वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on air pollution in hindi
वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on air pollution in hindi
हैलो दोस्तों एक बार फिर आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on air pollution in hindi) में। दोस्तों आज हम एक विश्वव्यापी समस्या वायु प्रदूषण निबंध के बारे में पड़ेंगे कि वायु प्रदूषण क्या है?
वायु प्रदूषण के कारण कौन-कौन से हैं? वायु प्रदूषण को कैसे खत्म किया जा सकता है? इसके निवारण क्या क्या है? दोस्तों वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1 से 12 वीं तथा उच्च कक्षाओं में अवश्य पूँछा जाता है,
यहाँ से आप वायु प्रदूषण पर निबंध लिखने का आईडिया भी ले सकते है। तो आइए दोस्तों शुरू करते हैं, आज का यह लेख वायु प्रदूषण पर निबंध:-
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वायु प्रदूषण के कारण कौन-कौन से हैं? वायु प्रदूषण को कैसे खत्म किया जा सकता है? इसके निवारण क्या क्या है? दोस्तों वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1 से 12 वीं तथा उच्च कक्षाओं में अवश्य पूँछा जाता है,
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- प्रस्तावना Introduction
वायु कई गैसो का मिश्रण होता है, जिसमें ऑक्सीजन प्राण वायु कहलाती है किन्तु कुछ मानवीय तथा प्राकृतिक कारणों से वायु में ऐसे
विषेले तत्व मिल जाते है जिनके कारण जीव जंतुओ तथा वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उसे वायु प्रदूषण कहते है।
वायु में कई रासायनिक तत्व सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन घुल जाते है जो कई बीमारियों का कारण बनते है, तथा मनुष्य और जीव जंतुओ में कई लाइलाज रोग उत्पन्न करते है।
- कारण तथा निवारण Causes and Solution
वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या तथा वनो का दोहन है जिससे ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है।
विकसित ओधोगिक इकाईयाँ इनसे निकलने वाला विषैला धुंआ रात-दिन मोटर वाहन से निकलने वाली घातक कार्बनमोनोऑक्साइड वातावरण में दमघोंटू माहौल बना देते है।
इसके साथ ही ज्वालामुखी से निकलने वाला राख, सल्फर ऑक्साइड का धुंआ कई मीलों तक पहुँचता है, जो कई वर्षों तक आसमान में छाया रहता है तथा वायु प्रदूषण का कारण बनता है।
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए वायु प्रदूषण रोकथाम के कानूनों को सख़्ती से लागू करना चाहिए।
सरकार के साथ मनुष्य को वृक्षारोपण करना चाहिए वनो को विकसित करना चाहिए तथा जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना चाहिए।
उद्योगिक इकाइयों को अपनी चिमनियों को और ऊँचा कर देना चाहिए तथा उनमें फ़िल्टर लगाना चाहिए ताकि विषेले तत्व वायु में ना मिल पाएँ।
- उपसंहार Conclusion
वायु प्रदूषण जनसंख्या वृद्धि के तथा अन्य कारण से उत्पन्न विकराल समस्या है जो आज के भौतिकवादी युग में घातक साबित हों रही है,
इसलिए समय रहते इसका निराकरण आवश्यक है वरना यह भयानक रूप लेकर पृथ्वी पर जीवन को नष्ट कर सकती है।
वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution
प्रस्तावना Introduction
वायु प्रदूषण क्या है निबंध :- वायु प्रकृति का एक ऐसा अमूल्य वरदान है, जिसके बिना किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती।
संसार के समस्त प्राणियों के लिए चाहे वह थल में रहते हो जल में रहते हो या फिर नभ मे रहते हो सभी के लिए वायु अत्यंत आवश्यक होती है।
वायु एक नहीं कई गैसों का मिश्रण भी होती है, क्योंकि उसमें ऑक्सीजन 21% नाइट्रोजन 78% कार्बन डाइऑक्साइड 0.03% के साथ ही अन्य प्रकार की गैसे जलवाष्प और अन्य धुलकण भी मिले होते हैं।
मनुष्य तथा विभिन्न प्रकार के जीव जंतु वायु सांसों के माध्यम से शरीर के अंदर खींचते हैं, जो फेफड़ों (Lungs) तक जाती है। इस वायु में प्राणधारी ऑक्सीजन गैस (Oxigen) होती है, जो हमारे फेफड़ों तक पहुंचती है।
