डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय हिंदी मैं dr rajendra prasad ka jeevan parichay hindi main
डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय हिंदी मैं dr rajendra prasad ka jeevan parichay hindi main
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय हिंदी मैं (dr rajendra prasad ka jeevan parichay hindi main)
दोस्तों इस लेख में आप डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय हिंदी मैं:-
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डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय dr rajendra prasad ka jeevan parichay hindi main
डॉ राजेंद्र प्रसाद एक महान क्रांतिकारी राजनीतिज्ञ तथा साहित्यकार के रूप में भारत सहित विश्व के कोने-कोनेमें जाने जाते हैं, ऐसे महान प्रतिभावान आत्मा का जन्म भारत देश के राज्य बिहार के प्रसिद्ध जिला छपरा के एक छोटे से गांव जीरोदोई में हुआ था।
उनके पिता का नाम महादेव सहाय था, जो संस्कृत और फारसी के प्रकांड विद्वान थे, जबकि माता जी का नाम कमलेश्वरी देवी था, जो एक धर्मपरायण, पतिव्रता महिला थीं। प्रसाद का विवाह 13 वर्ष की उम्र में, राजवंशी देवी से किया गया।
प्रसाद की प्रारंभिक परीक्षा उनके गाँव से ही सम्पन हुई। प्रसाद बचपन से ही एक मेधावी छात्र थे, उन्होंने अपने जीवन की सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में ही पास की. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम. ए और एलएलएम की डिग्री प्राप्त की और फिर लॉ में ही डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
अपना अध्ययन पूरा करने के बाद उन्होंने मुजफ्फरनगर के एक कॉलेज में अध्यापन का कार्य भी प्रारंभ किया, किंतु उनकी अधिक रूचि वकालत में थी, इसलिए उन्होंने कलकत्ता तथा पटना के उच्च न्यायालय में 1899 से लेकर लगभग 1920 तक वकालत की।
इसके पश्चात वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए और स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। डॉ राजेंद्र प्रसाद की निर्भीकता, सत्यनिष्ठा, त्याग, देश तथा देशवाशियों के प्रति समर्पण की भावना के चलते ही उन्हें तीन बार कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना गया
और आजादी के बाद वह भारत के प्रथम राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए। अपनी सेवा कार्य क्रांतिकारी भावना स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने देश के प्रति त्याग समर्पण की भावना रखने एवं ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा के चलते उन्हें 1962 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया ऐसी महान आत्मा ईश्वर के चरणों में 1963 में विलीन हो गई।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का साहित्य में योगदान Sahitya me yogdaan
डॉ राजेंद्र प्रसाद एक महान साहित्यकार और लेखक भी थे। प्रारंभ में वे अंग्रेजी भाषा में अपनी रचनाएं लिखते थे किंतु धीरे-धीरे उनका लगाव हिंदी के प्रति भी हो गया और उन्होंने हिंदी के विकास के लिए लगभग अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद की पढ़ाई फारसी भाषा से उनके पिता द्वारा घर से ही शुरू हुई किन्तु उर्दू और हिंदी पर भी स्नातक तक उनकी अच्छी पकड़ हो गयी थी। डॉ राजेंद्र प्रसाद के महान प्रयासों के फलस्वरूप ही कोलकाता में हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई और वे नागपुर के हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में तथा अन्य कई स्थानों पर प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए।
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने नागरी प्रचारिणी सभा, दक्षिण हिंदी सम्मेलन सभा के द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार का हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए अमूल्य योगदान दिया। प्रसाद जी ने देश नामक पत्रिका का संपादन किया उनके लेख आज भी कई पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कई विषयों पर निबंध भी दिए हैं, जैसे कि साहित्य समाज सेवा शिक्षा संस्कृति जन सेवा आदि।
