इसरो पर निबंध Isro par nibandh
इसरो पर निबंध Essay on ISRO in Hindi
हैल्लो दोस्तों आपका इस लेख इसरो पर निबंध में बहुत-बहुत स्वागत है, इस लेख में हमने इसरो पर निबंध (Essay on ISRO) हिन्दी भाषा में लिखा है।
इस लेख में इसरो क्या है? इसका इतिहास, इसकी चुनौतियाँ, और उपलब्धियाँ आदि कई रोचक जानकारियों को समाहित किया गया है, तो आइये पढ़ते है इसरो पर निबंध:-
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इसरो पर निबंध Essay on ISRO in Hindi
दोस्तों आप सभी जानते है, कि दुनियाँ आज अंतरिक्ष (Space) के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ रही है। कई देशों ने अंतरिक्ष में कई उन रहस्यों को हमारे सामने लाने में मदद की है, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
इसके साथ ही लोगों को ,चाँद (Moon) और मंगल (Mars) तक पहुँचा दिया गया और विज्ञान के द्वारा मनुष्य के सुख - सुविधा के लिए कई प्रकार के उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किये गए।
बहुत से देशों ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रगति की उनमें से भारत भी एक देश है, जिसने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अद्भुत मुकाम हासिल किया है और इसका श्रेय जाता है हमारे इसरो (ISRO) को।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन क्या है what is ISRO in Hindi?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation : ISRO) यानी इसरो (ISRO) हमारे प्यारे भारत देश का अंतरिक्ष विज्ञान का संस्थान है, तथा मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक में है।
जिसकी स्थापना सन 1962 में “अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति” (INCOSPAR) के रूप में हुई। जो बाद में इसरो के नाम से विख्यात हो गया
इसरो कार्य भारत के लिए एक बेहतर अंतरिक्ष तकनीक उपलब्ध करना है, जिसमें उपग्रहों, परिज्ञापी रॉकेट (Sounding Rockets), प्रमोचक यानों (Rockets Launching Vehicles) और भू-प्रणाली का विकास आदि तकनीकियों को शामिल किया गया है।
भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट (Aryabhata) 19 अप्रैल 1975 को छोड़ा गया था, जिसका नाम भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम दिया गया था।
उस समय हमारे पास तकनीकी ज्ञान की कमी थी इसलिए आर्यभट्ट उपग्रह को पूर्व सोवियत संघ (Soviet Union) द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ा गया था।
किन्तु इस उपग्रह ने 5 दिन के बाद काम करना बंद कर दिया था। फिर भी भारत के लिए अंतरिक्ष में उपग्रह परिक्षेपण एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
इसके बाद भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर, था फिर रोहिणी उपग्रह और फिर अंतरिक्ष में कई अन्य उपग्रह को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
इसरो का इतिहास History of ISRO in Hindi
इसरो का इतिहास बड़ा ही रोचक तथा कठिनाइयों से भरा पड़ा है,अपने शुरूआती दिनों में इसरो की आर्थिक स्थिति बड़ी ही सोचनीय थी,उनके पास समान एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाने के लिए पैसे भी नहीं थे।
वैज्ञानिक साईकिल और बैलगाड़ी से परीक्षण का सामान ले जाते थे, लेकिन अपनी अथाह प्रयास तथा लगन से इसरो बेहतरीन अंतरिक्ष संगठनों में से एक है।
जब भारत आजाद हो चुका था तब हमारे देश के कई भारतीय वैज्ञानिकों ने विज्ञान की दुनिया में अपना योगदान दिया
विक्रम साराभाई ने ही भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम आरम्भ किया इसीलिए इनको भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम (Indian Space Program) का पिता कहा जाता है। इनके समय के एक और महान वैज्ञानिक थे
जिनका नाम था होमी जहाँगीर भाभा , इन्हें भारतीय परमाणु विज्ञान (Nuclear science) में ख्याति प्राप्त की तथा उसके जनक कहलाये।
सन 1962 में “अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति” (INCOSPAR – Indian National Committee for Space Research) का गठन किया गया, जो 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
(Indian Space Research Organisation : ISRO) इसरो के नाम से विख्यात हुआ। अभी इसरो के अध्यक्ष डॉस श्री एस सोमनाथ है.
