बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध Essay on Unemployment Problem and Solution

बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध Essay on Unemployment Problem and Solution

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (Essay on Unemployment Problem and Solution) में।

दोस्तों इस लेख के माध्यम से आज आप बेरोजगारी पर निबंध बेरोजगारी की समस्या पर निबंध पड़ेंगे। दोस्तों यह निबंध कक्षा 5 से लेकर कक्षा बारहवीं

तथा उच्च कक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है, इसीलिए दोस्तों यहाँ से आप बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध लिखने का आइडिया भी ले सकते हैं। 

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बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध


बेरोजगारी क्या है What is Unemployment

बेरोजगारी वह एक स्थिति होती है, जिस स्थिति के अंतर्गत कोई व्यक्ति बाजार में प्रचलित मजदूरी की दर पर काम तो करना चाहता है, किंतु उसे काम ही नहीं मिलता है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है,

कि जब कोई व्यक्ति बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए जाता है, किंतु उसे उस दाम पर काम नहीं मिलता है या मिलता भी है तो अल्प समय के लिए उस स्थिति को बेरोजगारी कहते हैं

और उस व्यक्ति को बेरोजगार व्यक्ति (Unemployment Person) के नाम से जाना जाता है। आज हमारे देश के साथ ही विश्व के कई देशों में बेरोजगारी की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है,

जिसका प्रमाण हमारे सामने देखने को मिलता है। वर्तमान में हमारा एक युवा वर्ग का एक बड़ा भाग बेरोजगार है। हमारे आसपास के बहुत सारे ऐसे युवक हैं, जो बड़ी - बड़ी डिग्रियाँ प्राप्त कर लेते हैं,

किन्तु रोजगार की तलाश में दर-दर भटकते है। नौकरी की तलाश में लोग प्रतिदिन ऑफिस, दफ्तर और कंपनियों के चक्कर काटते रहते हैं।

समाचार पत्रों और इंटरनेट (Internet) में दिए गए विज्ञापन के द्वारा वे अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी खोजने तो जाते हैं, किंतु उन्हें बेरोजगारों की लम्बी कतार के कारण रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता है।

बेरोजगारी की परिभाषा Definition of Unemployment

बेरोजगारी की परिभाषा विभिन्न देशों में अलग-अलग प्रकार से दी जाती है, जैसे कि अमेरिका में कहा जाता है, कि यदि किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता (Qualification) के अनुसार नौकरी

नहीं मिल पाती हैं, तो उस व्यक्ति को बेरोजगार और उस स्थिति को बेरोजगारी कहा जाता है। उसी प्रकार बेरोजगारी की साधारण परिभाषा होती है,

कि जब कोई व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार प्रचलित मूल्य दर पर काम के लिए तो जाता है, किंतु उसे काम ही नहीं मिलता उस स्थिति को बेरोजगारी (Unemployment) कहते हैं। 

बेरोजगारी के प्रकार Type of Unemployment

बेरोजगारी कई प्रकार की होती है, जिसमें शिक्षित बेरोजगारी, अशिक्षित बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, अल्प बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी को मुख्य स्थान दिया जाता है। अशिक्षित बेरोजगारी के सम्मुख यह समस्या विकराल रूप में नहीं होती है,

क्योंकि यह लोग किसी न किसी प्रकार से छोटे-मोटे काम धंधे करके अपनी  रोजी-रोटी का इंतजाम तो कर ही लेते हैं, किंतु जो शिक्षित बेरोजगारी होती है,

उसमें पढ़े-लिखे लोग होते हैं और अशिक्षित लोगों की तरह वे लोग छोटे-मोटे काम भी नहीं कर पाते हैं और अगर तैयार भी होते है, तो वे लोग मेहनत मजदूरी करने में अपनी योग्यता और विद्या का अपमान समझते हैं,

जो कि सही भी है। आखिर इतना पढ़ा लिखा होने का फिर क्या फायदा कि उन्हें मजदूरी ही करनी पड़ जाए। ऐसे बेरोजगार लोगों की वास्तविक संख्या ठीक प्रकार से भी ज्ञात नहीं है, क्योंकि जो सरकारी आंकड़े होते हैं,

वह वास्तविक नहीं होते हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से जो लोग रोजगार कार्यालय में पंजीकृत (Ragistered) होते हैं, केवल वही गिनती में आते हैं। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 12 करोड लोग बेरोजगार हैं। बेरोजगारी के कुछ प्रकार :- 