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान Contribution to the Freedom Movement
गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होकर प्रसाद जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया तथा अंग्रेजी प्रशासन में कई महत्वपूर्ण पदों को ठुकरा दिया। वहिष्कार आंदोलन में उन्होंने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और अपने पुत्र को कोलकाता विश्वविद्यालय से हटाकर बिहार विद्यापीठ में दाखिल करवाया।
उन्होंने देश में सभी वर्ग के लोगों की सेवा की 1914 में बिहार और बंगाल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कई सराहनीय कार्य किये। कई बार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा, किन्तु उन्होंने हार नहीं मानी। 1934 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन का अध्यक्ष चुना,
जबकि 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के इस्तीफ़ा देने के बाद भी उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाला। भारतीय संविधान के रचना में भी उनका योगदान है। उन्हें 24 जानवरी 1950 को स्वतन्त्र भारत का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद की रचनाएँ Compositions of Dr. Rajendra Prasad
डॉ राजेंद्र प्रसाद एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, क्रांतिकारी और एक महान साहित्यकार थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा हिंदी साहित्य की सेवा और उसका प्रचार प्रसार में अमूल्य योगदान दिया है। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपनी रचनाएँ, दार्शनिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कई विषयों पर लिखी हैं।
इसके अलावा उन्होंने विभिन्न विषयों पर भाषण भी दिए हैं। भारतीय शिक्षा, गांधी जी की देन, शिक्षा और संस्कृति, साहित्य, मेरी आत्मकथा, बापूजी के कदमों में चंपारण, महात्मा गांधी, संस्कृति का अभियान आदि रचनाओं के साथ कई महत्वपूर्ण भाषण उन्होंने दिए हैं।
डॉ राजेंद्र प्रसाद की भाषा शैली Dr. Rajendra Prasad's Bhasha Shaily
भाषा :- डॉ राजेंद्र प्रसाद की भाषा व्यवहारिक भाषा है, किन्तु सुबोध भाषा के पक्षपाती रहे हैं। उनके साहित्य में हिंदी, संस्कृत, उर्दू, बिहारी आदि भाषाओं के शब्दों का मिलाजुला प्रयोग देखने को मिलता है।
कभी-कभी उनकी भाषा में कहावतो के साथ ग्रामीण शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। डॉ राजेंद्र प्रसाद के साहित्य की भाषा में अलंकारिक चमक तथा बनावटीपन नहीं दिखाई देता है, इसलिए उनकी भाषा सहज साधारण और सरल बन गई है।
शैली:- डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की साहित्यिक शैली में किसी भी प्रकार का आडंबर बनावटीपन नहीं दिखाई देता है। उन्होंने आवश्यकता के अनुसार छोटे और बड़े वाक्यों का प्रयोग किया है। डॉ राजेंद्र प्रसाद की शैली दो रूपों में देखने को मिलती है:-
साहित्यिक शैली:- शैली में परिवर्तन भाषा के अनुकूल होता रहता है। यह शैली तत्सम शब्दों से परिपूर्ण है, तथा वाक्यों की रचना सुगठित प्रकार से की गई है।
भाषाण शैली :- डॉ राजेंद्र प्रसाद एक कुशल राजनीतिज्ञ थे। वह अपनी बातों को भाषण के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते थे, इसीलिए उनकी शैली भी भाषण शैली के रूप में परिवर्तित हो गई थी। उनकी भाषा शैली में उर्दू, संस्कृत हिंदी के साथ अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का साहित्य में स्थान Dr. Rajendra Prasad's place in literature
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने देश तथा हिंदी साहित्य की सेवा करते हुए सादा जीवन व्यतीत किया, क्योंकि उनके विचार उच्च हुआ करते थे। साहित्य के महान सेवा तथा प्रचारक के साथ ही वह एक महान क्रांतिकारी राजनीतिज्ञ भी थे। ऐसे महान क्रांतिकारी राजनीतिज्ञ और हिंदी साहित्य प्रेमी के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को हमेशा ही याद किया जाएगा।
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