दहेज प्रथा पर निबंध हिंदी में Essay on dowry system in hindi
दहेज प्रथा पर निबंध हिंदी में Essay on dowry system in hindi
हैल्लो दोस्तों आपका इस लेख दहेज़ प्रथा पर निबंध (Essay on dowry system) में बहुत-बहुत स्वागत है। आज के इस लेख में आप देखेंगे,
दहेज प्रथा क्या है? उसके कारण तथा नुकसान क्या है? दहेज प्रथा पर निबंध निबंध class 9, class 10 उच्च कक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है।
यहाँ से आप दहेज प्रथा (Dowry System) पर निबंध लिखने का आईडिया भी ले सकते है। तो आइये शुरू करते है, दहेज प्रथा पर निबंध:-
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दहेज प्रथा पर निबंध Class 9 Essay on dowry system
भारत एक संस्कृतिक संपन्न देश है, क्योंकि यहाँ पर कई धर्मों के लोग प्रेम तथा भाईचारे के साथ मिलजुल कर निवास करते हैं, तथा उनके अलग-अलग प्रकार के त्योहार, कई विचित्र प्रथाएँ,
रीतियाँ, उनका रहन-सहन सभी में भिन्नता पायी जाती है। लेकिन कुछ प्रथाएँ तथा रीतियाँ ऐसी होती हैं,जो समाज के लिए अभिशाप बन जाती है।
ऐसी ही एक प्रथा है, दहेज प्रथा, (Dowry System) जो समाज के हित के लिए बनाई गई थी, किन्तु आज समाज के लिए अभिशाप बन गई है। यहाँ पर दहेज प्रथा के बारे में साधारण शब्दों में निबंध समझाया गया है:-
दहेज़ प्रथा क्या है what is dowry system
समाज में बहुत सी प्रथाएँ प्रचलित है और आज जो सभी धर्मों के लोगों में अपनाई जाने लगी हैं। जिनमें से एक प्रथा है, "दहेज प्रथा"
किन्तु दहेज प्रथा आज एक अभिशाप बन गई है, इसका मुख्य कारण आधुनिकीकरण (Modernization) तथा इसे एक अधिकार समझ लेना है।
कई प्रथाएँ ऐसी है, जो भारत सहित कई देशों में प्रचलित है। यह प्रथाएँ समाज के हित के लिए समय-समय पर समाज के विचारको तथा ज्ञानी लोगों (Wise Man) के द्वारा बनाई गई हैं,
लेकिन बाद में यह समाज के लिए अभिशाप भी बन कर सामने आ जाती हैं। इसलिए ऐसी कई प्रथाएँ समाज के लिए हानिकारक सिद्ध होती हैं।
किंतु यह एक ऐसी चलन में आ जाती हैं, जिनसे निजात पाना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है। दहेज प्रथा एक ऐसी प्रथा है जिसमें कन्या पक्ष के लोग वर पक्ष को कुछ गिफ्ट स्वरूप धन तथा अन्य सामान देते हैं,
लेकिन इस समय यह प्रथा एक अधिकार का रूप ग्रहण कर चुकी है और आज लोग कन्या पक्ष से यह मांग रखते हैं, कि उन्हें शादी में कितना धन चाहिए,
कितना सामान चाहिए तथा ऐसा ना होने पर वह शादी तोड़ देते हैं और यह प्रथा समाज तथा कन्या पक्ष के लिए अभिशाप बन जाती है।
दहेज का अर्थ तथा इतिहास Meaning of dowry and History
दहेज का अर्थ जिसमें कन्या पक्ष के लोग वर पक्ष को कुछ सामान कुछ गिफ्ट तथा धन देते हैं होता है। वह सब इसलिए दिया जाता है,
कि नवविवाहित दंपति अपनी गृहस्थी को आराम से स्थापित कर सके। ऐसी प्रथाएँ हमारे समाज के प्रबुद्ध विचारकों द्वारा समय-समय पर
समाज के हित के लिए बनाई गई थी, जो प्राचीन काल / वैदिक काल (Vaidik Age) में बहुत फलती फूलती रही, किंतु मुगल काल (Mughal period) आने तक
तथा अंग्रेजी शासन में यह एक भयंकर अभिशाप के रूप में सामने आ गई हैं, क्योंकि इस समय तक दहेज प्रथा एक मांग प्रथा बन गई थी,
जिसमें लोग कन्या पक्ष के लोगों से धन की माँग करने लगे तथा धन ना दिए जाने पर वह रिश्ता ही तोड़ देते है। वैदिक काल में कन्या पक्ष के लोग
