वाराणसी पर निबंध Essay on Varansi in hindi
वाराणसी पर निबंध Essay on Varansi
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख वाराणसी पर निबंध (Essay on Varansi) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप वाराणसी कहाँ है? वाराणसी का इतिहास,
सांस्कृतिक इतिहास के साथ प्रशासनिक व्यवस्था, वाराणसी के मंदिर, वाराणसी के घाटों के साथ आवागमन के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य जान पायेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख वाराणसी शहर पर निबंध:-
शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग नाम और स्थान
परिचय वाराणसी कहाँ है Introduction
वाराणसी भारत देश के सबसे प्रमुख प्रदेश उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है, जो सबसे पवित्र नदी गंगा के किनारे पर स्थित है।
वाराणसी को पंडितों की नगरी घाटों की नगरी मंदिरों की नगरी आदि उपनाम से जाना जाता है। काशी महाजनपद के नाम से इसका उल्लेख कई पुराणों साहित अथर्ववेद में भी किया गया है।
प्राचीन भारत में देश विदेश से अधिकांश पंडित शास्त्री यहाँ शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे, इसलिए तब से लेकर आज तक यह जुमला प्रसिद्ध है, कि पंडित वही माना जाता है जो काशी पढ़ के आता है।
महाभारत के अनुसार काशी की स्थापना राजा देवदास ने की थी। काशी विद्या तथा शिल्पकला के केंद्र के रूप में हजारों साल से पुराना और चर्चित रहा है। किन्तु वर्तमान में यह भारत देश का प्रमुख धार्मिक केंद्र है,
क्योंकि यहाँ पर भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग सहित कई देवी देवताओं के मंदिर कई ऋषि मुनियों तथा विभिन्न धर्मो के लोगों की कर्मस्थली रही है।
वाराणसी का इतिहास History of varansi
वाराणसी शहर का इतिहास हजारों साल पुराना है कियोकि इस नगरी की चर्चा वेदों तथा कई धार्मिक ग्रंथो सहित पुराणों में भी हुई है।
कई धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बताया जाता है, कि इस धार्मिक पवित्र नगरी काशी की स्थापना का श्रेय हिंदुओं के पवित्र भगवान शिव को जाता है,
किंतु महाभारत के अनुसार फिरसे राजा देवदास ने काशी की स्थापना की थी ऐसा वर्णित है। वाराणसी का इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है,
जिसका उल्लेख ऋग्वेद, रामायण, महाभारत के साथ अन्य कई पुराणों में भी मिलता है वाराणसी प्राचीन काल से ही अपनी संस्कृति, शिक्षा, कला के क्षेत्र में विकसित शहर है, यहाँ पर वस्त्र हाथी दांत तथा
शिल्प कालाओं के औद्योगिक केंद्र प्राचीन काल से ही हुआ करते थे। प्राचीन काल में वाराणसी शहर की स्थापना का उल्लेख छोटे कद के लोगों को बताया जाता है, जो उस समय चांदी और कपड़ों का व्यापार करते थे,
किंतु अन्य लड़ाकू जातियों ने आकर काशी पर अपना अधिकार जमा लिया। महाभारत काल में भी वाराणसी अर्थात काशी के बारे में जानकारी मिलती है।
जब भीष्म पितामह ने काशी नरेश की 3 राजकुमारियों अम्बा अम्बिका अंबालिका का अपहरण किया था। काशी पर पांडवों ने और मगध नरेश जरासंध ने भी अधिकार करके अपने नियंत्रण में लिया था।
इसके बाद ब्रह्मदत्त नाम के पंडितों के कुल ने भी वाराणसी में अधिकार करके वाराणसी पर राज्य किया। महाजनपद काल में राजा अश्वसेन ने काशी पर राज्य किया इन के उपरांत कौशल अवंती तथा वत्स
राज्यों के बीच काशी को हासिल करने के लिए संघर्ष चलता रहा। 18 वीं सदी में काशी एक स्वतंत्र राज्य था, किंतु इसके पश्चात अंग्रेजों ने काशी पर अधिकार कर लिया और उसे एक औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करके उसका पुनर्गठन किया।
वाराणसी का सांस्कृतिक इतिहास Cultural history of Varansi
वाराणसी अपनी संस्कृति के उन्नति तथा कला के द्वारा संपूर्ण विश्व में जाना जाता है। वाराणसी हिन्दु धर्म की एक पवित्र नगरी है, जहाँ की सांस्कृतिक विरासत बहुत ही प्राचीन तथा अनुपम और आलौकिक है।