  1. मौसमी बेरोजगारी :- इसके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है, कि यह वह बेरोजगारी होती है, जिसमें वर्ष के कुछ महीनों में ही काम मिलता है, इसलिए इसको मौसमी बेरोजगारी के नाम से जाना जाता है। ऐसे कई प्रकार के रोजगार हैं, जो केवल मौसम के आधार पर ही चालू होते हैं, जैसे कि कृषि उद्योग, बर्फ के कारखाने आदि। कृषि में लगे लोगों को कृषि की जुताई बुवाई कटाई आदि के कार्यों के लिए रोजगार तो मिलता है, लेकिन यह रोजगार उन्हें साल भर तक नहीं मिलता है। इसके साथ ही बर्फ की फैक्ट्रियों (Factries) में लगे लोगों को केवल गर्मियों के मौसम में ही रोजगार प्राप्त होता है।
  2. प्रच्छन्न बेरोजगारी :- प्रच्छन्न बेरोजगारी उस स्थिति को कहा जाता है, जहाँ पर कुछ लोगों को हटा दिया जाए तो उस संस्था या उस कारखाने की उत्पादकता (Productivity) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। माना कि कोई एक कारखाना है, जहां पर बहुत से लोगों को नौकरी दे दी गई है, यदि उन लोगों में से कुछ लोगों को निकाल भी दिया जाए तो उस कारखाने की उत्पादकता पर कोई असर नहीं पड़ता है, इस प्रकार की बेरोजगारी को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है।
  3. अल्प बेरोजगारी :- अल्प बेरोजगारी भी बेरोजगारी का ही एक प्रकार है। यह वह बेरोजगारी होती है, जिसमें व्यक्ति को पूरे समय तक के लिए काम ही नहीं मिलता है। माना कि कोई व्यक्ति दिन में 8 घंटे काम कर सकता है, किंतु उसे 2 या 3 घंटे के लिए ही काम मिलता है और वह अन्य समय में बेरोजगार रह जाता है। इसी प्रकार से कोई व्यक्ति एक महीने के 30 दिनों काम करने के लिए सक्षम रहता है, किंतु काम की उपलब्धता कम होने के कारण उसे 30 दिन में से 10 दिन या 15 दिन ही काम मिलता है तो उस बेरोजगारी को अल्प बेरोजगारी कहते हैं।

बेरोजगारी के कारण Causes of Unemployment

बेरोजगारी की बढ़ती निरंतर समस्या हमारी प्रगति शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बनती जा रही है। हमारे देश में बेरोजगारी के आने के कई कारण हैं, जिन्हें निम्न प्रकार से समझते हैं:-

  1. जनसंख्या :- भारत में जनसंख्या विस्फोट (Population Explotion) जितना जबर्दस्त होता जा रहा है, कामों के अवसरों में विकास इतना तीव्र नहीं हो रहा है। हर वर्ष बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण बेरोजगारों की लंबी कतार आर्थिक स्थिति में खड़ी होती जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगार की कमी हमेशा और कम ही होती जा रही है, इसी कारण से बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है।
  2. मशीनीकरण :- मशीनीकरण को भी बेरोजगारी का एक मुख्य मुद्दा माना जाता है। मशीनीकरण ने असंख्य लोगों के हाथ से रोजगार छीन कर उन्हें बेरोजगार बना दिया है, क्योंकि एक मशीन कई हाथों का काम स्वयं ही निपटा देती है, इसीलिए अधिक संख्या में लोग बेरोजगार होकर खड़े हो रहे हैं। गांधीजी के अनुसार हमारे देश को अधिक उत्पादन नहीं अधिक हाथों द्वारा उत्पादन चाहिए। उन्होंने बड़ी-बड़ी मशीनों की जगह लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दिया था, परंतु अधिकांश लोग आधुनिकता की चकाचौंध और सच्चाई के मार्ग को ही नहीं समझ पाते हैं और प्रणाम यह होने लगा है, कि मशीनीकरण (Mechanization) बढ़ती जा रही है और हाथ खाली होते जा रहे हैं और जबसे कंप्यूटर का देश में विकास हुआ है, तब से बेकारी की समस्या लगातार विकराल रूप धारण करती जा रही है।
  3. शिक्षा व्यवस्था :- शिक्षा व्यवस्था भी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है। कई सालों से हमारी शिक्षा पद्धति (Education System) में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ है, इसीलिए बेरोजगारी के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण मानी जाती है। यहाँ व्यवसाय प्रधान शिक्षा का बहुत ही आभाव देखने को मिलता है, व्यवहारिक और तकनीकी शिक्षा के अभाव में शिक्षा पूरी करने के बाद भी विद्यार्थी बेरोजगार होकर दरबदर भटकते रहते हैं।
  4. अशिक्षा:- अशिक्षा भी बेरोजगारी का एक मुख्य कारण माना जाता है। आज के मशीनी युग में शिक्षित, कुशल तथा प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता तो पड़ती ही है, इसलिए अपनी शिक्षा व्यवस्था में साक्षरता को विशेष महत्व देना पड़ता है। किन्तु व्यवसायिक तथा तकनीकी शिक्षा की अवहेलना होती है, तकनीकी शिक्षा का जो भी प्रबंध है, उसमें सैद्धांतिक पहलू पर अधिक जोर दिया जाता है और व्यावहारिक पहलू पर ध्यान बहुत ही कम होता है, यही कारण है, कि हमारे इंजीनियर मशीनों पर काम करने से कतराते हैं,साधारण रूप से हम केवल नौकरी करने लायक ही बन पाते हैं। 

