हंटर आयोग 1882 का इतिहास History of hunter commission 1882
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है। आज के हमारे इस लेख हंटर आयोग 1882 के इतिहास गुण दोष उद्देश्य नियुक्ति (History of hunter commission) में। दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से भारतीय शिक्षा आयोग
जिसे हंटर आयोग के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में विस्तार से जानेंगे,कि हंटर आयोग की स्थापना किस वर्ष हुई, हंटर आयोग का मुख्य उद्देश्य क्या था,
हंटर आयोग की सिफारिशें क्या थी और हंटर आयोग के गुण और दोष क्या-क्या है? हंटर आयोग की नियुक्ति तो दोस्तों आइये शुरू करते हैं। यह लेख हंटर आयोग 1842 का इतिहास:-
इसे भी पढ़े :- सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास
हंटर आयोग की स्थापना Hunter commission established
जब सन 1854 के वुड घोषणा पत्र को स्वीकार तो कर लिया गया, किंतु सरकार इसको व्यवहारिक रूप में नहीं ला पाई, जबकि वुड के घोषणा पत्र में निस्यंदन सिद्धांत को भी अस्वीकार कर दिया गया था
और सार्वजनिक शिक्षा को मान्यता दे दी गई थी। किंतु तत्कालीन सरकार इस विषय पर भी उदासीन ही रही अंततः 3 फरवरी 1882 को तत्कालीन वायसराय
लार्ड रिपन ने कार्यकारिणी के एक सदस्य सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक शिक्षा आयोग का गठन किया, जिसको प्रथम शिक्षा आयोग या हंटर आयोग के नाम से जाना गया।
भारतीय शिक्षा आयोग या हंटर आयोग (Hunter commission) की स्थापना 1854 के वुड घोषणा पत्र को कहा तक क्रियान्वित किया गया
को जानने के लिए किया गया था। उस समय हंटर आयोग के सामने कई प्रकार के उद्देश्य रखे गए थे। जिनमें से कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं:-
हंटर आयोग के उद्देश्य Objectives of Hunter Commission
हंटर आयोग के सामने निम्न प्रकार के प्रमुख उद्देश्य थे:-
- हंटर आयोग का मुख्य उद्देश्य था कि वर्तमान में जो प्राथमिक शिक्षा की स्थिति है, उसकी जांच करना और उसके विकास के लिए सुझाव देना।
- भारत में विभिन्न मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों को भी महत्व दिया जाना।
- राजकीय शिक्षण संस्थाओं का मूल्यांकन करना इन शिक्षण संस्थाओं को आगे चलने देना है या नहीं आदि पर निर्णय लेना।
- अनुदान नियमावली का मूल्यांकन करना और यह देखना कि शिक्षा प्रसार के लिए भारतीय जनता के द्वारा किस प्रकार से प्रयास हो रहे हैं और सरकार किस प्रकार से उन्हें प्रोत्साहन दे रही है या फिर उदासीनता बर्त रही है।
- हंटर आयोग का उद्देश्य था प्राथमिक शिक्षा का मूल्यांकन करना लेकिन उसने माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए थे।
हंटर आयोग की सिफारिशें Hunter commission recommendations
हंटर आयोग ने शिक्षा के क्षेत्र में 1854 के वुड़ घोषणा पत्र द्वारा लागू नीति का अध्ययन किया और निम्न प्रकार से निष्कर्ष निकाला:
प्राथमिक शिक्षा Primary education
हंटर आयोग ने प्राथमिक शिक्षा के हर क्षेत्र में अपने सुझाव दिए। हंटर आयोग ने प्राथमिक शिक्षा की नीतियों का निर्धारण, संगठन, शिक्षा के लिए आर्थिक व्यवस्था अध्यापकों का प्रशिक्षण, विद्यालयों का पाठ्यक्रम
आदि पर महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को प्रस्तुत किए हंटर आयोग ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा का अधिक से अधिक विकास किया जाना चाहिए तथा
प्राथमिक शिक्षा छात्र-छात्राओं को उनकी मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए, जो छात्र-छात्राएँ पिछड़े वर्ग और जनजातियों आदिवासियों से संबंध रखते हैं।
उनको भी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। वही हंटर आयोग ने प्राथमिक शिक्षा का दायित्व स्थानीय निकायों, जिला बोर्ड, म्युनिसिपल बोर्ड, टाउन एरिया आदि पर रख दिया है।