तथा फेफड़ों में आई हुई कार्बन डाइऑक्साइड (Carbondi oxide) वायु के साथ बाहर भी निकल जाती है। इसीलिए हमें शुद्ध वायु में साँस लेना चाहिए जिसमें ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा हो, इसलिए साधारण शब्दों में कहा जा सकता है,
जब वायु विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों के कारण अपने प्राकृतिक गुणों को खो देती है। तब उस वायु को प्रदूषित वायु (Polluted air) कहा जाता है और यह स्थिति वायु प्रदूषण कहलाती है।
साधारण शब्दों में कहा जा सकता है,कि वायु प्रदूषण वह एक स्थिति है, जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, और मनुष्य को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है वह स्थिति वायु प्रदूषण कहलाती है।
वायु प्रदूषण के कारण Causes of air pollution
बढ़ती हुई जनसंख्या तथा औद्योगीकरण के कारण आज वायु तीव्र गति से प्रदूषित हो रही है, वायु प्रदूषण के कुछ कारण निम्न प्रकार से हैं:-
जनसंख्या दबाव - वर्तमान समय में दिन-प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ती जा रही है, जिससे ऑक्सीजन कम होती जा रही है।
क्योंकि पृथ्वी पर जितने अधिक जीव-जंतु होंगे वह उतनी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन सांस के रूप में लेंगे और कार्बन डाइऑक्साइड
बाहर छोड़ेंगे, जिससे वायु प्रदूषित होती जा रही है। अतः कहा जा सकता है, जनसंख्या का दबाव वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
कृषि का वैज्ञानिक विकास - बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अधिक उपज प्राप्त करने के लिए लोग विभिन्न प्रकार के रासायनिक दवाइयाँ तथा कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग अपनी फसलों में करते हैं,
और इन रासायनिक पदार्थों से बनने वाली गैस वायुमंडल में घुल जाती हैं। जिससे वह वायु को प्रदूषित कर देती है और वायु प्रदूषण का कारण बन जाती है।
वनों की कटाई - वनों की कटाई वायु प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है, क्योंकि वृक्ष ही ऑक्सीजन छोड़ते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड जैसी विषैली गैसों को ग्रहण करते हैं।
अगर पृथ्वी पर लगातार वनों की कटाई होती जाएगी तो 1 दिन ऐसा आएगा, कि पृथ्वी (Earth) से जीवन का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
क्योंकि वृक्षों की कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती ही जाएगी और ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाएगी यह सभी जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों के लिए घातक सिद्ध होगा।
उद्योग धंधों का फैलाव - भौतिकवादी वातावरण में आज के समय हर एक व्यक्ति ऐश्वर्य का जीवन जीना चाहता है, इसलिए आज के समय में औद्योगीकरण तीव्र गति से विकसित होता जा रहा है।
औद्योगिकरण में विभिन्न प्रकार के रसायनों तथा गैसों का उपयोग किया जाता है वनो का सफाया किया जाता है, जिससे वायुमंडल में उपस्थित वायु दूषित होने लगती है, और भयंकर प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न करती है।
कंपनियों तथा उद्योगों से निकलने वाला धुंआ जिसमें कार्बन डाई ऑक्साइड, (CO2) सल्फर डाइऑक्साइड, (SO2) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) विभिन्न प्रकार की विषैली गैस पाई जाती हैं,
जो वायु में घुलकर मनुष्य के स्वास्थ्य (Health) पर विपरीत प्रभाव डालती हैं। भोपाल में जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट रिसने के कारण हजारों लोगों की जान गई थी।
वाहनों के द्वारा प्रदूषण - बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आज के समय में दिन-प्रतिदिन वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है,
और वाहनों में जलने वाले ईंधन से कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड गैस तथा अन्य विषैली गैसें वातावरण में घुलती रहती हैं। तथा वायु प्रदूषण का कारण बनती है।