बेरोजगारी के कई प्रकार के अन्य कारण है, जैसे कि सरकार की ओर से घरेलू उद्योग धंधों को प्रोत्साहन ना देना, सरकार की ओर से बड़े-बड़े व्यापारियों और कंपनियों को अरबों रुपए कर्ज पर आसानी से दे देना,

लघु उद्योग स्थापित करने के लिए आम व्यक्ति को कर्ज ना देना, इसी कारण लघु उद्योग नहीं हो पा रहे हैं और देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।

बेरोजगारी के दुष्प्रभाव Bad Result of Unemployment

बेरोजगारी की समस्या दिन पर दिन बढ़ने के कारण कई प्रकार के दुष्प्रभाव समाज और देश पर देखने को मिलते हैं। शिक्षित बेरोजगारों को ठीक प्रकार से रोजगार न मिलने के कारण वे विभिन्न प्रकार के असामाजिक तत्वों में परिवर्तित हो जाते हैं

और विभिन्न गलत तरीके से धन पैसा एकत्रित करने के कार्य करने लगते हैं। समाज में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचारी, कलाबाजारी, मिलावट खोरी जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होने लगती है, चोरी डकैती जैसे अपराध समाज में होने लगते हैं, जिससे ना ही देश का भला हो सकता है

और ना ही समाज का भला हो सकता है। बेरोजगारी के दुष्प्रभाव के कारण कई ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ (Terrorism Activity) समाज में होने लगती हैं, कि साधारण इंसान का तो जीना भी मुश्किल हो जाता है।

बेरोजगारी के समाधान Solution of Unemployment

सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान उन समस्याओं के कारणों में ही होता है, इसीलिए यदि बेरोजगारी के कारणों को ठीक प्रकार से अध्ययन किया जाए और उन पर प्रभावी प्रकार से रोक लगाई जाए तो बेरोजगारी की समस्या को काफी हद तक खत्म कर सकते हैं।

व्यवसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देना मशीनीकरण पर नियंत्रण करना, रोजगार के अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोग आदि उपायों को शीघ्रता से लागू किया जाना चाहिए,

जब तक इस समस्या का ठीक प्रकार से समाधान नहीं हो जाता, तब तक समाज में ना तो सुख रहेगा और ना ही शांति की स्थापना हो पाएगी और ना ही राष्ट्र का व्यवस्थित और अनुशासित ढांचा

ठीक प्रकार से खड़ा हो पाएगा, इसीलिए बेरोजगारी को खत्म करने के लिए कौशल विकास योजना (Skill Development Programm) के द्वारा बेरोजगारी की समस्या का समाधान

करने की कोशिश करना चाहिए। भारतीयों को स्वयं ज्ञान और नए अविष्कारों की माध्यम से अपने आप को इतना सक्षम बनाना चाहिए, जिससे विश्व भर की बड़ी कंपनियों को हमारी ताकत का पता चल जाए

और वह भारत के साथ निवेश करने के लिए अपनी कंपनियाँ शुरू करें, जिससे हमारे देश के लोगों को कैरियर के अवसर प्राप्त होंगे और बेरोजगारी दूर होगी।

सरकार ने भारत के नौजवानों को आगे लाने के लिए कई प्रकार की योजनाएँ भी शुरू की है, जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुद्रा लोन योजना, आवास योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान,

सुकन्या समृद्धि योजना आदि के द्वारा सरकार सभी लोगों को जोड़ना चाहती है और योजना के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को शिक्षित बनाना चाहती है, जिससे हमारे देश का भविष्य उज्जवल बन सके और बेरोजगारी की समस्या हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो सके

दोस्तों आपने इस लेख में बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (Essay on Unemployment Problem and Solution) पढ़ा। दोस्तों आशा करता हुँ, आपको अच्छा लगा होगा।

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