शिक्षा के क्षेत्र में यह सभी संस्थाएँ उत्तरदाई होंगी। हंटर आयोग ने अपने सुझावों में बताया कि प्राथमिक शिक्षा के लिए धनराशि की व्यवस्था अलग से की जानी चाहिए।
शहरी और ग्रामीण प्राथमिक विद्यालयों को अलग-अलग प्रकार से आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए। हंटर आयोग ने यह भी सुनिश्चित करके बताया कि अध्यापकों के प्रशिक्षण विद्यालयों की भी स्थापना की जानी चाहिए
तथा प्रशिक्षण विद्यालय ऐसे स्थानों पर स्थापित किए जाने चाहिए जहाँ से शिक्षकों की संख्या रिक्त विद्यालयों में आसानी से उपलब्ध हो सके। जबकि पाठ्यक्रम में जीवन उपयोगी विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए।
माध्यमिक शिक्षा Secondary education
हंटर आयोग ने माध्यमिक शिक्षा के विषय में कहा है, कि माध्यमिक शिक्षा का दायित्व पूर्ण रूप से भारतीयों को सौंप देना चाहिए।
भारतीय लोगों को भी शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाने चाहिए। जबकि शिक्षा के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को अनुदान तथा आर्थिक सहायता के द्वारा दूर किया जाना चाहिए।
उच्च शिक्षा Higher education
उच्च शिक्षा के संबंध में भी हंटर आयोग ने अपने सुझाव दिए है। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक सहायता को शिक्षा में अध्यापक, छात्रों की संख्या, शिक्षण संस्थाएँ, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, वाचनालय
वैज्ञानिक उपकरण, भवान, फर्नीचर आदि सभी विषयों को देखकर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ताकि उच्च शिक्षण संस्थाओं का विकास ठीक प्रकार से हो सके।
सहायता अनुदान Grants in aid
वुड घोषणापत्र के अंतर्गत भारत में सहायता अनुदान प्रणाली को लागू कर दिया गया था। परंतु इसमें एकरूपता का अभाव देखा गया।
भारत के विभिन्न राज्यों में इसका रूप अलग-अलग प्रकार से था। जैसे कि मद्रास में वेतन अनुदान के रूप में दिया जाता था। लेकिन मुंबई में परीक्षा फल के आधार पर वेतन देते थे।
मध्य भारत और उत्तरी भारत में नियतकालीन प्रथा के रूप में वेतन दिया जाता था। इसलिए हंटर आयोग ने यह सिफारिश की कि भारत के सभी राज्यों में अनुदान प्रणाली में एकरूपता लाई जानी चाहिए।
साधनों का भारतीयकरण Indianisation of resources
वुड घोषणा पत्र के अनुसार विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की गई इसलिए मिशनरियों ने भी तीव्र गति से विद्यालय और कॉलेज खोलना शुरू कर दिया इसकारण अधिक संख्या में विद्यालय खुल गए।
अब राजकीय विद्यालय और कॉलेजों में क्या संबंध होना चाहिए क्या नीति अपनाई जानी चाहिए इस पर प्रश्न था अतः हंटर आयोग ने शिक्षा के व्यापक हित में सरकार को शिक्षा के क्षेत्र से हट जाने के सुझाव दिए।
धार्मिक शिक्षा Religious education
धार्मिक शिक्षा के संबंध में भी हंटर आयोग ने सुझाव दिये कि जो भी विद्यालय शासन के द्वारा चलाए जा रहे हैं। उन विद्यालय में धार्मिक शिक्षा के लिए कोई भी प्रकार का स्थान नहीं होना चाहिए।
जबकि जो गैर सरकारी संस्थाएँ, निजी विद्यालय, उनमें धार्मिक शिक्षा का प्रावधान हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है।
यह विद्यालय के प्रबंधकों पर निर्भर करता है। जबकि जिन विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। उनमें अनुदान देते समय विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा और स्तर दोनों को ही ध्यान में रखा जाएगा।
स्त्री शिक्षा Woman education
स्त्री शिक्षा के विषय में भी हंटर आयोग ने विभिन्न प्रकार के सुझाव दिए हैं। उन्होंने बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम होने का सुझाव दिया है।
बालिकाओं के लिए पाठ्यक्रम में जीवन उपयोगी विषय सिम्मिलित किए जाने चाहिए। तथा उन्हें जीवन का व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाना चाहिए।
जहाँ पर बालिकाओं की शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है। वहाँ पर महिला शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जबकि अन्य अधिकारी भी महिलाएँ ही होनी चाहिए।