वाराणसी एक ऐसी नगरी है,जिसे भगवान शिव शंकर के त्रिशूल पर स्थापित माना जाता है। यहाँ पर सभी धर्म से संबंधित प्राचीन मंदिर उनकी पूजन की पद्धतियाँ आदि उपलब्ध है जो प्राचीन काल से ही चली आ रही हैं,
क्योंकि वाराणसी एक ऐसी नगरी है, जहाँ पर बौद्ध धर्म, जैन धर्म, हिंदू धर्म शैव धर्म तपोभूमि की कर्म स्थली रही है। वाराणसी ने कई महान विभूतियों को भी आश्रय दिया है तुलसीदास ने रामचरितमानस
की रचना काशी में ही की जयशंकर प्रसाद, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, मुंशी प्रेमचंद, हजारीप्रसाद द्विवेदी, विश्मिल्लाह खान, समता प्रसाद गिरजा देवी आदि का सम्बन्ध वाराणसी से रहा है।
वाराणसी की प्रशासनिक व्यवस्था Administrative system of varansi
उत्तर प्रदेश में बसी हुई पवित्र नगरी वाराणसी एक मंडल है जिसके अंतर्गत 4 जनपद वाराणसी जौनपुर चंदौली और गाजीपुर आते हैं।
वाराणसी के प्रशासन में निम्न संस्थाएँ आती है, वाराणसी नगर निगम और विकास प्राधिकरण, उत्तरप्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड, उत्तरप्रदेश पुलिस आदि।
वाराणसी जिला प्रशासन के प्रमुख अधिकारी वाराणसी के जिलाधिकारी है। जिलाधिकारी के अतिरिक्त जिला प्रशासन में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ), अपर जिलाधिकारी (एडीएम)
(वित्त / राजस्व, शहर, प्रशासन , प्रोटोकॉल, नागरिक आपूर्ति), मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ), सिटी मजिस्ट्रेट (सीएम) एवं 4 अपर सिटी मजिस्ट्रेट (एसीएम) भी सम्मिलित हैं।
वाराणसी जोन का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) द्वारा, तथा वाराणसी रेंज का नेतृत्व महानिरीक्षक (आईजी) द्वारा होता है।
वाराणसी जिला पुलिस के प्रमुख अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) होते है। जनपद को कई पुलिस क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिसका नेतृत्व पुलिस के क्षेत्राधिकारियों द्वारा किया जाता है।
वाराणसी की व्यापार व्यवस्था Business system of varanasi
वाराणसी प्राचीन काल से ही हस्तशिल्प कला संगीत नृत्य तथा धर्म आदि का केंद्र रहा है। किन्तु यहाँ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कुटीर औधोगो को माना जाता है।
वाराणसी के कारीगर ऐसे हस्तशिल्प कलाओं से युक्त है कि उनके द्वारा रेशमी कपड़ों की बुनावट और कलाकृतियाँ लगभग सम्पूर्ण देश और विदेश में प्रसिद्ध है। वाराणसी के आस-पास के
गांव में लगभग 30,000 से अधिक हथकरघे हैं जिनकी सहायता से वह हस्तशिल्प कला युक्त कपड़ों का व्यापार करते हैं और इससे लगभग वहाँ की 85000 जनता से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
रेशमी साड़ी पर बारीक डिजाइन, जरी का काम वाराणसी में प्रमुख काम होता है, जिनमें कई बाल श्रमिक भी लगे रहते है।
इसके अलावा वाराणसी संगीत और नृत्य का केंद्र भी है, जहाँ पर विभिन्न प्रकार की नई संगीत शैलियों, नृत्य शैलियों आदि के केंद्र बने हुए हैं जहाँ हजारों छात्र-छात्राएँ इन शैलियों को सीखते हैं।
वाराणसी में हाथी दांत कलाकृतियाँ, सोने चांदी की विभिन्न कलाकृतियाँ लकड़ी के खिलौने पर की गई कलाकृतियाँ कांच की चूड़ियों पर की गई कलाकृतियाँ आदि भी वाराणसी की अर्थव्यवस्था में योगदान देते है।
वाराणसी का आवागमन Varansi ka Avagman
वाराणसी का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र होने के कारण यहाँ से यहां हर साल बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं, इसलिए यहाँ आने और जाने के लिए आपको फ्लाइट, ट्रेन और बस सुविधा आसानी उपलब्ध हो जाएगी।
हवाई जहाज द्वारा :-
यहाँ पर लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा या वाराणसी हवाई अड्डा है, जो मुंबई और दिल्ली सहित भारत के कई बड़े शहरों से जुडा है।
रेल के द्वारा:-
वाराणसी रेलवे जंक्शन और काशी रेलवे स्टेशन वाराणसी में दो मुख्य रेलवे स्टेशन हैं। आप इन दोनों में से किसी भी स्टेशन के लिए टिकट बुक करा सकते हैं। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आपको बाहर से ऑटो रिक्शा ऑटो और रिक्शा आसानी से मिल जायेंगे।