तथा कन्या पक्ष के रिश्तेदार अपनी सामर्थ्य और इच्छा के अनुसार वर पक्ष को उपहार स्वरूप धन तथा अन्य वस्तुएँ देते थे। किंतु मुगल काल में दहेज प्रथा ने अपना चरम सीमा ही लांघ दी।
मुगल काल में दहेज प्रथा ने विकराल रूप धारण कर लिया और वर पक्ष वाले कन्या पक्ष से दहेज की मांग करने लगे इसकारण समाज में महिलाओं की स्थिति बड़ी ही दयनीय होती चली गई।
तथा महिला वर्ग को कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। अंग्रेजी शासन काल (Britrish Rules Time) में भी दहेज प्रथा पर कोई भी अंकुश नहीं लगा।
किन्तु कई समाज सुधारकों ने दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया था और भारत देश को आजादी मिलने के पश्चात 1961 में दहेज प्रथा कानून (dowry law) अस्तित्व में आया
इसके पश्चात 1985 में दहेज प्रथा निषेध नियम (dowry prohibition rules) बनाए गए। और दहेज प्रथा पर रोकथाम लगाने के लिए प्रयास किया गया जिस कारण वर्तमान युग (Present Age)
में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण आज दहेज प्रथा पर काफी हद तक अंकुश लगाया गया है किंतु आज भी कुछ रूढ़िवादी विचारधारा (Conservative ideology) के लोग हैं
जिनकी कारण प्रत्येक वर्ष दहेज प्रथा के कारण लगभग 5000 से अधिक महिलाएँ या तो स्वयं आत्महत्या कर लेती हैं या फिर उन्हें मृत्यु के घाट उतार दिया जाता है। इस प्रकार दहेज प्रथा दिनों दिन बढ़ती हुई एक विकराल रूप धारण करती जा रही है।
दहेज प्रथा से लाभ Profit of Dowry system
दहेज के कुछ लाभ भी होते है, और वह मनुष्य के जीवन में कई प्रकार से उन्हें लाभान्वित करते है। दहेज में जो कुछ संपत्ति जो चल अचल किसी भी प्रकार की हो उससे नवविवाहित दंपत्ति को अपना घर ग्रहस्थी बसाने में सहायता मिलती है,
जबकि अच्छा पैसा मिलने पर कोई व्यापार तथा छोटी दुकान भी खोल सकते है, जबकि दहेज के पैसे से कुछ स्टडी तथा अन्य कौशल सीखने में भी उपयोग कर सकते है। आजकल तो लोग दहेज में गाय भैंस भेड़ बकरी आदि भी देते है, जो प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष तरीके से लाभ मिलता है।
दहेज प्रथा के नुकसान Loss of dowry system
बढ़ते हुए दहेज प्रथा के कारण आज हम समाज में देखते हैं, कि कई प्रकार की कुरीतियाँ भी उत्पन्न हो रही हैं. कन्या पक्ष के लोग लड़के पक्ष को धन नहीं दे पाते है,
तो लड़के पक्ष के लोग उन्हें कई प्रकार की बातें सुनाते हैं तथा रिश्ता तोड़ देते हैं, कई बार शादी हो जाने के बाद लड़कियाँ ससुराल में जला दी जाती है,
जिससे लड़की पक्ष के लोगों की समाज में बदनामी तथा उन्हें कई भयानक दुखों को सहना पड़ता है, दहेज के अभाव में आकर कई लड़कियाँ आयोग्य लड़कों से विवाह दी जाती हैं,
जिससे उनकी जिंदगी जीते जी नरक बन जाती है। कभी-कभी तो लड़कियाँ आवेश में आकर अपनी जान तक दे देती हैं।
लड़कियों के पिता लड़के पक्ष को दहेज देने के लिए अपना घर बेच देते हैं, जमीन बेचकर दूसरों के यहाँ मजदूरी करने लगते हैं और जिंदगी भर तक कर्जा ही चुकाते रहते हैं।
कई लोग चोरी चापाटी करने लगते हैं, लड़की की शादी में दहेज देने के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए बहुत से लोग विभिन्न प्रकार की कालाबाजारी भ्रष्टाचार अनीति अत्याचार को अपनाने लगते हैं,