सूक्ष्म कणों के द्वारा प्रदूषण - वायु को विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे कण भी प्रदूषित करते हैं, जो कंपनीयों, ज्वालामुखियों, आंधी तूफान से उत्पन्न होते है, और शुद्ध वायु में व्याप्त हो जाते हैं।
सीमेंट कारखाने से निकले छोटे-छोटे धूल के कण रासायनिक उद्योग, सीसा उद्योग तथा इस्पात उद्योग के द्वारा निकलने वाले विषैले छोटे-छोटे कण हवा मिल जाते हैं और सांस के द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रवेश
करके विभिन्न प्रकार की घातक रोग उत्पन्न करने लगते हैं। इन कणों में बेरिलियम, जस्ता, सीसा आदि के कण होते हैं जो वायु को प्रदूषित करने के साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव Bad result of air pollution
वायु में विभिन्न प्रकार की विषैली गैसे पाई जाती हैं, जिनके प्रभाव तथा बीमारियाँ अलग-अलग प्रकार की होती है, वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव को निम्न प्रकार से समझाया गया है:-
सल्फर डाइऑक्साइड के प्रभाव - सल्फर डाइऑक्साइड गैस एक अत्यंत विषैली गैस होती है, जो विभिन्न प्रकार के उद्योगों से चिमनियों के माध्यम से वातावरण में निकल जाती है।
किंतु यह वायु के साथ घुलकर वायु को प्रदूषित कर देती हैं और यही प्रदूषित वायु मनुष्य की श्वास नली के द्वारा फेफड़ों तक पहुंचती है, तो श्वास नली के मध्य का स्थान सूखने लगता है,
पौधों की कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है, पत्तों की नमी को धारण करने की क्षमता कम हो जाती है, तथा यह मनुष्य के साथ वनस्पतियों पर बुरे घातक प्रभाव उत्पन्न करती है।
इसके साथ ही सल्फर डाइऑक्साइड जलवाष्प के साथ क्रिया करके H2SO4 सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करती है, और यह सल्फ्यूरिक अम्ल वर्षा (Acid Rain) के जल के साथ जमीन पर गिरता है। तब विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं के साथ वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है।
कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव - कार्बन डाइऑक्साइड वायु में उपस्थित एक गैस होती है, जिसे जीव जंतु छोड़ते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड का स्वभाव होता है, कि वह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों
को पृथ्वी पर आने तो देती है, किंतु उनको वापस जाने नहीं देती जिससे पृथ्वी का वातावरण गर्म होने लगता है। और विभिन्न प्रकार की समस्याएँ जैसे - ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न होती है।
जबकि मनुष्य में भयानक बीमारियों जैसे त्वचा कैंसर आदि से उत्पन्न होने लगते है।वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 0.3% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ती जा रही है, जो एक गंभीर स्थिति है।
अगर आगामी वर्षों में इस स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं कि पृथ्वी से जीवन का अस्तित्व सदा के लिए खत्म हो जाएगा।
कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रभाव - कार्बन मोनोऑक्साइड एक गैस है जो कोयले, पेट्रोल, लकड़ी आदि के जलने से निकलती है। पेट्रोल और डीजल के जलने पर भी इस गैस का उत्पन्न होना माना जाता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड एक ऐसी विषैली गैस है, जो दमा ब्रोंकाइटिस, टॉन्सिल्स रोग जैसी बीमारियों को उत्पन्न कर देती है। जबकि इसका प्रभाव मनुष्य के दिमाग पर ही पड़ता है, उसकी सोचने समझने की शक्ति आदि क्षीण होने लगती है।
क्लोरोफ्लोरोकार्बन का प्रभाव - क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के नाम से भी जाना जाता है। एक कार्बन की ही गैस है, जो कि रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न होती है। यह गैस ओजोन परत को नष्ट करती है,
और यह ओजोन परत हमारी सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी कारणों से रक्षा करती है। अगर कार्बन मोनोऑक्साइड लगातार वायुमंडल में बढ़ती गई तो ओजोन परत क्षीण होती जाएगी, और मनुष्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाएगा।