साराभाई की अध्यक्षता में इन्कोस्पर के द्वारा ऊपरी वायुमंडल के अध्ययन के लिए थम्ब इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (Thumba Equatorial Rocket Launching Station – TERLS) तिरुवनंतपुरम केरल में स्थापित किया गया।
जैसे समय बीतता गया इसरो के कार्यक्रम भी प्रगति करने लगे किन्तु साथ ही कच्चे माल और तकनीक की कमी भी हो रही थी।
इसलिए सन 1969 में इसरो का गठन किया गया, तथा इसके सहयोग के लिए जून 1972 में अंतरिक्ष विभाग (DOS) की स्थापना भी की गई।
इसरो की पहली उयलब्धि भारत का पहला उपग्रह – आर्यभट्ट था जिसे सोवियत संघ के द्वारा 19 April 1975 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया।
इसके बाद सन 1979 में भारत ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से SLV-3 (Satellite Launch Vehicle) को लॉन्च किया किन्तु ,वह विफल हो गया।
सन 1980 में भारत ने रोहिणी प्रेपक्षण यान (Rohini Observation vehicle), SLV-3 के द्वारा कक्षा में लॉन्च किया गया फर्स्ट उपग्रह कहलाया। इसके बाद इसरो ने दो लॉन्चिंग व्हीकल
और बनाये जो पहला PSLV – Polar Satellite Launch Vehicle और दूसरा GSLV – Geosynchronous Satellite Launch Vehicle था
इन दोनों के द्वारा भारत ने संचार और पृथ्वी की जानकरी के लिए विभिन्न प्रकार के रॉकेट लॉन्च किये गए। इन रॉकेटों के द्वारा ही GAGAN और IRNSS जैसे उपग्रह नेवीगेशन सिस्टम के लिए लॉन्च किये गए।
इसरो के लिए चुनोतियाँ Challenges for Isro
इसरो को भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अपने इस अथक प्रयास के कारण ही आज भारत में अध्यक्ष के क्षेत्र में एक अपनी अलग पहचान लिए हुये खड़ा है।
चुनौतियाँ Challenges
इसरो को भारत के अंतरिक्ष के सपने को इस मुकाम तक पहुचने के लिए कई चुनौतियों तथा समस्याओं का सामना करना पड़ा।
भारत में जब इसरो की स्थापना हुई, तो उस समय इसरो के पास बहुत ही सीमित और पुराने संसाधन थे और यह इसरो के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी।
भारत के पास खुद के लॉन्च पैड और व्हीकल भी नही थे। बहुत ही सीमित संसाधनों और समस्याओं का सामना करते हुये हमारे वैज्ञानिकों ने लॉन्च पैड (Launching pad) और व्हीकल (Vhicle) निर्मित किये।
इसके साथ ही रूस, अमेरिका, चीन, आदि अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई उपलब्धियाँ हासिल करते जा रहे थे तथा वे भारत को किसी प्रकार की सहायता देने से इनकार भी कर देते थे
और जब इसरो अपनी कार्यक्षमता प्रदर्शित करना चाहता था तो भारत सरकार इसरो का सही समय पर साथ नहीं दे पाती थी जो इसके लिए एक चुनौतीपूर्ण था तथा इसरो की कार्यप्रणालियाँ विफल हो जाती थी।
इसरो की उपलब्धियाँ Achievements of Isro
इसरो कि उपलब्धियों के बारे में बात करें तो इसरो की अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत ऐसी उपलब्धियाँ है, जिससे भारत जिसके कारण भारत भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक अलग पहचान बना चुका है। जो इस प्रकार है-
सन 1975 में इसरो (ISRO) को पहली सफलता मिली, जब इसरो ने भारत का पहला उपग्रह (India's first satellite) आर्यभट्ट को लॉन्च किया।
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PSLV |
सन 1993 इसरो ने भारत को PSLV यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का निर्माण कर प्रदान किया ।
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सन 2004 में GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
इसरो ने 2008 में चंद्रयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया ।
इसरो ने 5 नवम्बर 2013 में मंगलयान को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया, जो 298 दिनों के बाद 24 सितम्बर 2014 सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँचा।
इसरो ने अमेरिका तथा सोवियत संघ की मदद लिए बिना क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण कर महान उयलब्धि हांसिल की।
इसरो के द्वारा 2017 में एक साथ 104 उपग्रह लॉन्च करने का रिकार्ड स्थापित किया गया।
2019 में लॉन्च किया गया भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान-2 (India’s Moon Mission Chandrayaan 2) का लैंडर विक्रम
चंद्रमा की सतह पर ठीक से लैंड नहीं कर पाया लेकिन इसके वहाँ पहुचने के रास्ते में इसरो ने विभिन्न प्रकार का डाटा इकठ्ठा कर महान उयलब्धि हाशिल की।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम
India’s Space Program
भारत में अंतरिक्ष प्रोग्राम का शुभारम्भ डॉ.विक्रम साराभाई ने की थी। इसीलिए उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक (Father of indian's Space program) कहा जाता है।
इनके ही देखरेख में इसरो का गठन किया गया था। इसी कार्यक्रम के तहत भारत के सभी अंतरिक्ष प्रोग्राम कार्यन्वित किये जाते है।
इसरो के नए प्रोग्राम ISRO’s Upcoming Programs
- ISRO, इसरो के द्वारा नए प्रोग्राम शुरू होने वाले है जो इस प्रकार है:-
- मिशन गगनयान के द्वारा इसरो 2022 तक इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है।
- इसरो के द्वारा 2022 में सूर्य के Solar corona अध्ययन के लिए Aditya-L1 लॉन्च किया जायेगा।
- एक राडार उपग्रह निसार को 2022 में लॉन्च किया जायेगा।
- इसरो Mars Orbiter Mission 2 (MOM 2) मंगलयान 2 मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए अपना दूसरा उपग्रह 2024 में लॉन्च करेगा।
- ISRO 2025 में शुक्र ग्रह के अध्धयन के लिए Shukrayaan-1 ऑर्बिटर लॉन्च करेगा।
दोस्तों आपने इस लेख में इसरो पर निबंध (Essay on Esro) पड़ा आशा करता हुँ, आपको इसरो पर निबंध अच्छा लगा होगा कृप्या इसे शेयर जरूर करें।
FAQs for Isro
इसरो कौन से राज्य में स्थित है?
इसरो कर्नाटक में स्थित है, जबकि इसका मुख्यालय बैंगलोर में है।
इसरो के प्रमुख कौन है?
इसरो के अध्यक्ष और सचिव डॉ. एस सोमनाथ है, जिन्होंने के सिवान की जगह 14 जनवरी 2023 को पदभार ग्रहण किया।
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