मिशनरी शिक्षा Missionary education
मिशनरी शिक्षा और मिशनरियों के द्वारा स्थापित विद्यालयों को देसी विद्यालय नहीं माना गया। हंटर आयोग ने कहा कि भारत देश अनेक धर्म, जातियों परंपराओं का देश है।
जहाँ पर उच्च शिक्षा का दायित्व किसी एक संस्था को नहीं दिया जाना चाहिए। जबकि मिशनरियों द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिक प्रयास भी किए गए।
किंतु मिशनरीज संस्थाएँ भारतीय जनता का विश्वास और सद्भावना कभी भी प्राप्त नहीं कर सकती हैं।
विशेष शिक्षा योजना Special education scheme
हंटर शिक्षा आयोग ने बताया और सुझाव दिया कि देशी राजाओं,जागीरदारों तथा तालुकेदारों के लिए विशेष प्रकार के विद्यालय खोले जाए। जिसमें शिक्षा की व्यवस्था अन्य विद्यालयों की अपेक्षा बेहतर होगी।
पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों की शिक्षा Education of backward caste people
आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि शिक्षा सभी के लिए है। तथा पिछड़े वर्ग तथा अनुसूचित जाति जनजाति और आदिवासी के लोगों को भी शिक्षा का पूर्ण अधिकार और पूर्ण अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
छुआछूत, जाति पाती, भेदभाव आदि को समाप्त करना चाहिए। तथा विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान भी विवेकपूर्ण और बुद्धि से किया जाना चाहिए।
आदिवासियों की शिक्षा Tribal education
हंटर आयोग में आदिवासी तथा जनजाति लोगों की समस्याओं और उनके शिक्षा का भी अध्ययन किया। तथा हंटर आयोग ने सुझाव दिया, कि आदिवासी क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों के लिए भी विशेष प्रकार के स्कूलों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
हंटर आयोग के गुण Features of the Hunter Commission
- हंटर आयोग द्वारा दी गई सिफारिशें व्यवहारिक थी जिससे शिक्षा के क्षेत्र में तीव्र विकास हुआ।
- प्राथमिक शिक्षा में कृषि,भौतिक शास्त्र आदि विषयों को समाहित करके शिक्षा को सैद्धांतिक और व्यवहारशाली बनाने की कोशिश की गई।
- हंटर आयोग की सिफारिशों में पिछड़ी जातियों की शिक्षा, महिला शिक्षा, मुस्लिम शिक्षा, आदि पर विशेष बल दिया गया।
- हंटर आयोग ने शिक्षा का उत्तरदायित्व भारतीयों को सौंपने के लिए कहा जिससे भारतीय में शिक्षा के प्रति नई चेतना का जागरण होगा।
हंटर आयोग के दोष Hunter commission defects
- हंटर आयोग में नई चीजों को बहुत ही कम जोड़ा गया था इसमें ज्यादातर चीजें वुड़ घोषणा पत्र से ली गई थी।
- प्राथमिक शिक्षा का दायित्व स्थानीय संस्थाओं को दे दिया गया। उनके पास धन की आवश्यकता अपूर्ण होने पर प्राथमिक शिक्षा अधिक विकसित ना हो सकी।
- मुस्लिम शिक्षा की अलग से सिफारिश की गई थी जिससे देश में सांप्रदायिकता उत्पन्न हुई थी।
- व्यवसायिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण पर बहुत ही कम ध्यान दिया गया।
दोस्तों इस लेख में आपने हंटर आयोग 1882 का इतिहास (History of Hunter commission) हंटर आयोग की नियुक्ति, उद्देश्य सिफारिशें तथा गुण और दोष पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
FAQs For Hunter Commission
Q.1. हंटर आयोग की स्थापना कब हुई?
Ans. हंटर आयोग की स्थापना 1882 में हुई थी।
Q.2. हंटर आयोग में कितने भारतीय थे?
Ans. हंटर आयोग में सात भारतीय सदस्य थे।
Q.3. हंटर कमीशन की रिपोर्ट में कितने प्रस्ताव रखे गए थे?
Ans. हंटर कमीशन की रिपोर्ट में शिक्षा से सम्बंधित लगभग 200 सुझाव थे।
इसे भी पढ़े:-
- ताजमहल का रहस्य Mystery of Tajmahal
- समाचार पत्र का इतिहास History of Newspaper
- कनिष्का का इतिहास History of Kanishka
- महर्षि बाल्मीकि का इतिहास History of Maharshi Balmiki
- राजा पुष्यमित्र शुंग का इतिहास History of King Pushyamitra Shung
Comments
Post a Comment