सूक्ष्म कणों का प्रभाव - वायु में विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे कण भी पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के रासायनिक उद्योगों से निकलते हैं, और वायु के द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके
भयंकर रोग उत्पन्न करते हैं। कैडमियम वृक्षों में जल की अवशोषण क्षमता कम करता है, तो वही मनुष्य में सीसे की मात्रा से तंत्रिका तंत्र और गुर्दे प्रभावित होने लगते हैं।
लोहे की खान में काम करने वाले मजदूरों को सिलिका धूल के कणों के कारण सिलिकोसिस नामक रोग हो जाता है। इसके अतिरिक्त घुटन, मानसिक थकान, अनिद्रा सिरदर्द बेचैनी जैसी बीमारियों के प्रभाव में आने पर मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है।
वायु प्रदूषण के निवारण Air pollution Prevention Measures
वायु प्रदूषण के बहुत से कारण हैं, किंतु अगर उसका सही समय पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह मनुष्य के साथ ही समस्त पृथ्वी के लिए घातक सिद्ध होगा वायु प्रदूषण के रोकथाम के कुछ उपाय निम्न प्रकार से हैं:-
वृक्षारोपण करना - अगर वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं से निजात पाना चाहते हैं, तो उसका सबसे अचूक रास्ता है, वृक्षारोपण करना क्योंकि वृक्ष ही वह धन संपदा होते हैं, जो वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं,
नियंत्रित कर सकते हैं। क्योंकि वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को वृक्ष यही ग्रहण करते हैं, जो विभिन्न प्रकार से मनुष्य के लिए घातक सिद्ध होती है।
इसीलिए मनुष्य को सरकार के साथ वृक्षारोपण कार्यक्रम में भागीदारी निभानी चाहिए और वृक्षों की रक्षा करने के साथ ही वृक्ष लगाने चाहिए।
सरकारी योजनाएँ - सरकार को ऐसी विकास योजनाएँ बनानी चाहिए जिनमें वायु प्रदूषण कम हो। सभी प्रकार के जो कारखाने हैं, उनके आसपास बहुत अधिक संख्या में वृक्षों को लगाना बहुत ही आवश्यक होना चाहिए।
जबकि वृक्षों के काटने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, तथा जो वृक्ष काटता है, उनके खिलाफ तुरंत कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
नए वृक्षों का रोपण किया जाना चाहिए, तथा जगह-जगह वृक्षों के पर्यावरण संरक्षण के प्रचार प्रसार के कार्य किए जाने चाहिए।
कारखानों में सुरक्षात्मक उपाय - रासायनिक कारखाने जिनसे विषैली गैस निकलती हैं उन सभी चिमनियों को अधिक ऊँचा करके उनमें इस प्रकार के फिल्टर लगा देनी चाहिए,
जिससे गैसों के साथ जाने वाले विभिन्न प्रकार के तत्वों के कण फिल्टर हो जाएँ जबकि उन उद्योगों पर नियंत्रण किया जाना चाहिए जिससे क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैंसे निकल रही हो।
व्यक्तिगत प्रयास - वायु प्रदूषण को रोकने में सरकार के साथ प्रत्येक व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए। क्योंकि यह प्रत्येक व्यक्ति की भी अहम भूमिका होती है।
प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम अपने जीवन में पांच वृक्षों को लगाकर बड़ा करना चाहिए। वृक्षों के अधिक संख्या में लगाने से वायुमंडल में ऑक्सीजन लेवल बढ़ने लगेगा
और कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल कम होता जाएगा। इसके लिए सरकार भी नारा देती है, कि 2 बच्चे पैदा करो लेकिन वृक्ष 10 से अधिक लगाओ।
वैज्ञानिकों के द्वारा प्रयास - वायु प्रदूषण के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को भी प्रयास करना चाहिए और उनको ऐसे उद्योगों या अविष्कारों पर नियंत्रण करना चाहिए, जिनसे वायु प्रदूषण अधिक हो रहा हो।
कल कारखानों से तथा गाड़ी वाहनों से निकलने वाले धुएं को रोकने का प्रयास और उससे होने वाले वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए भी वैज्ञानिकों को प्रयास करना चाहिए।
