतु विभीषण के एक भी पुत्र नहीं थे, विभीषण के किसी भी पुत्र का उल्लेख किसी भी धर्मशास्त्र तथा पौराणिक कथाओं में नहीं है।
विभीषण की कथा Story of Vibhishan
विभीषण महर्षि विश्ववा तथा माता कैकसी का पुत्र था। जो धार्मिक प्रकृति वाला तथा एक पवित्र आत्मा था। जब रावण कुंभकरण तथा विभीषण ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की तब रावण तथा कुंभकर्ण ने विभिन्न
प्रकार के वरदान और शक्तियाँ मांगी, किंतु विभीषण ने श्री नारायण के दर्शन और उनके चरणों में स्थान मांगा। विभीषण ने रावण तथा कुंभकर्ण को सत्य धर्म के मार्ग पर लाने की बहुत ही चेष्टा की,
किंतु रावण ने विभीषण की एक ना मानी और विभीषण को कई बार भरी सभा में अपमानित भी किया। जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया तब विभीषण ने रावण को समझाया,
कि माता सीता स्वयं माता लक्ष्मी का अवतार है और श्री राम स्वयं नारायण का अवतार है, इसलिए माता सीता को सम्मान सहित श्रीराम के पास पहुंचा दो, किंतु रावण ने विभीषण को भरी सभा में अपमानित किया
उसे लात मारकर राज्य से निकाल दिया। विभीषण उसी समय अपना सब कुछ त्याग कर भगवान श्रीराम की शरण में आ गए और भगवान श्रीराम ने उन्हें लंका का राजा बनाने का वचन दे दिया।
भगवान श्रीराम वानर सेना सहित समुद्र को पार करके लंका पहुंचे तथा राक्षसों और बानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें कई सारे योद्धा मारे गए
कई राक्षस मारे गए और अंततः आ भगवान श्रीराम ने विभीषण की सहायता से रावण का भी अंत कर दिया और विभीषण को लंका का राजा बनाया।
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