अतः कई प्रकार की समस्याएँ समाज के सामने उत्पन्न होने लगती हैं। इसलिए दहेज प्रथा आज समाज के लिए अभिशाप बन गई है,
जो लगातार हमारे समाज को अपने गिरफ्त में लेती जा रही है। वरन दहेज प्रथा के फायदे ना के बराबर ही हैं। दहेज प्रथा के फायदे केवल वर पक्ष को ही होते हैं,
किंतु वर पक्ष को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उसके घर भी लड़की है, अतः आप उसे भी अपनी लड़की का विवाह करना है।
इसलिए उसे भी दहेज देना पड़ सकता है अतः उसकी स्थिति क्या होगी? इसीलिए दहेज से कोई भी लाभ नहीं होता यह केवल एक मानसिक सोच और लालच है कि दहेज से लाभ होता है।
दहेज प्रथा को कैसे खत्म करें how to remove dowry system
दहेज प्रथा एक ऐसी प्रथा है, जो हमारे समाज के लिए भयंकर विष के समान है, जिसमें एक समाज कदापि फल फूल नहीं सकता।
इसलिए अगर आप इस भयंकर विषरूपी समस्या को खत्म करना चाहते हैं, तो सबसे पहले स्वयं को इस प्रथा का बहिष्कार करना चाहिए,
क्योंकि हर पिता को लड़का और लड़की दोनों होते हैं। जब आप अपने लड़के की शादी में दूसरों से दहेज मांगते हैं, तो अच्छा लगता है,
किन्तु जब लड़की की शादी में दहेज देने की बात आती है, तब आपको दहेज कुप्रथा दिखाई देती है। इसलिए आपको याद रखना चाहिए
कि आप अगर लड़के वाले हैं तो आप लड़की वाले भी हैं, आपको ना दहेज देना चाहिए और ना ही दहेज लेना चाहिए इसके साथ-साथ युवा पीढ़ी (Young Generation) को भी
इस की ओर कदम उठाने चाहिए तथा दहेज प्रथा के खिलाफ हमेशा हर वक्त लोगों को समझाने की कोशिश करती रहनी चाहिए,
तथा दहेज लेना नहीं चाहिए ना ही किसी को दहेज देना चाहिए तभी हमारी बहू, बेटियाँ फिर से एक अच्छी जिंदगी में अपने स्वतंत्र इरादों के साथ खुले वातावरण में आनंद से जीवन बिता पाएंगी।
उपसंहार conclusion
दहेज प्रथा की कुरीतियों में से सबसे बड़ी कुरीति है, इसलिए इसको जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी इसे त्याग देना चाहिए, तभी हमारा समाज सभ्य और शिष्ट हो सकता है, क्योंकि आज आप देख रहे हैं,
हमारे समाज में कई प्रकार की कुरीतियाँ उत्पन्न होती जा रही हैं इसका मुख्य कारण दहेज प्रथा भी है हमें इसके खिलाफ प्रचार प्रसार करना चाहिए तथा दूसरों लोगों को समझाना चाहिए। तभी हम आदर्श और सभ्य मानव कहलाने लायक बनेंगे।
Note- आपने इस लेख में दहेज प्रथा अभिशाप पर निबंध दहेज प्रथा पर निबंध Class 9 (Essay on dowry system class 9th) पड़ा। आशा करता हुँ। आपको अच्छा लगा होगा इसे शेयर अवश्य करें।
FAQs For Dowry System
Q.1. दहेज निषेध अधिनियम कब पारित हुआ?
Ans. दहेज निषेध अधिनियम भारतीय संसद में 1 जुलाई 1961 में लागू हुआ।
Q.2. दहेज निषेध अधिनियम 1961 क्या है?
Ans. यदि कोई व्यक्ति दहेज लेता है या देता है या फिर उस गतिविधि में संलग्न है उस स्थिति में उस व्यक्ति को दहेज अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत जुर्माना और कारावास की सजा होती है।
Q.3. दहेज को ना कैसे कहते हैं?
Ans. दहेज को ना कहने के लिए अपने घर वालों को समझायें तथा उनसे कहें दहेज लेना और देना कानूनी अपराध के साथ समाज के लिए श्राप है और आप किसी भी परिस्थिति में कानून का भी सहयोग ले सकते है।
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