राजेंद्र प्रसाद के बारे में 5 लाइन 5 line about dr Rajendra prasad
राजेंद्र प्रसाद के बारे में 5 लाइन 5 line about dr Rajendra prasad
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राजेंद्र प्रसाद के बारे में 5 लाइन 5 line about dr Rajendra prasad
- डॉ राजेंद्र प्रसाद एक महान क्रांतिकारी साहित्यकार और राजनेता के रूप में संपूर्ण भारत के साथ विश्व में भी जाने जाते हैं।
- डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार राज्य के छपरा नामक जिले के एक छोटे से गांव जीरोदोई मैं हुआ था।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद जन्म से ही एक प्रतिभावान और गुणी व्यक्ति थे।
- उन्होंने अपना अध्ययन कोलकाता विश्वविद्यालय में किया वहां पर उन्होंने m.a. और एल एम की डिग्री प्राप्त की।
- उन्होंने मुजफ्फरनगर के एक महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया किन्तु 1899 के बाद उन्होंने वकालत शुरु कर दी, डॉ राजेंद्र प्रसाद 1920 में महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े पर और भारत के प्रथम राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए।
डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में 10 लाइन 10 line about dr Rajendra prasad
- डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के एक महान स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी साहित्यकार और महान राजनेता के रूप में जाने जाते हैं।
- राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के छपरा नामक जिले के एक छोटे से गांव जीरोदोई में हुआ था।
- उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद का विवाह 13 वर्ष की अवस्था में राजवंशी देवी से कर दिया गया था।
- राजेंद्र प्रसाद कुशाग्र बुद्धि के व्यक्ति थे, जो हमेशा ही किसी भी परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त करते थे।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपनी प्रारंभिक परीक्षा छपरा जिला आते ही प्रारंभ की तथा उच्च अध्ययन कलकत्ता विश्वविद्यालय से किया।
- कोलकाता विश्वविद्यालय से डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने m.a. की परीक्षा पास की है। इसके बाद एल एम में कानून की डिग्री प्राप्त की।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद को उनकी महान देशभक्ति देश के प्रति समर्पण करना त्याग तथा सामाजिक कार्य को देखते हुए उनको तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सुशोभित किया गया इसके बाद उन्हें भारत का प्रथम राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त हुआ।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद ने हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार में भी अपना अमूल्य योगदान दिया, उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा तथा दक्षिण हिंदी सभा के द्वारा हिंदी साहित्य का प्रचार प्रसार किया।
- प्रसाद जी ने हिंदी साहित्य को महान रचनाएँ, आत्मकथा, निबंध तथा भाषण दिए जो आज भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं।
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