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों का प्रचार प्रसार - वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाव का प्रचार - प्रसार जन-जन तक किया जाना चाहिए। उन्हें वायु प्रदूषण से होने वाली हानियाँ बताई जानी चाहिए।
इसके लिए पोस्टर, बैनर तथा विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनी को भी अपनाया जा सकता है, जिससे काफी हद तक वायु प्रदूषण के क्षेत्र में हम लोगों को समझा पाएंगे और जागरूकता उत्पन्न कर पाएंगे।
वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1981 Air Pollution Control Act 1981
जनसंख्या वृद्धि के कारण सभी प्रकार के प्रदूषणों से कई प्रकार के दुष्परिणाम देखे गए इसलिए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को 1970 के दशक की शुरुआत में देखकर स्पष्ट हो गया कि प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए सभी देशों को अपने स्वयं के कानून पारित करने चाहिए।
इस प्रकार जून 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें दुनिया के देशों से हवा जैसे प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने का आग्रह किया गया था। भारत में विभिन्न अपूर्ण प्राकृतिक ईंधन का दहन अनुचित औद्योगिक प्रथाओं,
विभिन्न पर्यावरणीय कारको के आलावा कई प्रकार के कारकों के कारण वायु प्रदूषण एक जवळन्त समस्या थी इसलिए इन कारकों से निपटने के लिए भारत के संविधान के तहत एक विशेष कानून बनाया गया जिसे वायु (रोकथाम और नियंत्रण) प्रदूषण का अधिनियम 1981 या वायु प्रदूषण रोकथाम नियंत्रण अधिनियम 1981 के नाम से जाना गया।
वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत दंड और प्रक्रिया Punishment and Procedure under Air Pollution Control Act
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (1974) के निर्देशों का पालन करने में विफलता के परिणामस्वरूप 1 वर्ष की कैद का प्रावधान तथा इस दंड को 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है, जबकि 5000 रुपये प्रति दिन के अतिरिक्त जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
किसी भी पर्यावरण संबंधी शिकायत पर न्यायालय द्वारा केवल तभी विचार किया जाएगा जब वह निम्नलिखित द्वारा की गई हो:
सीपीसीबी द्वारा अधिकृत एक अधिकारी
एक व्यक्ति जिसने बोर्ड या उसके द्वारा अधिकृत किसी अधिकारी को शिकायत की है। शिकायत किए गए अपराध के साठ दिनों के भीतर की जानी चाहिए।
उपसंहार Conclusion
वायु प्रदूषण मनुष्य के साथ प्रकृति के सभी जीवों पर अपना दुष्प्रभाव छोड़ता है, इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सरकार के साथ मिलकर वायु प्रदूषण जैसी समस्या से लड़ना चाहिए और एक
स्वस्थ्य पर्यावरण का निर्माण करना चाहिए। मनुष्य को अपने आसपास वृक्षों को लगाना चाहिए और उनका संरक्षण करना चाहिए तभी जाकर जीवन को पृथ्वी पर बचा सकते है।
दोस्तों आपने इस लेख में वायु प्रदूषण पर निबंध वायु प्रदूषण क्या है निबंध (Essay on Air Pollution) पड़ा। आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा कृपया इसे शेयर जरूर करें:-
- FAQ For Air Pollution
वायु प्रदूषण की परिभाषा क्या है?
वायु प्रदूषण रासायनिक भौतिक, जैविक कारणों से वायु के प्राकृतिक गुणों में परिवर्तन की दशा होती है।
वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम कब लागू हुआ?
वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 में लागू हुआ था।
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव क्या है?
वायु प्रदूषण एक भयानक आपदा है, कियोकि प्रदूषित वायु से श्वास संबंधी कई रोग जैसे ब्रोंकाइटिस, बिलिनोसिस, गले का दर्द, निमोनिया, फेफड़ों का कैंसर के आलावा प्रदूषित वायु में सल्फर-डाई-ऑक्साइड और नाइट्रोजन-डाई- ऑक्साइड की अधिकता से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह जैसे घातक रोग हो जाते हैं।
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