बस द्वारा:-
वाराणसी भारत के कई बड़े शहरों इलाहाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, रांची और दिल्ली जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुडा हुआ है है। इनमें से कई शहरों से आपको वाराणसी के लिए कईआरामदायक वातानुकूलित लक्जरी बसों के अलावा कई राज्य बसें और निजी बसें मिल जायेंगी।
वाराणसी के प्रमुख मंदिर Varansi ke pramukh temple
- तुलसी मानसा मंदिर:- यह मंदिर वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में एक माना जाता हैं। इस मंदिर को 1964 में बनवाया गया था जो भगवान श्रीराम को समर्पित है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर:- वाराणसी के सबसे प्रमुख मंदिरों में से काशी विश्वनाथ मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान शिव जी का ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
- दुर्गा मंदिर वाराणसी :- यह मंदिर भी वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं और इस मंदिर को बंदर मंदिर भी कहा जाता है, कियोकि इसका निर्माण बंगाली महारानी द्वारा 18 वीं शताब्दी में करवाया गया था जो गेरू से लाल रंग में रंगा गया है।
- भारत माता मंदिर शहर:- वाराणसी के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से यह भी प्रमुख मंदिर है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर के इस मंदिर में रोजाना नियमित वाराणसी के सभी कोनों से लोगों का आना-जाना लगा रहता है।
- संकटा देवी मंदिर:- देश में सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक संकटा देवी मंदिर है, जो बनारस में सिंधिया घाट के पास स्थित है। इस मंदिर को बनारस के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना जाता है।
- संकट मोचन मंदिर:- संकट मोचन मंदिर रामभक्त हनुमान को समर्पित है। भगवान श्रीराम और शिव के दर्शन के बाद उसका फल प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में अवश्य जाना चाहिए।
- काल भैरव मंदिर :- वाराणसी के सबसे पुराने और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक कालभैरव मंदिर भगवान शिव के सबसे आक्रामक और विनाशकारी रूप काल भैरव को समर्पित है, जिसका निर्माण 17 वीं शताब्दी में हुआ था।
वाराणसी के घाट Varansi ke ghat
वाराणसी में वर्तमान में 100 से अधिक घाट है, जिनका निर्माण काशी पर शासित, आशासित राजा महाराजाओं ने करवाया है, इनमें से कुछ निम्न प्रकार है:-
अस्सी घाट, गंगामहल घाट, तुलसी घाट, जानकी घाट, माता आनंदमयी घाट, जैन घाट, पंचकोट घाट, प्रभु घाट, अखाड़ा घाट, निरंजनी घाट, निर्वाणी घाट, गुलरिया घाट, दण्डी घाट, हनुमान घाट, प्राचीन हनुमान घाट, मैसूर घाट, हरिश्चंद्र घाट, विजयानरम् घाट,
केदार घाट, चौकी घाट, मानसरोवर घाट, नारद घाट, राजा घाट, गंगा महल घाट, दिगपतिया घाट, चौसट्टी घाट, राणा महल घाट, दरभंगा घाट, मुंशी घाट, अहिल्याबाई घाट,शीतला घाट,
प्रयाग घाट, दशाश्वमेघ घाट,राजेन्द्र प्रसाद घाट, त्रिपुरा भैरवी घाट, मीरघाट घाट, ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, संकठा घाट, भोंसलो घाट, गणेश घाट, रामघाट घाट, जटार घाट,
ग्वालियर घाट, पंचगंगा घाट, ब्रह्मा घाट, शीतला घाट, लाल घाट, गाय घाट, बद्री नारायण घाट, नंदेश्वर घाट, तेलिया- नाला घाट, प्रह्मलाद घाट, रानी घाट, भैंसासुर घाट, राजघाट
निष्कर्ष Conclusion
संसार में ऐसे कई स्थल है, जो प्राकृतिक सुंदरता संस्कृति तथा कला की अनुपम आभा को प्राचीन काल से अभी तक अपने ह्रदय में समाये हुए है
और ऐसे स्थलों पर पहुँच कर मनुष्य को आनंद और शांति की अनुभूति होती है, और ऐसा ही एक शहर है वाराणसी, जिसकी अनुपम सुंदरता संस्कृति कला अनायास ही हमारे मन को मोह लेती है और हम उसकी और खींचे चले जाते है।
दोस्तों आपने यहाँ पर वाराणसी पर निबंध (Essay on Varansi) पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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